श्री आई राजल इकविसी सुजस।
दुहा
दिल्ली हसिना देखती, नर हिणा उण नार।
अकबर भमंर उडिकतो, बण ठण मिना बजार।।1
दिल्ली हसिना देखती, नर हिणा उण नार।
अकबर भमंर उडिकतो, बण ठण मिना बजार।।1
कूरिती करी कुबदियै, अकबर धरी अनीत।
भूण्डापण मधुकर भरी, नव रोजै री नीत।।2
भूण्डापण मधुकर भरी, नव रोजै री नीत।।2
छंद जात मोतीदाम।।
चार जगण
नयी धर नीत पलीत नकाम,
कयी कर रीत घलीत अकाम।
गयी नर हीत कुनीत गुलाम,
भयी पर प्रीत अनीतन भाम।।1
चार जगण
नयी धर नीत पलीत नकाम,
कयी कर रीत घलीत अकाम।
गयी नर हीत कुनीत गुलाम,
भयी पर प्रीत अनीतन भाम।।1
दगा कर मूगल खेलत दांव,
ठगा नर मीन बजार ठकाव।
नगा हर नारीय पे अनियाव,
वगा तण वारिय सेज वणाव।।2
ठगा नर मीन बजार ठकाव।
नगा हर नारीय पे अनियाव,
वगा तण वारिय सेज वणाव।।2
दुनी दहलीज रही घण दाज,
सुनी फथलीज कहीज समाज।
उनी हथलीज गही जण लाज,
रूनी रमणीज रही तण राज।।3
सुनी फथलीज कहीज समाज।
उनी हथलीज गही जण लाज,
रूनी रमणीज रही तण राज।।3
हली जद मूगल की बद हूस,
मिली घण नारिय मन मसोस।
बली हद क्रीत वा नीत बखान,
मिया जन हेत हा कैत महान।।4
मिली घण नारिय मन मसोस।
बली हद क्रीत वा नीत बखान,
मिया जन हेत हा कैत महान।।4
पिथो नृप रैय अकब्बर पास,
दुनी जद होय दिल्ली तण दास।
बिकांण नरेश बसै उण बास,
खथी तण कैवय साढुय खास।।5
दुनी जद होय दिल्ली तण दास।
बिकांण नरेश बसै उण बास,
खथी तण कैवय साढुय खास।।5
वजै बड वैगम जो उण वार,
सजै नृप रांणीय जा सणगार।
लजै मन में नह भूप लिगार,
अजै कर चूंप तिका उण यार।।6
सजै नृप रांणीय जा सणगार।
लजै मन में नह भूप लिगार,
अजै कर चूंप तिका उण यार।।6
सचा नर नेक करत सवाल,
पिथो अरु पातल वो प्रतपाल।
चली जद नीच अकब्बर चाल,
भली हद भांम लसत भुपाल।।7
पिथो अरु पातल वो प्रतपाल।
चली जद नीच अकब्बर चाल,
भली हद भांम लसत भुपाल।।7
बणा कुल हीन कमीन बिचार,
तबै नवरोज तणी तकरार।
लगी मन पीड़ ज होय लचार,
पुगी करणी तक हीण पुकार।।8
तबै नवरोज तणी तकरार।
लगी मन पीड़ ज होय लचार,
पुगी करणी तक हीण पुकार।।8
सखी नृप पीथड़ हो कव सूर,
पखी करणी भगती भर पूर।
रखी जद राजल लाज हजूर,
सु साखिय चारण चन्दर सूर।।9
पखी करणी भगती भर पूर।
रखी जद राजल लाज हजूर,
सु साखिय चारण चन्दर सूर।।9
पढी पज पीथल कीध पंपाल,
दढ़ी दज टालण मात डढाळ।
चढी सज शेर मढ़ी चिड़याल,
बढी धज राजल हो विकराल।।10
दढ़ी दज टालण मात डढाळ।
चढी सज शेर मढ़ी चिड़याल,
बढी धज राजल हो विकराल।।10
बढ़ी जँहा दिलन को दरबार,
चढी गढ बब्बर ले चटकार ।
कढी जब जाय के मात कृपान,
खड़ी कंठ झेल अकबर खान।।11
चढी गढ बब्बर ले चटकार ।
कढी जब जाय के मात कृपान,
खड़ी कंठ झेल अकबर खान।।11
उडी धर लैय चढी असमान,
पिरां फकिरां न बचे अब प्राण।
धन्नजय रूप लियो जद धार,
पगां पड़ मात सै कीध पुकार।।12
पिरां फकिरां न बचे अब प्राण।
धन्नजय रूप लियो जद धार,
पगां पड़ मात सै कीध पुकार।।12
हुवो हथणापुर शाहज हैक,
बुवो उण बार न धार विवेक।
जिकै भव पै लाय पारथ जाण,
महि बण आयोय मुसलमान।।13
बुवो उण बार न धार विवेक।
जिकै भव पै लाय पारथ जाण,
महि बण आयोय मुसलमान।।13
अगे हथणापुर होय अनीत,
पंचालीय साथ करीज पलीत।
किरु दुरजोधन संग करूप,
भिरू मिल देख रये कही भूप।।14
पंचालीय साथ करीज पलीत।
किरु दुरजोधन संग करूप,
भिरू मिल देख रये कही भूप।।14
दियो जद माधव मों वरदान,
थियो पद पा हथणापुर थान।
रये लज हीण सभा उण राज,
सये अवतार लिया पुनी साज।।15
थियो पद पा हथणापुर थान।
रये लज हीण सभा उण राज,
सये अवतार लिया पुनी साज।।15
दये हमतो उनको दुख दाज,
लये जन देख लये त्रिय लाज।
अल्ला तण नाम रखू मन आस,
खुदा हम रक्षक केशव खास।।16
लये जन देख लये त्रिय लाज।
अल्ला तण नाम रखू मन आस,
खुदा हम रक्षक केशव खास।।16
हुवो जद होय उठी मन हूल,
सुलगत आग अजां मन शूल।
भयी बदलै तण आहम भूल,
करां निज औगण मात कबूल।।17
सुलगत आग अजां मन शूल।
भयी बदलै तण आहम भूल,
करां निज औगण मात कबूल।।17
गियो अब काफिय भूप गूमान,
दियो मुझ माफिय जीवन दान।
नही नव रोजन को लिय नाम,
पुनी पुनी साह करत्त प्रणाम।।18
दियो मुझ माफिय जीवन दान।
नही नव रोजन को लिय नाम,
पुनी पुनी साह करत्त प्रणाम।।18
घला फिर दाढीय ले मुख घास,
पला उण आय अला परकाश।
बला दिय टाल खुदा विसवास,
हला तज राजल मात हुलाश।।19
पला उण आय अला परकाश।
बला दिय टाल खुदा विसवास,
हला तज राजल मात हुलाश।।19
कही सब साच सुणी हम सोय,
करो मत रीस गुणी जन कोय।
सुठी तँहा होय वुठी वरसात,
वुठी तण कैत वटाउय बात।।20
करो मत रीस गुणी जन कोय।
सुठी तँहा होय वुठी वरसात,
वुठी तण कैत वटाउय बात।।20
जकां भगतांय जपी जगतम्ब,
उवां अबखीय उधारत अम्ब।
नमो करणी रट राजल नाम,
पढे कव भमंर माँ परनाम।।21
उवां अबखीय उधारत अम्ब।
नमो करणी रट राजल नाम,
पढे कव भमंर माँ परनाम।।21
कवि भँवरदान माड़वा मधूकर कृत