March 21, 2023

देस-देस रा दूहा- मोहनसिंह रतनू

ऊंचो तो आडावल़ो, नीचा खेत निवांण।
कोयलियां गहकां करै, अइयो धर गोढांण।।
उदियापुर लंजो सहर, मांणस घण मोलाह।
दे झोला पाणी भरे, रंग रे पीछोलाह।।
गिर ऊंचा ऊंचा गढा, ऊंचा जस अप्रमाण।
मांझी धर मेवाड. रा, नर खटरा निरखांण।।
जल ऊंडा थल ऊजला, नारी नवले वेस।
पुरख पटाधर नीपजै, अइयो मुरधर देस।।
लाटा गाटा लीजिए, खासा गेहूं खाण।
भोजन अर घोड़ा भला, जाखोड़ा जोधाण।।
साल बखाणूं सिंध री, मूंग मंडोवर देस।
झीणो कपडो मालवै, मारू मरूधर देस।।
अहो थान इकलिंग रा, पावस घटा पहाड.।
सरब चीज पाकै सदा, मोटी धर मेवाड.।।
बोर मतीरा बाजरी, खेलर काचर खाण।
धीणा अनधन धोपटा, बरसाल़ै बीकांण।।
ऊंट मिठाई ईस्तरी, सोनो गहणो शाह।
पांच चीज परथमी सिरे, वाह बीकाणा वाह।।
मौज सुरंगा मालिया, फूलबाग चंहुफेर।
चीज अनोखी चोवटे, ऐ बांतां आंबेर।।
धाट सुरंगी गोरियां, सोढा भंवर सुजाण।
वड़ झुकिया लांबे सरां, अइयो धर अमराण।।
गल़ियां सिर गद्दल विछै, अमल बंटै अप्रमाण।
महल़ चंगी द्रब मांणसां, समजतियां जैसाण।।
धर ढांगी आलम धरा, प्रग्घल़ लूणी पास।
लिखिया ज्यांनै लाभसी, राड़धरै रैवास।।

~संकलन: मोहन सिंह रतनू 

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