March 31, 2023

चारण समाज में अवतरित कुछ देवियों से सम्बधित सामान्य जानकारी

चारण समाज में अवतरित कुछ देवियों से सम्बधित सामान्य जानकारी
01  – आवडजी ने वि.स. 808 में चेलक ग्राम में मामड जी चारण के घर जन्म लिया था !
02 – आवडजी सात बहने और एक भाई था – आवड बाई , गुलाब बाई , हुलास बाई , रूपल बाई , साँच बाई , रंग बाई , लगु बाई (खोड़ियार), मेहरखा (भाई) !
03 – आवडजी ने हाकड़ा नामक समुद्र का शोसण किया था !
04 – आवडजी ने हूण सेना नायक तेमड़ा नामक राक्षस को मारा था जिसके कारण तेमडेराय कहलाई , महाराजा तणु को तनोट स्थान पर दर्शन देकर तनोटराय कहलाई , घंटियाल नामक राक्षस को मारकर घंटियालराय कहलाई ,भादरिया नामक भाटी के आग्रह पर दर्शन देने पधारी इसलिए भादरियाराय कहलाई ,काले डूंगर पर बिराजने से कालेडूंगरराय कहलाई ,पन्ना मुसलमान की रक्षा करके पन्नोधरिराय कहलाई ,एक असुर रूपेण भेंसे को मारकर माँ ने उसे देग नामक बर्तन में पकाया था इसलिए देगराय कहलाई ,आवड जी सहित सातों बहनों के नदी में नहाते वक्त यवन राजकुमार नुरन द्वारा कपड़ो को छुने के कारण माँ आवड नागण का रूप धारण कर घर लौटी थी इसलिए नागणेची कहलाई !
05 – राजस्थान में सुगन चिड़ी को आवड माँ का रूप माना जाता हे !
06  – आवडजी माड प्रदेश (जेसलमेर) के भाटी शासको की आराध्य देवी थी !
07  – आवडजी इस पृथ्वी पर सशरीर 191 साल बिराजे थे !
08  – वि. स. 999 में आवडजी सहित सातों बहने तारंगशिला पर बैठकर पतंग की तरह सशरीर उडान भरी और पश्चिम में हिंगलाज धाम की और देखते – देखते अद्रश्य हो गई !
09  – आवडजी की सबसे छोटी बहन लगु बाई अपने भाई के शरीर से पैणा सर्प का जहर उतारने के लिए औषधि लेने गई तब माँ ने बड़े वेग से पुरे भू मंडल में ढूंढकर सौलह पहर यानि दो दिन में पुरे संसार का भ्रमण किया और वापस आते वक्त माँ को पैर में चोट लगने से खोड़ी (लंगड़ाकर) चलने लगी थी तब से माँ को  खोड़ियार नाम से पुकारने लगे !
10 – आवड़जी के माता का नाम मोहवृती मेहडू था !
11  विजय राव चुडाला को *आवड़* जी ने चूड और खांडा बक्शीस  दिया और वरदान दिया था की जब तक तेरे हाथ में चूड और खांडा रहेगा तुम्हे कोई परास्त नहीं कर पायेगा !
12 – करणीजी महाराज का जन्म 21 माह गर्भ में रहने के बाद वि. स. 1444 आसोज सुद सातम शुक्रवार को सुआप गाँव में हुआ !
13 – करणीजी का ननिहाल आढा़ गाँव में था और नानाजी का नाम चकलू जी आढा़ था !
14 – करणीजी के पिताजी का नाम मेहोजी किनियां और माता का नाम देवल बाई आढा़ था !
15 – करणीजी  7 बहने –  लांला बाई, फुलां बाई, रिद्धी बाई, केशर बाई, गेंदा बाई, गुलाब बाई, सिद्धी बाई, और 2 भाई – सातल, सारंग थे ( करणी जी छटे थे ) !
16 – करणीजी 150 वर्ष 6 माह 2 दिन इस संसार में शसरीर बिराजे थे !
17 – वि.स. 1473 आषाढ सुद नवमी को *करणी* जी का विवाह साठीका गाँव के देपोजी के साथ हुआ उस समय *करणी* जी की उम्र 29 वर्ष थी !
18 – वि.स. 1595 चेत्र सुद नवमी गुरुवार को बीकानेर और जैसलमेर की सीमा पर घडियाला परम धाम में करणीजी महाराज ने अपने शरीर पर जल डाल कर अग्नि स्नान करके परम ज्योत में विलीन हो गए !
19 – आई जानबाई उधास की तेरहवी पीढ़ी में *सोनल* माँ का जन्म हुआ था !
20 – देवलमाँ सिंहढायच का जन्म वि.स.1444 माघ सूद चौदस को माडवा ग्राम में भलियाजी सिंहढायच के यंहा हुआ ,माता का नाम वीरू आढी था !
21 – देवल माँ सिहंढायच के 7 पुत्रियाँ -बूट,बेचरा,बलाल,खेतु,बजरी,मानसरी,पातु और 3 पुत्र – देविदास, मेपा, खिंडा थे !
22 – देवल माँ सिंहढायच के माता वीरू आढ़ी और *करणी* जी महाराज के माता देवल आढ़ी दोनों सगी बहने थी !
23 – देवल माँ सिंहढायच 140 वर्ष 5 माह इस संसार में बिराजने के बाद वि.स.1585 आषाढ सूद चौदस को स्वधाम पधारे, आप करणी जी के समकालीन थे !
24 – भगवती चंदू का जन्म माडवा गाँव में उदेजी सिंहढायच के घर अणदू बाई की कोख से हुआ आपका ससुराल दासोड़ी था !
25 – भगवती चंदू ने ठाकुर सालम सिंह के खिलाप अखेसर तालाब की पाल पर जंवर किया था तो आपकी माता अणदू बाई ने गुडी के पोकरणो के अत्याचारों के खिलाप जंवर किया था !
26 – माँ राजबाई का जन्म करणी जी के महाप्रयाण के ठीक 10 माह बाद वि.स.1595 चेत्र शुक्ल नवमी को सोरास्ट्र के चरावडा ग्राम में उदाजी चारण के घर हुआ ,आप आजीवन ब्रम्ह्चारिणी रही, आपने 80 वर्ष की आयु प्राप्त की व वि.स.1676 को स्वधाम पधारे !
27 – माँ राजबाई ने ही राजपूतो के लिए हमेशा -हमेशा के लिए नवरोजे के रिवाज को बंद करवाया था और पृथ्वीराज के साथ पूरी राजपूत कोम की लाज रखी थी !
28 – माँ राजबाई का मंदिर जोधपुर- जालोर मार्ग पर गढवाडा में स्थित हे
29वांकल माँ आवडजी के भुआजी थे जिन्हें चारण जाती में प्रथम शक्ति अवतार माना जाता हे !
30 – सोनल माँ का जन्म दि.-08-01-1924 पोष सुदी बीज मंगलवार को हमीर जी के घर मठडा ग्राम में हुआ आपकी माता का नाम रणबाई था ,आप दी.-27-11-1974 कार्तिक सुदी तेरस को स्वधाम पधारे थे ,आपका समाधीस्थल कणेरी ,तहसील -केशोद, जिला -जुनागढ में हे !
31 – माँ लुंग सगत का जन्म वि.स.1987 आषाढ सुदी बीज को वलदरा ग्राम में अजीत दान जी आशिया के यहाँ हुआ था, आपके माता का नाम मैत बाई था और आपका ननिहाल पातुम्बरी (स्वरूप गंज के पास ) में था और आपका ससुराल धनायका (जिला -राजसमन्द ) में था  !
भूल हेतु क्षमा और सुधार हेतु सुझाव आमंत्रित हे।
 गणपत सिंह चारण मुण्डकोशिया

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
%d bloggers like this: