March 21, 2023

भागवान रे भवन में, दोड़ै आगल दूत – कवि मधुकर माड़वा (भंवरदानजी)

भागवान रे भवन में ,
दोड़ै आगल दूत ।
भात बणावै भुंतणै ,
भमर कमावै भूत ।
भागवान रै भवन में ,
लछमां लेवै लूर ।
भमर सभागण भांमणी ,
दालद कर दै दूर ।
भागवान रे भवन में ,
रखै देव रेवास ।
भमर उवां नर भगवती ,
अवस पुरावै आस ।
भागवान री भमरिया ,
कोय न होड करन्त ।
नर बडम नसीब सें ,
सगला काज सरन्त ।
भागवान सुख भरणी ,
हरणी दुख हमेश ।
रुख जरणी मधुकर रटो ,
करणी मुख कवेश ।

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