पलवामा काशमीर हमलै के बाद का द्रश्य देख कर उन कबर वालां के समक्ष चेतावनी काव्य निजर कवि मधुकर माड़वा ।
।।दोहा ।।
पलवामा तण पापियो ,
काशमिरी धण कोय ।
सहादत सुरां घण सुणी ,
विसपोटक वण वोय ।
अब न सहां अजोगती ,
गया जमाना गेर।
पाक नापाक पलितिया ,
वधा न भारत वेर ।
मधुकर आंतक मसलतां ,
दुष्टां लगे न देर ।
मड़द बेठो अब मुलक में
सिनै छपन रो शेर ।
।।छंद गया मालती ।।
शाहजाद की सरकार ना दरकार ना कछु देर का ।
ईनकार ना अधिकार ओडर ,छपन इंच के शेर का ।
तसवीर हा तामीर होगी फोज के फरमान की ।
काशमीर ना जागीर होगी कभी उण कबरान की ।
घुसपेट घाटी देख घर घर पथर वाजी पसरगी ।
घुसरा फुसरी अवर छलकर फजर फंदर फसरगी ।
हेवान दहशत करै हशरत दरद वो वदरान की ।
काशमीर ना जागीर होगी कभी ना कबरान की ।
विसपोट कर मारै बहादुर ,सहादत भारत सुणी ।
खुद्धार गद्धर हिन्द गम कर ,घात कर दिनी घणी ।
नापाक वो करतूत निशतै ,गजब वो गदरान की ।
काशमीर ना जागीर होगी कभी उण कबरान की ।
मात भुमी पर सहादत ,सजी ग्या सुरमान के ।
तिरंगा लपेटै देख तन पर ,आय सिना तान के ।
देश हित निज शीस देकर ,अमर धन अरमान की ।
काशमीर ना जागीर होगी ,कभी उण कबरान की ।
मांग को सेंदूर मेट्यो ,विरागंण घण वाम को ।
बालका अनाथ उण कर ,अवर दुख भर आम को ।
हाथ मसलै बेठो ना हर ,खबर लो खद्धरान की ।
काशमीर ना जागीर होगी ,कभी उण कबरान की ।
दागी निकालो देश दर ,को कसर ना रेवै कठा ।
ईट का जबाब अवसर ,पथर सें दिजो पठा ।
भाड़िया काढो कूट भंमर ,बखत अब बबरान की ।
काशमीर ना जागीर होगी ,कभी उण कबरान की ।
मूसकै बिल घुसै मुड़दै ,भुजंग सांमै भिड़त का ।
जम्बुक केतै आय जुड़तै ,केशरी कड़कंत का ।
डाकर सुणै भग जाय डरतै ,हाक पण हिंदवान की ।
काशमीर ना जागीर होगी ,कभी उण कबरान की ।
।।कलश ।।
भागो अठा सूं भाड़ियां ,
कबर वालां सुण कान ।
चारण फोज चेतावनी ,
मधुकर नियत महान।🙏🏻🙏🏻