एक वखते मुनी नारद- पिंगळशींभाइ नी रचना (प्रभाती)
एक वखते मुनी नारद
कंस पासे आवीया
लळीने ते पाय लाग्यो, विधी करीने वधाविया
एक वखते मुनी नारद…
नारदजी पछी कंस प्रत्ये
कहे सांभळ तुं मन द्रढ करी
हणी ते जे हाथथी, नहीं देवकीनी दिकरी
एक वखते मुनी नारद…
देवकीना दिकरा ने
कृष्ण हळधर जाणजो
मारे तो हवे भय मट्यो छे, एवो व्हेम न आणज्यो
एक वखते मुनी नारद…
श्रवण एवुं सांभळीने
कंस राजा कोपीयो
हाथ खडग वसुदेव ने हणवा, थरहरी उभो थयो
एक वखते मुनी नारद…
नारद कहे वसुदेव ने हणता
ठीक तमारुं नइं थसे
पुत्रो तेना कहे ‘पींगळ’, जोइने नासी जसे
एक वखते मुनी नारद…
रचना = चारणकवि पींगळशीभाइ पाताभाइ नरेला
टाइपिंग = राम बी गढवी
नविनाळ-कच्छ
फोन-7383523606
आ रचना पींगळशींभाइ नी पीडीएफ फाइल मांथु टाइप करेल छे भुलचुक सुधारने वांचवी
वंदे सोनल मातरमं