सोनल समाढा, ब्योम बाढा, खपर गाढा खडखडे
छंद – सारसी
सोनल समाढा ब्योम बाढा खपर गाढा खडखडे
जीय खपर गाढा खडखडे. -(टेक)
कर धरा धरसो, फेर हरसो, असो परचो इश्वरी
दैतान डरसो, एक फरसो, नाव तरसो, वपु धरी
अणकळां भजबळ दैत हो, अळसमे तू धर आकडे
सोनल समाढा ब्योम बाढा…१
एक अखंडी, मही मंडी, पाप खंडी अणकळी
दैतान दंडी, मान चंडी, धू विखंडी परजळी
कोपें क्रमंडी, धर चहंडी, आदि चंडी आकडे
सोनल समाढा ब्योम बाढा…२
ऊठी अमरमें, कस कमरमें, तू समरमें चारणी
दैतां डमरमें, खडग करमें, रण नगरमें, डारणी
होते हमरमें, नहीं गरमे, ते वमरमें, तडखडे
सोनल समाढा ब्योम बाढा…३
धकमार धडडड, होत हडडड, गडडड नादें गडगडी
कमठ्ठ कडडड, थंभ थडडड, चोंपथी सिंधे चडी
फरकंत फडडड, के’क नेजा, हडड नारद हडहडे
सोनल समाढा ब्योम बाढा…४
वानेंय काळाय, जोर वाळाय, के’क दैतां हूकळ्या
पडतेय प्राछट, बाण खागड, सामवा धांये मळ्या
कर कोप रणमां, रुप भेंकर, कडड दांतड कडकडे
सोनल समाढा ब्योम बाढा…५
करडाय होठड, लोह दांतड, आभ माथुं आटके
वीराण वाढड, कोप डाढड, भोम हलबल भाटके
भभकी भयंकर, खडग लइ कर, भेळीयाळी जो भडे
सोनल समाढा ब्योम बाढा…६
बोंतेर क्रोडं, महा बळीया, जेम मळीया भारथे
अणसमे धूधड, धूण ध्रूजड, कोप अंबा कारथे
परगटं झटपट, होत शक्तयुं, क्रोड मोढे गडगडे
सोनल समाढा ब्योम बाढा…७
ऐसे अवथडा, साथ सथडा, रुप रथडा के धरा
साथेय सथडा, काढ हथडा, त्रोड मथडा दैतरा
धोंकार दे धस, महारण मच, के’क राखस तडफडे
सोनल समाढा ब्योम बाढा…८
कांधेय जाडा, सो समाढा, पीत पाडा चारणी
असरां अवगतां, जुद्ध जगतां, पीत रगतां पालणी
तव “काग” सोनल हेक चंडी, अरि दमणी ताकडे
सोनल समाढा ब्योम बाढा खपर गाढा खडखडे
जीय खपर गाढा खडखडे…९
छप्पय
खडडत खप्पर हाथ, तबे व्रेमंड पड अग डग
खडडत खप्पर हाथ, तबे भुमंडळ डगमग
खडडत खप्पर हाथ, फणीधर मस्तक फूटे
खडडत खप्पर हाथ, ताक दैतांरा त्रूटे
आदि अनादि प्राक्रम असो, वेरी दळांने वारणी
कह “काग” अमु, राणा-सधू ! (केम) साद न दे तुं चारणी ?
रचना = चारणकवि पद्मश्री काग बापु
टाइपिंग – राम बी गढवी
*नविनाळ – कच्छ
*फोन = 7383523606
आ छंद कागवाणी भाग=7 मांथी टाइप करेल छे भुलचुक सुधारीने वांचवी
वंदे सोनल मातरमं