April 2, 2023

दीन बंन्दू मधुकर दखे, कृपा सिंधू हम काम- कवि मधुकरजी माड़वा (भंवरदानजी)

दीन बंन्दू मधुकर दखे ,
कृपा सिंधू हम काम ।
रिधू रिधू रटता रहो ,
नंदू मेह नित नाम ।
तापै देशांणै तखत ,
कापै दुबिधा कोय ।
आपे किरपा आप को ,
जापै जो उठ जोय ।
थापै सुख संपत थिरा ,
आपै सदा अनंद ।
मापै आखर मधुकरो ,
छापै दोहा छंद ।
चाह असंख घर चारणां ,
असंख लिय अवतार ।
असंख भगत उबारिया ,
महिष असंख दिय मार ।
पख पातां करनल प्रबल ,
इल पर अब लग आय ।
नव लख रूप धरण नमो ,
शुभ अख मधुकर साय ।

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