गीत सालूर आखर उनतीस आद दो गुरु अंत एक गुरू बाकी सब लघु अक्षर कवि मधुकर।
रांमा रट सुमन सधर जन रघुवर , कमल चरण दरशण करणा ।
वांमा सिय परण वरण वन विचरण,कर निशचर रण खय करणा ।(1)
कांमा शुभ करण जरण दुख हरिजन ,जपण नरजण रख जरणा ।धांमा किय धरण तरण तन सुधरण ,किरपण करम कबुन करणा ।(2)
पाता सुख पुरण परम हिय परशण ,अवन सजन धन्य उधरणा ।गाता गुण धरण अवर नर उचरण ,विवरण हर हित दिय वरणा ।(3)
दाता भव तरण सरण मन दुनिवर ,भजन उरण भगतन भरणा ।माता दुख हरण करण सुख मधुकर ,समरण कर नित लिय सरणा ।👏🏻👏🏻⛳🕉