!!छप्पय !!
चूंडा दधवाङिया कृत !!
आप हूंत आकास,
पवन आकास प्रसन्नौ !
पवंण हूंत तत तेज,
तेज पांणी ऊपन्नौ !
पांणी हूंता प्रिथी,
प्रिथी गुण पंच प्रगट्टा !
पंच गुंणां ग्रह पंच,
विषै इंन्द्री निवट्टा !
करी मांण पंच इंद्री किया,
कीध पंच अंतह करण !
पंच वीस करता जै पुरूष,
नमै “चंड” तै नारयंण !!
प्रिथी विपुल बऴ प्रघऴ,
सुपणि यंणि सेस सहारै !
सुंपणि महाबऴ सेस,
अखिल कूरम आधारै !
कमठ अतुल बऴ अकऴ,
सुपणि जऴ रहै समंधौ !
सजऴ विमऴ अति सबऴ,
तपणि तेजोमय बंधौ !
रै तेज पवण बंधौ रहै,
पवण हूंत आकास परि,
आकास जास मांझिल अछै,
हेक विजय बऴ “चंड” हरि !!
हरि रा मोटा भगत माधोदास जी (देवऴ) दधवाङिया जिणारो बणायो राम रासौ ग्रंथ चावो ठावो अर भगतां री जबान पर नित प्रति पाठ रूप में रऴकै, उणीज माधोदास जी री उजऴी औऴ में चूंडाजी दधवाङिया भी भगवान रा भगत, उणांरा बणाया दोय सुंदर छप्पय प्रातः सुमिरण री वेऴा में आप सैंणां री सुनिजर !!
~राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर !!