March 21, 2023

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पुर्व संध्या में यह काव्य श्री चरणां में सादर निजर- कवि मधुकर माड़वा हाल जेसलमेर।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पुर्व संध्या में यह काव्य श्री चरणां में सादर निजर- कवि मधुकर माड़वा हाल जेसलमेर।
अष्टम अज इला ऊपरां,
कष्टम हरि जज काप।
भष्टम हथ कज भमरा,
पष्टम पथ तज पाप।
आज ओही दिन है इल ऊपर,
माधव को जन्मोत्सव मनानी।
भादव मास अंधार लो भू पर,
आठम वो अधरात ही आनी।
धूम धड़ाम बजै मथुरा धर,
कृष्ण ही कृष्ण की धुन कहानी।
देस विदेस कहे कृष्णा दुनी,
भमंर भगती भाव भरानी।
वासुदेव पिताय रू देवकी माय रू,
जन्य जिकाय रू जेल में जानी   
गोकुल गाय रु नंद रमाय रू,
माय जशोदा रू धाय माँ मानी।
बांधव जो बलराय बताय रु,
रूखमण नार भयी पटरानी।
देस विदेस कहै कृष्णा दुनी ….
राजस्थान में नाथ जी ठाकुर,
बीठ्ठल जो महाराष्ट बखानी।
गोपाल युपी धर कृष्ण गोविन्द,
जगन नाथ उड़िसा में जानी।
भारत दक्षिण में वैक्टैश्वर,
दवारकाधीस गुजरात दिवानी।
देस विदेस कहै कृष्णा दुनी ….
मोर मुगट ओपै मुरली मुख,
वैजन्ती माल शोभै वरदानी।
सारंग हाथ धनुष शोभा हद,
पांचजन्य शंख घोर प्रमानी।
देखो खड़ा रथ सारथी दारूक,
सुदर्शन तणो चक्र सुजानी।
देस विदेस कहै कृष्णा दुनी …..
कारागार आसाम नरकासुर,
सोल हजार ही नार सयानी।
आसुर मार उवार कन्या अरी,
ईजत ब्याव करी घर आनी।
वृषभानु सुता विधर्भ देश की,
राधा बणी नर प्रेमिका रानी ।
देस विदेस कहै कृष्णा दुनी …
गर्ग गुरू दियै नाम गुणी वर,
कुल गुरू सांढिल्य श्रैष्ठ कहानी।
संदीपनी गुरू उजैन पुरषोतम,
ग्यान विधा गुरु पाय गुमानी।
विश्व गुरू धन्य आप विशम्बर,
आप की लीला तो आप ही जानी
देस विदेस कहै कृष्णा दुनी …
नीपात अनेक असूर निकंदन,
पूतना मासी को मोक्ष पठानी।
गेंद जो खेलत गोप गवालन,
कालिया नाग की ओर कहानी।
कंस रू कालजवान को मारके,
बाद में दवारका धाम बसानी।
देस विदेस कहै कृष्णा दुनी,….
भारत में महा भारत मांड के,
कोरव पांडव सेन कटानी।
धर्म थपाय के आय धरा पर,
पाप को नाश कराय पठानी।
काप दिया निज बंश यदु कुल,
जरा के हाथ वैकुन्ट ज ठानी।
देस विदेस कहै कृष्णा दुनी..
भादव मास में जन्म भचायकै,
ठाकर की हद भांत ठगानी।
माधव भीषम द्रोण मिटायके,
कर्ण लै पार्थ हाथ कटानी।
जादव को कुल नाश जचायकै,
आप अलोकिक धाम अटानी।
देस विदेस कहे कृष्णा दुनी,
भमंर भगती भाव भरानी।
       देस विदेस सगली दुनी,
       मुनी रिषी जन्म मनाय।
       गुनी जन गिरधर तो लगे,
       पुनी पुनी मधुकर पाय।

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