कच्छ झरपराना श्री लखमणभाइ नी आपणा देशनी हालनी परिस्थीती पर बहु सरस गीत
एक समय भारत देशमां ज्यां राज राघवनुं हतुं
दिधुं जगतने ज्ञान एवुं गीत माधवनुं हतुं
आजे दशा देखी अने मनडु मारुं मुंजाय छे
राघव तणा आ देशमां वर्तन एवुं वर्ताय छे
सेवक हता आ देशमां नीति-अनीति जाणता
केळे लंगोटी बांधता पण धर्मने संभाळता
आजे गद्धारो देशमां भगवान थइ पुजाय छे
राघव तणा आ देशमां वर्तन एवुं वर्ताय छे
बेटी हती आ देशनी विदेशमां बेठी हती
जानकी ना देह पर लंकेशनी चोकी हती
शक्ति उपासक देशमां आज नारीओ लुंटाय छे
राघव तणा आ देशमां वर्तन एवुं वर्ताय छे
उठी परोढे प्रेमथी गायुंनुं मस्तक चुमतो
सृष्टीनो पालनहार ए गोवाळ थइने घुमतो
दुर्भाग्य छे आ देशनी गौ कतलखाने जाय छे
राघव तणा आ देशमां वर्तन एवुं वर्ताय छे
रैयत हती एने सदा स्वराज मां रुची हती
रहेवाने नानी झुंपडी पण सोच खुब उंची हती
“लखो” कहे धन खरचता अहीं लोकमत लेवाय छे
राघव तणा आ देशमां वर्तन एवुं वर्ताय छे
ढाळ=सम्राट भाग्यो श्वानथी कौतक केवुं थाय छे
रचना=लखमणभाइ सेडा(गढवी)
झरपरा=कच्छ
टाइपिंग=राम बी गढवी
नविनाळ=कच्छ
फोन=7383523606
आ रचना लखमणभाइ ना वीडीयो मांथी टाइप करेल छे भुलचुक सुधारीने वांचवी
वंदे सोनल मातरमं