March 21, 2023

पलवामा काशमीर हमलै के बाद का द्रश्य देख कर उन कबर वालां के समक्ष चेतावनी काव्य निजर कवि मधुकर माड़वा

पलवामा काशमीर हमलै के बाद का द्रश्य देख कर उन कबर वालां के समक्ष चेतावनी काव्य निजर कवि मधुकर माड़वा ।
        ।।दोहा ।।
पलवामा तण पापियो ,
काशमिरी धण कोय ।
सहादत सुरां घण सुणी ,
विसपोटक वण वोय ।
अब न सहां अजोगती ,
गया जमाना गेर।
पाक नापाक पलितिया ,
वधा न भारत वेर ।
मधुकर आंतक मसलतां ,
दुष्टां लगे न देर ।
मड़द बेठो अब मुलक में
सिनै छपन रो शेर ।
।।छंद गया मालती ।।
शाहजाद की सरकार ना दरकार ना कछु देर का ।
ईनकार ना अधिकार ओडर ,छपन इंच के शेर का ।
तसवीर हा तामीर होगी फोज के फरमान की ।
काशमीर ना जागीर होगी कभी उण कबरान की ।
घुसपेट घाटी देख घर घर पथर वाजी पसरगी ।
घुसरा फुसरी अवर छलकर फजर फंदर फसरगी ।
हेवान दहशत करै हशरत दरद वो वदरान की ।
काशमीर ना जागीर होगी कभी ना कबरान की ।
विसपोट कर मारै बहादुर  ,सहादत भारत सुणी ।
खुद्धार गद्धर हिन्द गम कर ,घात कर दिनी घणी ।
नापाक वो करतूत निशतै ,गजब वो गदरान की ।
काशमीर ना जागीर होगी कभी उण कबरान की ।
मात भुमी पर सहादत ,सजी ग्या सुरमान के ।
तिरंगा लपेटै देख तन पर ,आय सिना तान के ।
देश हित निज शीस देकर ,अमर धन अरमान की ।
काशमीर ना जागीर होगी ,कभी उण कबरान की ।
मांग को सेंदूर मेट्यो ,विरागंण घण वाम को ।
बालका अनाथ उण कर ,अवर दुख भर आम को ।
हाथ मसलै बेठो ना हर ,खबर लो खद्धरान की ।
काशमीर ना जागीर होगी ,कभी उण कबरान की ।
दागी निकालो देश दर ,को कसर ना रेवै कठा ।
ईट का जबाब अवसर ,पथर सें दिजो पठा ।
भाड़िया काढो कूट भंमर ,बखत अब बबरान की ।
काशमीर ना जागीर होगी ,कभी उण कबरान की ।
मूसकै बिल घुसै मुड़दै ,भुजंग सांमै भिड़त का ।
जम्बुक केतै आय जुड़तै ,केशरी कड़कंत का ।
डाकर सुणै भग जाय डरतै ,हाक पण हिंदवान की ।
काशमीर ना जागीर होगी ,कभी उण कबरान की ।
       ।।कलश ।।
भागो अठा सूं भाड़ियां ,
कबर वालां सुण कान ।
चारण फोज चेतावनी ,
मधुकर नियत महान।🙏🏻🙏🏻

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