March 21, 2023

सवैया, माधोरामजी कायस्थ- राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

!! सवैया !!
!! माधोरामजी कायस्थ !!
बालपनै प्रतिपाल करी हम,
जानि सही तूँ गरीबनवाज है !
योवन में तन ताप हरी तुम,
मेल दिये सब ही सुख साज है !
भीर परे जन पे जननी जब,
होय दयाल सुधारत काज है !
तैं जु निहाल कियो सब हाल में,
अब वृध्द पनैहु की तोहि को लाज है !!
संत सहाय करी महमाय हनै,
बहु दैत्यन के दऴ जाडा !
मेरिहु बेर करो न अबेर करूं,
बिनती कबहूं कहि ठाडा !
तारन बिर्द को धारत हो कि,
तुम्ही वह बिर्द सबै अब छाडा !
आज भई मतवाऴी घणी कि,
दिया दुई कुण्डऴ कानन आडा !!

माधोरामजी कायस्थ, गांव पता नही पर उनके मां के प्रति श्रध्दा व आस्था से सराबोर भक्ति साहित्य जो कि भाषा एंव भाव दोनो ही ऊच्चस्तर के बनै हुये हैं माँ के प्रति समर्पण ऐसा कि हे भव भय भंजनी भगवती मेरे जीवन की तीनो ही अवस्थायें बचपन जवानी व बुढापा तीनो आपके वरदहस्थ से ही साफल्य मंडित हुये हैं !!
हे माँ आपका बिरद गरीब नवाज है आप उस बिरूद को क्या भूल बैठी अथवा दोनो कानो के कुण्डल आपको बालकों की आवाज सुनने नही दे रहे, कौनसा कारण आपको अपने भक्तजनो बालकों सेवको से दूर कर रहा है !!

~राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर !!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
%d bloggers like this: