पाप बध्यो अण माप इला पर,
लाप अलाप हरै भुजलम्बा।
ताप संताप निवार तिका जप,
जाप करै उठता जगतम्बा।
वाप विलाप सुणो हम वेदन,
माप सरै किम होत विलम्बा।
काप सबां दुख दाप मधूकर,
आप धरै धणियाप माँ अम्बा।
सेवा मेरी स्वीकार शनीसर,
सार शंशार सखा शुभकारी।
देवा जेरी दरबार दिनंकर,
धार उचार दखा सत धारी।
ऐवा हेरी नर नार दुनीवर,
वार विचार रखा वृत वारी।
केवा तेरी जयकार मधूकर,
आर आधार अखा उपकारी।