गिर गोरधन पूजन गिरधारन ,
सुख सिरजारन सार सही ।
दिय भाषण वासव दुतकारन ,
किसन उचारन बात कही ।
मत पुजो कोय जन मगवन नै ,
भगवन उणनै केम भणी ।
सर ऊपवन चरण धण सुरभी ,
धर अण बृज गिरराज धणी ।
सुण सुरराज कुबद कर सज धज ,
लज तज मेघ मलार लिया ।
कज वज वीज भलाभल कायम ,
दल गज बादल ताव दिया ।
घटा उमड़ घन घोर घुमड़ कर ,
सपत दिवड़़ हद सोर मचा ।
गिरधर जोर अंगुल पर गिरवर ,
सुख कर बृज धर श्याम सचा ।
मिट मगरुर हार भज माधव ,
गज गुमान तज इन्द्र गयो ।
भवी विख्यात भाव भर भँमर,
कवी सोहणो गीत कयो ।