कानड सुखकारी मित्र मुरारी गये बिसारी गिरधारी
🙏🏻🙏🏻🙏🏻दोहा 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
ओधव आये एकदिन, मथुरा से ब्रज माय
कुशल पत्रिका शामकी, सबको बांच सुनाय (१)
प्रीतमकी पांति लखी, दिलमें भइ आदीन
कहत त्रिभंगी छंद कर, ब्रज की बाल प्रविन (२)
🙏🏻🙏🏻 छंद=त्रिभंगी 🙏🏻🙏🏻
ब्रज की सब बाला रुप रसाला, बोत बिहाला बिन बाला
जागी तन ज्वाला बिपत बिसाला दीन दयाला नंदलाला
आये नहीं आला,कृष्ण कृपाला,बंसीवाला बनवारी
कानड सुखकारी मित्र मुरारी गये बिसारी गिरधारी जी…१
आये अकरुरं,ग्यान गरुरं,निरमल नुरं तन सुरं
प्रेमी जन पुरं निपट नीठुरं,बात मधुरं करबुरं
मोहन सुख मुरं,हरी हजुरं,ले गये दुरं बलकारी
कानड सुखकारी मित्र मुरारी गये बिसारी गिरधारी जी…२
लायक नंदलालं,गोप गोवालं,करी बिहालं किरपालं
गये कान छुगालं,मथुरा मालं,साल दुसोलं,सजहालं
मोती मनी मालं,हेम हमालं,राज रसालं,करभारी
कानड सुखकारी मित्र मुरारी गये बिसारी गिरधारी जी…३
रंजन मन रासं,ब्रज के बासं,सकल हुलासं,तज तासं
कीनी कुबजासं,प्रित प्रकाशं,नवीन विलासं,मन भासं
प्रीतम नहीं पासं,अंग उदासं,आवन आसं,उरधारी
कानड सुखकारी मित्र मुरारी गये बिसारी गिरधारी जी…४
बंसी की बानी,श्रवण सुहानी,मंगल दानी,मन जानी
गाजत गहरानी,सुनत सयानी,भान भुलानी,भय भानी
लोपी कुल कानी,मेरम मानी,अब पस्तानी,करी यारी
कानड सुखकारी मित्र मुरारी गये बिसारी गिरधारी जी…५
साजत शणगारं,कैक प्रकारं,कुबजा नारं,कर प्यारं
झांझर जनकारं,हिय बीय हारं,काजल सारं,द्रग कारं
सुमनले सारं,सेज सुधारं,करत बिहार,तन कारी
कानड सुखकारी मित्र मुरारी गये बिसारी गिरधारी जी…६
गोपी गोवासीरसीक रमासी, मन अकुलासी,मुरजासी
ओधव कब आशी,ब्रज के बाशी,श्याम विलासी,सुख रासी
प्रीतीम की प्यासी,अती उदासी,प्रेम प्रकाशी,बिन प्यारी
कानड सुखकारी मित्र मुरारी गये बिसारी गिरधारी जी…७
करुना निधी कानं,सुगर सुजानं,जीवन प्रानं,तजी मानं
दीजे दल जानं,दरसन दानं,प्रित पुरानं,पहिचानं
जोरी जुग पानं,”देवी दानं”,बोलत बानं,ब्रिज नारी
कानड सुखकारी मित्र मुरारी गये बिसारी गिरधारी जी…८
🙏🏻🙏🏻🙏🏻 :: छप्पय:: 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
गिरधारी गोपाल, लाल सबही गुन लायक
केसें भये कठोर, दीन जनके सुख दायक
हमको तजी बिहाल, कीन कुबजा को प्यारी
उनको भये आदीन, नाथ की ह गत न्यारी
कानड कृपाल मंंगल करन, करुना हमपर कीजीयें
निज दास नाज ब्रिज नारीको, देवो दरसन दीजीए
रचना = चारणकवि श्री देविदानजी देथा
टाइपिंग = राम बी गढवी
*नविनाळ-कच्छ
फोन 7383523606
आ छंद श्री आशानंदजी द्वारा लखेल बुक कच्छना चारण कविओ नामनी बुकमांथी टाइप करेल छे भुलचुक सुधारने वांचवी
वंदे सोनल मातरमं