गहू माता भगवान कृष्ण ओर करणी माता को बहुत प्रिय रही लेकिन आज कल लोग लोभ के कारण भेड़ बकरी तो घर में रखते है ओर गहू माता का तिरसकार करतै है एसे लोगां को प्रभु सदबुधी देणा इसि विषय के दोहै सादर निजर- कवि मधुकर माड़वा जैसलमेर
बिसारे गहू बाछरे ,
परवारे कर पाप ।
गेला धारे गाडरे ,
बकरे चारे बाप ।
लिया न धेन लवारिया ,
जिया गाडरां जोय ।
पिया अजा रा पानड़ा ,
हिया अकल ना होय ।
आय असर ओलाद में ,
पाय अजा तण पान ।
वाय घांनै ज्यु वंतलै ,
दाय ना भमर दान ।