315-काव्य कविराज भंवरदानजी मधुकर माड़वा के
भवरदानजी
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01.
बी जे पी की पार्टी सें ठाकर रिसाई बेठा,
ठेस पहुचाई बाई करी ते ठगाई है।
आपने ही लोगन का किया ताई अनादर,
पिछै पछताई जामें फर्क न पाई है।
चारण को चाई उण दिराई टिकट देखो,
आछो मोको थाई अबे कांग्रेस आई है।
मधुकर कामनाई करनल करे माई,
जडावत भाई तेरी जीत ले जचाई है।
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02.
चित कर करनल चारणी,
नित धर उठ ले नाम।
हित मधुकर भल दै हमां,
वित घर नर हरि वाम।
समपत सुख संपत सदा,
उकत जपत अनुराग।
सत पत रखत करनल सगत,
भमर भगत बड भाग।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
03.
गढवी धन गुजरात रो ,
साहित रतन सभाग ।
भाव नमन कर भमरिया ,
कवि वंदन नर काग ।
उकत जपत अनुराग।
सत पत रखत करनल सगत,
भमर भगत बड भाग।
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03.
गढवी धन गुजरात रो ,
साहित रतन सभाग ।
भाव नमन कर भमरिया ,
कवि वंदन नर काग ।
परम सदगुण तण पुतलो ,
दुरगण नह तन दाग ।
भण रसना जण भमरिया ,
काव्य शिरोमण काग ।
दुरगण नह तन दाग ।
भण रसना जण भमरिया ,
काव्य शिरोमण काग ।
सदा ज रखणा सादगी ,
अवल मणा अनुराग ।
धवल चित तणा मधुकरा ,
कवल सचा भण काग ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
04.
करणी करणी नित करो,
शरणी करणी साज।
करणी जो धरणी करे,
करणी पुरणी काज।
वरणी जरणी वेद में,
अशरण शरणी आख।
करणी तरणी मधुकरा,
नम धरणी नवलाख।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
05.
कीरत करणी री करो ,
धीरत मन में धार ।
भीरत मायड़ भमरिया ,
बीरत लहत उबार ।
अवल मणा अनुराग ।
धवल चित तणा मधुकरा ,
कवल सचा भण काग ।
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04.
करणी करणी नित करो,
शरणी करणी साज।
करणी जो धरणी करे,
करणी पुरणी काज।
वरणी जरणी वेद में,
अशरण शरणी आख।
करणी तरणी मधुकरा,
नम धरणी नवलाख।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
05.
कीरत करणी री करो ,
धीरत मन में धार ।
भीरत मायड़ भमरिया ,
बीरत लहत उबार ।
शुभ होय शनिराज, ओय उपवास आज,
कोय ना करै अकाज, गुण तोय गावे है ।
सोय सुख हो सकाज, भोय दुख जावे भाज ,
दुनी देवा मेटे दाज, सेवा जो सजावे है ।
नवै गृह करै नाज ,सबां शनि सिरताज ,
नमो गरिबां निवाज ,संत ना सतावे है ।
मधुकर भणे माज ,लोड़याल रखे लाज ,
करनला मोय काज ,आधे हेलै आवे है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
06.
प्रथम देवा पुजाल, राख हमां रिछपाल,
आरो वेगो ठा अंताल, हरो हरषात है।
लंबोदर ऊमा लाल, विनायक वरदाल,
भजे जापै करै भाल, थिर खुशी थात है।
बुध शुध दे बडाल, उद मुद टलै आल,
धावल मिटै धमाल, विगन विलात है।
दाता थूं दिनां दयाल, निरधनां करे न्याल,
मधुकर माला माल, वित बरसात है।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
07.
विगन विनाशक विनायक,
गण नायक गणराज।
कहलायक कव मधुकरो,
सुख दायक शुभ साज।
कोय ना करै अकाज, गुण तोय गावे है ।
सोय सुख हो सकाज, भोय दुख जावे भाज ,
दुनी देवा मेटे दाज, सेवा जो सजावे है ।
नवै गृह करै नाज ,सबां शनि सिरताज ,
नमो गरिबां निवाज ,संत ना सतावे है ।
मधुकर भणे माज ,लोड़याल रखे लाज ,
करनला मोय काज ,आधे हेलै आवे है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
06.
प्रथम देवा पुजाल, राख हमां रिछपाल,
आरो वेगो ठा अंताल, हरो हरषात है।
लंबोदर ऊमा लाल, विनायक वरदाल,
भजे जापै करै भाल, थिर खुशी थात है।
बुध शुध दे बडाल, उद मुद टलै आल,
धावल मिटै धमाल, विगन विलात है।
दाता थूं दिनां दयाल, निरधनां करे न्याल,
मधुकर माला माल, वित बरसात है।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
07.
विगन विनाशक विनायक,
गण नायक गणराज।
कहलायक कव मधुकरो,
सुख दायक शुभ साज।
जुनम करनल्ल जोगणी,
धुनम भल्ल उठ धात।
सुनम सफल कारज सबै,
पुनम अल्ल परभात।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
08.
*एक स्वारथ, दुसरा स्वाद, इन दो चिजां के कारण शंशार में जीवां की भाग दोड़ है मधुकर ।*
धुनम भल्ल उठ धात।
सुनम सफल कारज सबै,
पुनम अल्ल परभात।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
08.
*एक स्वारथ, दुसरा स्वाद, इन दो चिजां के कारण शंशार में जीवां की भाग दोड़ है मधुकर ।*
स्वारथ सें परमारथ हे सब,
काम अकारथ होत करारा।
साद संवाद सुखाद सुनाद सो,
प्यारी को पीव लगे हद प्यारा ।
वाद वेवाद हेवाद वधावत,
स्वाद सुकाज सबां स्विकारा।
मोह लिया दोय भाव मधुकर,
स्वारथ, स्वाद, ओ जीव शंशारा।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
09.
कार्तिक महिणै कोय, तिथी चहुदशी तोय,
ओरण परकमा ओय, पाप को नसावेगा।
वनरा वन है वोय, दुनी हाथ जोड़े दोय,
सती जती लो सकोय ,तापसी तपावेगा।
जिका जन जावे जोय, मनत मनावै होय,
तिका धन पावै तोय, संपत सुहावेगा।
करणी मंदिर कोय, सत फेरी देवै सोय,
भमर भरोसो मोय, पुन्य फल पावेगा।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
10.
अम्बा जिका उठता रटै ,
भुजलम्बा रख भाव ।
करे न विलम्बा करनला ,
अविलम्बा झट आव ।
काम अकारथ होत करारा।
साद संवाद सुखाद सुनाद सो,
प्यारी को पीव लगे हद प्यारा ।
वाद वेवाद हेवाद वधावत,
स्वाद सुकाज सबां स्विकारा।
मोह लिया दोय भाव मधुकर,
स्वारथ, स्वाद, ओ जीव शंशारा।
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09.
कार्तिक महिणै कोय, तिथी चहुदशी तोय,
ओरण परकमा ओय, पाप को नसावेगा।
वनरा वन है वोय, दुनी हाथ जोड़े दोय,
सती जती लो सकोय ,तापसी तपावेगा।
जिका जन जावे जोय, मनत मनावै होय,
तिका धन पावै तोय, संपत सुहावेगा।
करणी मंदिर कोय, सत फेरी देवै सोय,
भमर भरोसो मोय, पुन्य फल पावेगा।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
10.
अम्बा जिका उठता रटै ,
भुजलम्बा रख भाव ।
करे न विलम्बा करनला ,
अविलम्बा झट आव ।
विपत विडारे विसहथी ,
आफत टालत अम्ब ।
संपत सुख पावत सदा ,
जपत भमर जगतम्ब ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
11.
देस आजाद कराण विचारण,
चारण कारण वा मन चायो।
वेस दीगम्बर धारण वारण,
तारण मात्र भुमी तन तायो।
पेस जो ऐस तजी परिवारण,
भारण डारण रीस भरायो।
धैस लगा फिरगांण मधूकर,
कैशरी हा कुरबांण करायो।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
12.
लोहड़ को सिणगार लाजालूय ,
धोम धरा निज रूप धजाली ।
स्वैत पनंग ज्यू मुह सजाड़ीय ,
दाड़ीय धोलीय धार डाढाली ।
कमठ ज्यू लख पीठ कृपालीय ,
कालीय अंग किया विकराली ।
आरत अमर काज अंतालीय ,
भंमर माँ करणी शुभ भाली ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
13.
शेंष भुयग ज्यू केश सुहावत ,
भांण ज्यू नैण भंयकर भारी ।
अम्बर सें बड डील अपम्पर ,
ढाबल भोम ज्यू शोभत ढारी ।
तेजत्रिशूल जो हाथ तपै तण ,
तोल न चोल सकै त्रिपूरारी ।
कोटी खमा सुर बोल मधूकर ,
मोटी सबां करणी महतारी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
14.
वेकम दाज मिटाज विशम्बर ,
छेकम साज छनीछर छाई ।
तेकम ताज तजो अंग तम्मर ,
केकम लाज रखो किनियाई ।
नेकम काज करो नित नम्मर ,
ऐकम आज आशाड़ की आई ।
भेकम वाज तजो कव भम्मर ,
जेकम राज मेहा तण जाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
15.
कोय भजे ईस हू को अल्ला हू को भजै कोय,
कोय वाय गुरू कोय इशु की आवाजी है।
कोय हरी नारायण विष्णू रटात कोय ,
कोय श्री कृष्ण को ,राम कोय राजी है ।
कोय श्वेताम्बर पुजै दीगम्बर पुजै कोय ,
कोय खुदा खेतेश्वर जांम्भेश्वर जाजी है ।
कोय नवलाख देव भैरव भोमिया कोय ,
मधुकर कहै मोय , करनल माजी है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
16.
ओड़ लहो अरदास करो अड़ ,
चोथड़ सोम भजो चित चंगा ।
क्रोड़ गुना तन तोड़ कपारीय ,
गाज रही शीर पै नित गंगा ।
भोड़ भुतंग भुयंग टलै भय ,
श्रावण मास सती शिव संगा ।
धोड़ भली हथ जोड़ मधूकर ,
ओघड़ रूप नमो ईक लंगा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
17.
करदै जिणपै करणी किरपा ,
भरदै धन माल अखूट भंडारा ।
सरदै सब काज रखै सरदा ,
परदै हरदै दुख दूर पंडारा ।
वरदै शनीराज लछी वरषा ,
डरदै सब मेट हो पाप दंडारा ।
धरदै शिर पै मही हाथ मधूकर ,
माँ घर दै सब मोज मंडारा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
18.
कैत बड़ै विधवान कवैसर ,
जैत रहै घण शारद जाडी ।
जैत जचै कम रैत लछी घर ,
लैत पासो विष्णु वर लाडी ।
ऐत मनेत विवाह अवसर ,
आवत कोन रमा बिन आडी ।
हेत रखै नित वित मधूकर ,
दैत हमां देशनोक री डाडी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
19.
अमंगल टाल देवै अजंनी सुत ,
मंगल को हनुमान मनावो ।
दंगल दूर करै दुनियान में ,
साय सुमंगल वै सरसावो ।
पंगल पार करै परथी पर ,
तंगल जो मन ना तरसावो ।
कंगल को वित देत मधूकर ,
जंगल राय को नाम जपावो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
20.
भास्कर संपादक केसे तू भ्रमित भयो ,
मधुकर कहै तेरी केसी मती मारी है ।
करणी के लोगो पर केसै इतराज कियो ,
धीठ बुधी एसी केसे मन हू में धारी है ।
जरनी है जगत की करणी है नाम जाकां,
बीकानेर धरणी तो करै वारी वारी है ।
खास कर जता खेद सुणलो खबरदार ,
भमर कै यार तूनै करी भूल भारी है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
21.
चाय हमां करणी चरणी चित ,
साय सभाव सबां शरणी है ।
गाय नमां जो रिझाय गुणी नित ,
ताय की नाव तबां तरणी है ।
वाय अमां सुख संपत दै वित ,
आय उपाय तो ऊधरणी है ।
काय का सोच कराय मधूकर ,
धाय धणी करणी धरणी है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
22.
उकती चाहै तो सुरसती को उचार कर,
गुण गती चाहै तो तो भज गजा दान को।
सद गती चाहै तो लो राम की शरण सची,
मंगल चाहत नर रट हनुमान को।
लोभ अती चाहत तो लछमी रै फिर लारै,
मुगती चाहै तो रट माधव महान को।
सकती भमर चाह करणी जी सेव सदा,
भगती चाहै तो भज भोलै, भगवान को।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
23.
प्रीतम की प्यारी भुला, रूखमणी गिरधारी,
ओर सत्य भामा जेसी, नाह स्वीकारी है।
केसो समो किरतारी, भुला नारी भरतारी,
पतीवृता सारी वातो, बाका फाड़ बारी है।
कथ यै कुवारी थारी, बृजभानू वारी करै ,
जहां तहां चेनल में, एसी जयकारी है।
कलयुगी केवल यै यारी की ऊचारी करै ,
भँमर कै भारी देखो ,राधै धुन धारी है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
24.
कोई खोजी कहै कोई फोजी कहै,
मन मोजी कहै हम मानता है।
कोई नेता कहै कवी केता कहै,
दुख देता कोहूक बखांनता है।
को ब्यापारी कहै को कबारी कहै,
ठेकैदारी कहै ठग ठानता है।
कोहू डमर कैक आडमबर कै,
कवी भमर कौ सब जानता है।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
25.
सरल सभाव भोला मन सुन्दर,
ता नर मानव कैम सताड़ै ।
दानव ग्रह टलै दुख दारुण,
आसुर भाव क्यू चाह अताड़ै।
देव सहाय दिपाय दयानिधी,
वाह राजी शुभ राह वताड़ै ।
भाव प्रभाव भला हर भम्मर ,
लै किनियांण मां गोद लडाड़ै ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
26.
*कवित कृष्ण बावनी*
आफत टालत अम्ब ।
संपत सुख पावत सदा ,
जपत भमर जगतम्ब ।
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11.
देस आजाद कराण विचारण,
चारण कारण वा मन चायो।
वेस दीगम्बर धारण वारण,
तारण मात्र भुमी तन तायो।
पेस जो ऐस तजी परिवारण,
भारण डारण रीस भरायो।
धैस लगा फिरगांण मधूकर,
कैशरी हा कुरबांण करायो।
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12.
लोहड़ को सिणगार लाजालूय ,
धोम धरा निज रूप धजाली ।
स्वैत पनंग ज्यू मुह सजाड़ीय ,
दाड़ीय धोलीय धार डाढाली ।
कमठ ज्यू लख पीठ कृपालीय ,
कालीय अंग किया विकराली ।
आरत अमर काज अंतालीय ,
भंमर माँ करणी शुभ भाली ।
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13.
शेंष भुयग ज्यू केश सुहावत ,
भांण ज्यू नैण भंयकर भारी ।
अम्बर सें बड डील अपम्पर ,
ढाबल भोम ज्यू शोभत ढारी ।
तेजत्रिशूल जो हाथ तपै तण ,
तोल न चोल सकै त्रिपूरारी ।
कोटी खमा सुर बोल मधूकर ,
मोटी सबां करणी महतारी ।
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14.
वेकम दाज मिटाज विशम्बर ,
छेकम साज छनीछर छाई ।
तेकम ताज तजो अंग तम्मर ,
केकम लाज रखो किनियाई ।
नेकम काज करो नित नम्मर ,
ऐकम आज आशाड़ की आई ।
भेकम वाज तजो कव भम्मर ,
जेकम राज मेहा तण जाई ।
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15.
कोय भजे ईस हू को अल्ला हू को भजै कोय,
कोय वाय गुरू कोय इशु की आवाजी है।
कोय हरी नारायण विष्णू रटात कोय ,
कोय श्री कृष्ण को ,राम कोय राजी है ।
कोय श्वेताम्बर पुजै दीगम्बर पुजै कोय ,
कोय खुदा खेतेश्वर जांम्भेश्वर जाजी है ।
कोय नवलाख देव भैरव भोमिया कोय ,
मधुकर कहै मोय , करनल माजी है ।
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16.
ओड़ लहो अरदास करो अड़ ,
चोथड़ सोम भजो चित चंगा ।
क्रोड़ गुना तन तोड़ कपारीय ,
गाज रही शीर पै नित गंगा ।
भोड़ भुतंग भुयंग टलै भय ,
श्रावण मास सती शिव संगा ।
धोड़ भली हथ जोड़ मधूकर ,
ओघड़ रूप नमो ईक लंगा ।
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17.
करदै जिणपै करणी किरपा ,
भरदै धन माल अखूट भंडारा ।
सरदै सब काज रखै सरदा ,
परदै हरदै दुख दूर पंडारा ।
वरदै शनीराज लछी वरषा ,
डरदै सब मेट हो पाप दंडारा ।
धरदै शिर पै मही हाथ मधूकर ,
माँ घर दै सब मोज मंडारा ।
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18.
कैत बड़ै विधवान कवैसर ,
जैत रहै घण शारद जाडी ।
जैत जचै कम रैत लछी घर ,
लैत पासो विष्णु वर लाडी ।
ऐत मनेत विवाह अवसर ,
आवत कोन रमा बिन आडी ।
हेत रखै नित वित मधूकर ,
दैत हमां देशनोक री डाडी ।
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19.
अमंगल टाल देवै अजंनी सुत ,
मंगल को हनुमान मनावो ।
दंगल दूर करै दुनियान में ,
साय सुमंगल वै सरसावो ।
पंगल पार करै परथी पर ,
तंगल जो मन ना तरसावो ।
कंगल को वित देत मधूकर ,
जंगल राय को नाम जपावो ।
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20.
भास्कर संपादक केसे तू भ्रमित भयो ,
मधुकर कहै तेरी केसी मती मारी है ।
करणी के लोगो पर केसै इतराज कियो ,
धीठ बुधी एसी केसे मन हू में धारी है ।
जरनी है जगत की करणी है नाम जाकां,
बीकानेर धरणी तो करै वारी वारी है ।
खास कर जता खेद सुणलो खबरदार ,
भमर कै यार तूनै करी भूल भारी है ।
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21.
चाय हमां करणी चरणी चित ,
साय सभाव सबां शरणी है ।
गाय नमां जो रिझाय गुणी नित ,
ताय की नाव तबां तरणी है ।
वाय अमां सुख संपत दै वित ,
आय उपाय तो ऊधरणी है ।
काय का सोच कराय मधूकर ,
धाय धणी करणी धरणी है ।
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22.
उकती चाहै तो सुरसती को उचार कर,
गुण गती चाहै तो तो भज गजा दान को।
सद गती चाहै तो लो राम की शरण सची,
मंगल चाहत नर रट हनुमान को।
लोभ अती चाहत तो लछमी रै फिर लारै,
मुगती चाहै तो रट माधव महान को।
सकती भमर चाह करणी जी सेव सदा,
भगती चाहै तो भज भोलै, भगवान को।
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23.
प्रीतम की प्यारी भुला, रूखमणी गिरधारी,
ओर सत्य भामा जेसी, नाह स्वीकारी है।
केसो समो किरतारी, भुला नारी भरतारी,
पतीवृता सारी वातो, बाका फाड़ बारी है।
कथ यै कुवारी थारी, बृजभानू वारी करै ,
जहां तहां चेनल में, एसी जयकारी है।
कलयुगी केवल यै यारी की ऊचारी करै ,
भँमर कै भारी देखो ,राधै धुन धारी है ।
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24.
कोई खोजी कहै कोई फोजी कहै,
मन मोजी कहै हम मानता है।
कोई नेता कहै कवी केता कहै,
दुख देता कोहूक बखांनता है।
को ब्यापारी कहै को कबारी कहै,
ठेकैदारी कहै ठग ठानता है।
कोहू डमर कैक आडमबर कै,
कवी भमर कौ सब जानता है।
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25.
सरल सभाव भोला मन सुन्दर,
ता नर मानव कैम सताड़ै ।
दानव ग्रह टलै दुख दारुण,
आसुर भाव क्यू चाह अताड़ै।
देव सहाय दिपाय दयानिधी,
वाह राजी शुभ राह वताड़ै ।
भाव प्रभाव भला हर भम्मर ,
लै किनियांण मां गोद लडाड़ै ।
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26.
*कवित कृष्ण बावनी*
ऊकती ऊपाई ऐती ऊमर गमाई कछु ,
किनी न कंमाई काम ,भयो नी भलाई को ।
ओधी जब आई तब ,कोन है सहाई भाई ,
राई भर कछु न बसाई ठकुराई को ।
आई पहुचाई पछताई माई बाई
किनी न कंमाई काम ,भयो नी भलाई को ।
ओधी जब आई तब ,कोन है सहाई भाई ,
राई भर कछु न बसाई ठकुराई को ।
आई पहुचाई पछताई माई बाई
जाई छुट्यो नातो तुट्यो तांतो ,किसन सगाई को ।
ईहां तो सदाई धांम धूम ही मचाई
ईहां तो सदाई धांम धूम ही मचाई
पर ऊहां तो नही हे भाई ,राज पोपां बाई को ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
27.
*युधिष्टर उतर मधुकर।*
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
27.
*युधिष्टर उतर मधुकर।*
रसा हू तै भारी मात ,ऊचो पिता अम्बर सें ,
त्रीव मन वायु हू तै ,दाखु धर्म दाता है ।
तुल्य चिन्ता तिनकां के ,मृत्यू समें दान मीत ,
कर्ज नही लेता ,वही सुखी कहलाता है ।
नाही वस मन जाकै ,सोही शोक कारण सो ,
काजल सें काला वो तो ,कंलक कहाता है ।
भव बीच बड़ा दयावान ,भमरेस भणै ,
आलसी कै हाथां कबू धर्म ना धराता है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
28.
यक्ष के युधिष्टर सें प्रशन मधुकर।
रूप धर्मराज यक्ष प्रशन उतर भयै,
सोहु युधिष्टर भूप प्रसंग सुनाता है ।
रसा हू तै भारी कोन, ऊचो कोन अम्बर सें,
रसा हू तै भारी कोन, ऊचो कोन अम्बर सें,
त्रीव कोन मन हू तै ,दाख कोन दाता है ।
तुल्य सम तिनकां के ,मृत्यू समे कोन मीत ,
कहो है आलसी कोन , कोन सुख पाता है ।
कारण शोक का कोन, काजल सें काला कोन ,
बड़ा जग बीच कोन ,भमर भणाता है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
29.
मोदी मछरालो महा ,हिन्द को हेतालो होय ,
सबां सचियालो सखो ,भारत भूपालो है ।
ऊगर वाद आलो पर ,ऊरड़ अंतालो ओय ,
ऊगर वाद आलो पर ,ऊरड़ अंतालो ओय ,
खल दुष्ट ताको वह करत खेगालो है ।
दुनियां हवालो धन ,जाल जो फेलांणो जोय ,
दुनियां हवालो धन ,जाल जो फेलांणो जोय ,
कुडां कुबदालां को तो काढत देवालो है ।
जीव कौ जंजालो ऊण ,भँमर कै भालो भोय ,
जीव कौ जंजालो ऊण ,भँमर कै भालो भोय ,
कालै धन वालां को तो ,पाप ही कटालो है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
30.
पारख गिरधर पोथी मधुकर ।
परघल पोथी परखली ,
खरी अटकल कर खांत ।
जल उण्डा थल उजला ,
भल हल बीजल भांत ।
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30.
पारख गिरधर पोथी मधुकर ।
परघल पोथी परखली ,
खरी अटकल कर खांत ।
जल उण्डा थल उजला ,
भल हल बीजल भांत ।
मागण मोड़ मिठास री ,
भैली तोड़ भराव ।
किया कोड गिरधर कवी ,
चाखणिया भर चाव ।
भैली तोड़ भराव ।
किया कोड गिरधर कवी ,
चाखणिया भर चाव ।
ऊण्डा जल थल जिकां ऊजला निबंन्ध अखै ,
मेह तणै ठाकर को ,मोद सां मनायो है ।
मध्यकाल डिंगल कै काव्य की रचाई माल ,
रोही हरियाल जस ,रूंखड़ां रमायो है ।
जल जगदीस जांण ,बणा ऊठ रा बखांण ,
शीलता सुजांण ,साल्यां सासरो सजायो है ।
गण गोर ईशर को ,गुण गिरधारी गायो ,
रतनू रचायो ,भमरेस मन भायो है ।
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31.
ईकिसवी सदी आई ,बातां जुनी बिसराई ,
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31.
ईकिसवी सदी आई ,बातां जुनी बिसराई ,
फिलमी फैशन छाई ,लाज लो गमाई है ।
ओरतां आजादी पाई ,चलै चाल मन चाई ,
मोली पड़ी मड़दाई ,दिसे दुख दाई है ।
नेतां की नेताई नरां ,धूस जो धूताई धरां ,
सुती ओफिसरां साई ,लगाम लगाई है ।
कवियां की कविताई ,भमर सुणै को भाई ,
मिडिया वो हाई फाई , हाक जो मचाई है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
32.
जगदीस दासोड़ी गोरव गाथा पोथी पारख मधुकर ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
32.
जगदीस दासोड़ी गोरव गाथा पोथी पारख मधुकर ।
चारण समाज हू कै ,गोरव कि चाहना में ,
जगदीस रतनू लै ,ग्रन्थ को जचायो है ।
पृथी राज भवर को ,पूत है महा प्रवीण ,
चोज कर चारणां को ,वेद लै बनायो है ।
मांमाल देपावतां में ,मात करणी की मेर ,
देव तुल्य दासोड़ी सो ,गाम दरशायो है ।
नमन करू में धन्य ,लेखनी निजर पेख ,
पढी मधुकर पोथी ,परम सुख पायो है ।
संत सती सगती ,सुकवी ओर सूरवीर ,
संत सती सगती ,सुकवी ओर सूरवीर ,
चारणां कै गोरव को ,चाढ रंग चायो है ।
जबरी अनेक जाती ,रतनां की जानकारी ,
भेद इतियास भारी ,बड़ो मन भायो है ।
आदी काल हू तै ,आज तक कै ,जोगै अनेक ,
गाम जात अखियात , गेहरो गुण गायो है ।
कवी मधूकर घणै मान धनवाद कहै ,
ऐसो दस्तावेज ,कोहू निजर न आयो है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
33.
तो तो आ ईनाम कवी मधुकर तेरो पको ,
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
33.
तो तो आ ईनाम कवी मधुकर तेरो पको ,
जो तो जाट गती हू की ऊकती जचाई है ।
ओ तो राईको न याकी पारख बताय अती ,
ओ तो राईको न याकी पारख बताय अती ,
सो तो सबां पैली ,गती भेद सरसाई है ।
हो तो अब न्याय निषपक्ष तो हमारै हक ,
हो तो अब न्याय निषपक्ष तो हमारै हक ,
सो तो यह सही पक्ष सुधर्ढ लखाई है ।
लो तो अब ऊडीक में ,राख जीव लालायत ,
लो तो अब ऊडीक में ,राख जीव लालायत ,
ओ तो कवी मोहन। भेजै ,मनियाडर आई है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
34.
भांण सुजाण अजोद भयो भल ,
राजा हरीचंद तारा दे रांणी ।
कवल के काज काशी संग कांमण ,
बीच बाजार के जाय बिकाणी ।
रोहितास भुजंग डस्यो रजणी मृत ,
हाय हा मात की देख हेरांणी ।
क्या करुणा बणी जाण मधूकर ,
मांग रया पितु दांण मसांणी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
35.
आज लाल बहादुर दिवस।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
34.
भांण सुजाण अजोद भयो भल ,
राजा हरीचंद तारा दे रांणी ।
कवल के काज काशी संग कांमण ,
बीच बाजार के जाय बिकाणी ।
रोहितास भुजंग डस्यो रजणी मृत ,
हाय हा मात की देख हेरांणी ।
क्या करुणा बणी जाण मधूकर ,
मांग रया पितु दांण मसांणी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
35.
आज लाल बहादुर दिवस।
लाल बहादुर जंग जच्यो जद ,
पाकिस्थान फतै कर आया ।
हक दैस हेमात बड़ा हमलाकर ,
चातरग चीन को स्वाद चखाया ।
शास्त्री हिंन्द सपूत सचाईय ,
सादगी जीवन लोक सराया ।
अभिवादन भमर दै धनवाद वो ,
भारत पूत सबां मन भाया ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
36.
लवि शरण नवलाख री ,
रवि उदया चल रोज ।
कवि उठते करनल कहो ,
मधुकर अवि भल मोज ।
पाकिस्थान फतै कर आया ।
हक दैस हेमात बड़ा हमलाकर ,
चातरग चीन को स्वाद चखाया ।
शास्त्री हिंन्द सपूत सचाईय ,
सादगी जीवन लोक सराया ।
अभिवादन भमर दै धनवाद वो ,
भारत पूत सबां मन भाया ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
36.
लवि शरण नवलाख री ,
रवि उदया चल रोज ।
कवि उठते करनल कहो ,
मधुकर अवि भल मोज ।
चवि चरण रुख चारणी ,
सवि सुधरण सुख सोज ।
छवि खुशी उण घरण छती ,
तवि दुख उधरण तोज ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
37.
राम जी को दुत रंगी ,संतन के रहै संगी ,
सवि सुधरण सुख सोज ।
छवि खुशी उण घरण छती ,
तवि दुख उधरण तोज ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
37.
राम जी को दुत रंगी ,संतन के रहै संगी ,
चवां तोय जस चंगी ,बड़ो बजरंगी है ।
अखां अजरेल अंगी ,उधद चलै उडंगी ,
अखां अजरेल अंगी ,उधद चलै उडंगी ,
असुर मरोड़ अंगी ,जोध महा जंगी है ।
वाग को उजाड़ वंगी ,झाड़ जो मिटाड़ झंगी ,
वाग को उजाड़ वंगी ,झाड़ जो मिटाड़ झंगी ,
लंका को लताड़ लंगी ,दशानंन दंगी है ।
ताकव कि काढ तंगी ,पीड़ा तन मेट पंगी ,
ताकव कि काढ तंगी ,पीड़ा तन मेट पंगी ,
शनि दशा हो सुचंगी ,मधुकर मंगी है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
38.
पकड़ पला प्रताप रा ,
हकड़ हिन्दु हठीर ।
अकड़ बेठो लो आयनै ,
फकड़ सांमे फकीर ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
39.
कार्तिक शुध पक्ष कहाई ,
आई तेरस आज ।
माई भजलो मधुकरा ,
मेहाई महाराज ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
38.
पकड़ पला प्रताप रा ,
हकड़ हिन्दु हठीर ।
अकड़ बेठो लो आयनै ,
फकड़ सांमे फकीर ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
39.
कार्तिक शुध पक्ष कहाई ,
आई तेरस आज ।
माई भजलो मधुकरा ,
मेहाई महाराज ।
कहवाई जो करनला ,
करवाई वो काज ।
भलाई करै भमर कै ,
रिझवाई रिधु राज ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
40.
गीत करणी माता कवि मधुकर।
करवाई वो काज ।
भलाई करै भमर कै ,
रिझवाई रिधु राज ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
40.
गीत करणी माता कवि मधुकर।
अवल अल नाम नित अबल जन उचारे ,
दबल को करनल्ल तार देवी ।
चवल मन चाहना छवल खुशियां छति ,
चवल मन चाहना छवल खुशियां छति ,
सबल भल देत मां जबल सेवी ।
अगत इण वलु री दगत कुण उबारै ,
अगत इण वलु री दगत कुण उबारै ,
कगत उण कलु री वगत काची ।
जगत में भगत कै तिराया जोगणी ,
जगत में भगत कै तिराया जोगणी ,
सगत इक करनला मात साची ।
अमन सुख चेन वो थपावन अवन में ,
अमन सुख चेन वो थपावन अवन में ,
दमन कर दुष्ट जन देश द्रोही ।
समन जिण सजन सुख सृमंधी समापन ,
समन जिण सजन सुख सृमंधी समापन ,
तमन मन भजन नर करै तोही ।
तवस जन संतन मां अनेकां तारिया ,
तवस जन संतन मां अनेकां तारिया ,
थवस मन रखत उन काज थावै ।
भवस घर सुधारे देख कव भंमरिया ,
भवस घर सुधारे देख कव भंमरिया ,
अवस धर करनला वेल आवे ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
41.
भोर हुवी उठ लोर भजो ,अठ पोर लहो करणी तण ओला ।
गोर करै सुण सोर लै गोद में ,ठोर दहै खुश होर ठठोला।
जोर चलै अग आलक जांमण ,बालक तोर कैता बड़ बोला ।
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41.
भोर हुवी उठ लोर भजो ,अठ पोर लहो करणी तण ओला ।
गोर करै सुण सोर लै गोद में ,ठोर दहै खुश होर ठठोला।
जोर चलै अग आलक जांमण ,बालक तोर कैता बड़ बोला ।
भँमर मोर भरोस सदा भल ,भाव विभोर रहो मन भोला ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
42.
ऐक दुराचारी संग अनेक वो अत्याचारी ,
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
42.
ऐक दुराचारी संग अनेक वो अत्याचारी ,
हुशियारी हत्यारी कै नृप मती न्यारी ही ।
लेक हद लाचारी कै परणाई कन्या प्यारी ,
लेक हद लाचारी कै परणाई कन्या प्यारी ,
धीस धजा डारी हारी ,एसी नीत धारी ही ।
मुगल अरी बिमारी ,देस की बिगारी दारी
मुगल अरी बिमारी ,देस की बिगारी दारी
जलाल की जारी हाय नवरोज नारी ही ।
वाह पता बलिहारी ,भमर भरोसा भारी ,
वाह पता बलिहारी ,भमर भरोसा भारी ,
रजपुती हिन्दवारी ,रांण रखवारी ही ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
43.
नृप मार चली अध रात हली ,
पीव सर्प डसी दुख हा पररै ।
मग चोर मिली बणजार लही ,
मुझ बेच दही गणिका घररै ।
सुत सेज रमी जद काठ चढी ,
जल पूर वही नदियां तिररै ।
महाराज के वास भयी गुजरी ,
इण छाछ को सोच कहा कररै ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
44.
आज मोदी बजट में गरीब किसान युवा बुजर्गां को काफी फायदा होगा कवित मधुकर ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
43.
नृप मार चली अध रात हली ,
पीव सर्प डसी दुख हा पररै ।
मग चोर मिली बणजार लही ,
मुझ बेच दही गणिका घररै ।
सुत सेज रमी जद काठ चढी ,
जल पूर वही नदियां तिररै ।
महाराज के वास भयी गुजरी ,
इण छाछ को सोच कहा कररै ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
44.
आज मोदी बजट में गरीब किसान युवा बुजर्गां को काफी फायदा होगा कवित मधुकर ।
पुंजी पती हुवा पट्ट ,गरीब करै गेगट्ट ,
जैटली तो झट्ट ,एसा बजट्ट बनाया है ।
खरीफ फसल मुल्य डैढ गुणा करै खेती ,
खरीफ फसल मुल्य डैढ गुणा करै खेती ,
हेती धरै किसानां का मन हरशाया है ।
लाखां युवा नोकरी लो ,छोकरी छोकरां शिक्षा ,
लाखां युवा नोकरी लो ,छोकरी छोकरां शिक्षा ,
डोकरी डोकरां दवा ,मोफत दिराया है ।
नमो मोदी किया न्याल ,कृषक हुता कंगाल ,
नमो मोदी किया न्याल ,कृषक हुता कंगाल ,
मधुकर माला माल ,भला धन भाया है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
45.
ओलिया ले अब ईस तणा अरे ,
मूर्ख हो गया धोलिया माथा ।
पेज अनाफ सनाफ पंपोलिया ,
फंद फंफोलिया में मन फाथा ।
बंद करो बकवास बंबोलिया ,
खार खंखोलिया जो जन खाथा ।
झोलिया पाप तणा झटकाय ने ,
भँमर ले भर भोलिया भाथा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
46.
जेसल मेर निवास जहां कवि साथ विराज रया करूणेसर ।
माँ करणी निज मन्दिर मायने ,भायने धाय जमायभूतेशर ।
आय के पाय लगां ऊठके नित आरत छंद अपो अमरेशर ।
मांन घणे पाय पूज मधूकर ,बावल नाम जपां बबलेशर ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
47.
जेसलमेर के सेर जिकेर में
बबर गेर मगेर बसायो ।
बावळ हेर के ढेर किया बढ ,
मेर की वां महादेव मनायो ।
पेर के फेर लगेर अंधेर पे ,
कांटा बिखेर मनां कलपायो ।
धेर की वेर हा लेर मधुकर ,
बा बबलेशर नाम बनायो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
48.
विघन विनाशक विकट विनायक ,
दायक लायक वा इकदन्ता ।
दोधर जोधर नार लम्बोधर ,
सोधर सुमुख धा सुख सन्ता ।
गजक्ष गणक्ष अध्यक्ष गजानन ,
मोदक भक्ष चढा मुषकन्दा ।
भालक चन्द्र सुतालक भँमर ,
चालक आय मिटायकचन्ता।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
49.
भारत के दखणाद भणे भल ,
आन्द्र प्रदेश कहेस अधोटो ।
कृष्णा काय नदाय कृपालय ,
शेल पूजाय धणी सखरोटो ।
शिव लिंगाय थपाय वां सुन्दर ,
मलिका अर्जूण धाम हे मोटो ।
भ्रमरी मात सहाय तां भंमर ,
दर्शण कीध दियो छंद दोटो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
50.
दवारका धाम के बाहर दाखता शम्भू का साखता नाम सुणिजे ।
धरम धरातमा देख धणी धन ,तन नागातमा देव तुणीजे ।
पुजन आय नमे परमातमा ,गा गुजरात मा धाम गुणीजे ।
मन कामना पूर्ण होत मधूकर ,धात जिके शीर पात धुणीजे ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
51.
महाराष्ट बडो जहां भीमा य शंकर ,
भूप भँयकर नाम हे भारी ।
पुणे तणो परखो परमेशर ,
अफला धून बडो अवतारी ।
मोट मोटेशर नाम मही पर ,
धार सहाद्र गिरी सतधारी ।
मानत नासीक आम मधूकर
थापत भोलाय धाम थपारी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
52.
गंग सखी य गोदावरी गूंजत ,
ओत त्रम्बकेशर धांम अमामी ।
ब्रह्म पहाड़ पे नाथ विराजत ,
नासीक नाम थप्यो हद नामी।
सब धाय देवाय सदाय शिरोमण ,
जाय जम्यो जहां अंतरजामी ।
भँमर दान सू गाथ भणे ,
हरनाथ पूरात सबां मन हांमी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
53.
आय विराज गया जहां ईशर ,
घूशमेशर दे नाम घूमाया ।
महाराष्ट में फेर आधार दियो मही ,
ओत जा ज्योत्रीलिंग ऊपाया ।
ओरंगाबाद धुरी धुर आगल ,
दोलता बाद के पास दिखाया ।
पाय पड़े कवि तो परमेशर ,
भँमर दान सदा मन भायो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
54.
धन भाग धवल ऊभो धरणी धर ,
निजर जेम सागे शिव नंदी ।
भल वाहन भार ऊठाय भूतेस को ,
ईश चढा मन लेत आनंदी ।
सुरभी संग त्याग सेवा सरसावतो ,
रंभावतो हेकल बांण रूड़ंदी ।
चित दे तोय चरावतो चारण ,
मोज मधूकर वा मलफंदी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
55.
बाबा बरफानी तनी उपासनी अंजनी ओ ,
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
45.
ओलिया ले अब ईस तणा अरे ,
मूर्ख हो गया धोलिया माथा ।
पेज अनाफ सनाफ पंपोलिया ,
फंद फंफोलिया में मन फाथा ।
बंद करो बकवास बंबोलिया ,
खार खंखोलिया जो जन खाथा ।
झोलिया पाप तणा झटकाय ने ,
भँमर ले भर भोलिया भाथा ।
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46.
जेसल मेर निवास जहां कवि साथ विराज रया करूणेसर ।
माँ करणी निज मन्दिर मायने ,भायने धाय जमायभूतेशर ।
आय के पाय लगां ऊठके नित आरत छंद अपो अमरेशर ।
मांन घणे पाय पूज मधूकर ,बावल नाम जपां बबलेशर ।
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47.
जेसलमेर के सेर जिकेर में
बबर गेर मगेर बसायो ।
बावळ हेर के ढेर किया बढ ,
मेर की वां महादेव मनायो ।
पेर के फेर लगेर अंधेर पे ,
कांटा बिखेर मनां कलपायो ।
धेर की वेर हा लेर मधुकर ,
बा बबलेशर नाम बनायो ।
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48.
विघन विनाशक विकट विनायक ,
दायक लायक वा इकदन्ता ।
दोधर जोधर नार लम्बोधर ,
सोधर सुमुख धा सुख सन्ता ।
गजक्ष गणक्ष अध्यक्ष गजानन ,
मोदक भक्ष चढा मुषकन्दा ।
भालक चन्द्र सुतालक भँमर ,
चालक आय मिटायकचन्ता।
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49.
भारत के दखणाद भणे भल ,
आन्द्र प्रदेश कहेस अधोटो ।
कृष्णा काय नदाय कृपालय ,
शेल पूजाय धणी सखरोटो ।
शिव लिंगाय थपाय वां सुन्दर ,
मलिका अर्जूण धाम हे मोटो ।
भ्रमरी मात सहाय तां भंमर ,
दर्शण कीध दियो छंद दोटो ।
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50.
दवारका धाम के बाहर दाखता शम्भू का साखता नाम सुणिजे ।
धरम धरातमा देख धणी धन ,तन नागातमा देव तुणीजे ।
पुजन आय नमे परमातमा ,गा गुजरात मा धाम गुणीजे ।
मन कामना पूर्ण होत मधूकर ,धात जिके शीर पात धुणीजे ।
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51.
महाराष्ट बडो जहां भीमा य शंकर ,
भूप भँयकर नाम हे भारी ।
पुणे तणो परखो परमेशर ,
अफला धून बडो अवतारी ।
मोट मोटेशर नाम मही पर ,
धार सहाद्र गिरी सतधारी ।
मानत नासीक आम मधूकर
थापत भोलाय धाम थपारी ।
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52.
गंग सखी य गोदावरी गूंजत ,
ओत त्रम्बकेशर धांम अमामी ।
ब्रह्म पहाड़ पे नाथ विराजत ,
नासीक नाम थप्यो हद नामी।
सब धाय देवाय सदाय शिरोमण ,
जाय जम्यो जहां अंतरजामी ।
भँमर दान सू गाथ भणे ,
हरनाथ पूरात सबां मन हांमी ।
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53.
आय विराज गया जहां ईशर ,
घूशमेशर दे नाम घूमाया ।
महाराष्ट में फेर आधार दियो मही ,
ओत जा ज्योत्रीलिंग ऊपाया ।
ओरंगाबाद धुरी धुर आगल ,
दोलता बाद के पास दिखाया ।
पाय पड़े कवि तो परमेशर ,
भँमर दान सदा मन भायो ।
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54.
धन भाग धवल ऊभो धरणी धर ,
निजर जेम सागे शिव नंदी ।
भल वाहन भार ऊठाय भूतेस को ,
ईश चढा मन लेत आनंदी ।
सुरभी संग त्याग सेवा सरसावतो ,
रंभावतो हेकल बांण रूड़ंदी ।
चित दे तोय चरावतो चारण ,
मोज मधूकर वा मलफंदी ।
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55.
बाबा बरफानी तनी उपासनी अंजनी ओ ,
मनाली सोलंग मनी अमंरनाथ मानी है ।
विराट लिंगा बनानी ,पैतीस फुटां प्रमानी ,
विराट लिंगा बनानी ,पैतीस फुटां प्रमानी ,
कुदरती करिशमानी ,होवत हेरानी है ।
हेमाचल हुलसानी ,देखै जावे दुनियानी ,
हेमाचल हुलसानी ,देखै जावे दुनियानी ,
प्रकास पुरी ध्यानी ,जानी पहचानी है ।
चमत्कारी चानी ,महादेव हु की मेरबानी ,
चमत्कारी चानी ,महादेव हु की मेरबानी ,
कलू में कहानी ,साची भमर बखानी है ।
भावार्थ– बाबा का दुसरा अमरनाथ धाम हिमाचल प्रदेस मनाली में पैतीस फुट बड़ा शिव लिंग बनता है ।जहां कभी हनुमान की माता अंजनी ने यहां उपासना करकै भोलै बाबा सें पुत्र प्राप्ती का वरदान पाया था ।यह धाम पहाड़ो के बीच होनै के कारण वहां पहुचना मुशकिल होता था अभी कुछ साल पहलै प्रकासपुरी नाम के साधु नैजाकर वहां पहचान की अब लाखां लोग वहां आनै लगै है इस घोर कलयुग में कुदरत का करिश्मा देखकर लोग ताजुब करते है ।इसि भाव का आज कवित बनाया मधुकर ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
56.
आज सरकारी बजट पर कवित मधुकर निजर ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
56.
आज सरकारी बजट पर कवित मधुकर निजर ।
वसुन्धरा लाई बाई ,बजट बणाई बात ,
जन बहलाई एसा ,जूम्ला सजाई है ।
चार साल मन चाई ,आखिर लो शुधी आई ,
चार साल मन चाई ,आखिर लो शुधी आई ,
नोकरी झड़ी लगाई ,करी घोषणाई है ।
कृषी कर्ज माफ काई ,साफ बात की सचाई ,
कृषी कर्ज माफ काई ,साफ बात की सचाई ,
अनाफ सनाफ याई ,सबां हित छाई है ।
आज देख उमगाई ,लिखाई चुनावी लेख ,
आज देख उमगाई ,लिखाई चुनावी लेख ,
मधुकर लगी मेख ,वाई मिठी माई है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
57.
वाह वसुन्दर राज विराजत ,
चादर मेल चढी चमकाई ।
काह कड़प लगाय बजट का ,
गादर ठेल दिसै गिसकाई ।
आह अनादर कोण करै अब ,
आदर बेल सबां कज आई ।
जाह मधुकर भूल करै जिकां ,
सादर खेल तबां समझाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
58.
कविया कहाई यातो ,ऊचा घराना की याई ,
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57.
वाह वसुन्दर राज विराजत ,
चादर मेल चढी चमकाई ।
काह कड़प लगाय बजट का ,
गादर ठेल दिसै गिसकाई ।
आह अनादर कोण करै अब ,
आदर बेल सबां कज आई ।
जाह मधुकर भूल करै जिकां ,
सादर खेल तबां समझाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
58.
कविया कहाई यातो ,ऊचा घराना की याई ,
राजपुतां जाई आतो बारटां की बाई है ।
एम पी सें आई देखो ,मोटी महारांणी मांनो ,
एम पी सें आई देखो ,मोटी महारांणी मांनो ,
धोलपुर ब्याई वातो जाटां की भोजाई है ।
गुजरां सगाई गुणां ,पूत परणाई ओत ,
गुजरां सगाई गुणां ,पूत परणाई ओत ,
सिंधिया बडाई जाकी भारत में छाई है ।
राजथान रिझाई वो जैपर रचाई राज ,
राजथान रिझाई वो जैपर रचाई राज ,
मालवा की मधुकर मांनै सब माई है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
59.
आज रै वसुन्धरा बजट री तारीफ नी करां तो कवियां री सत्यता नै वटो लागे इण वास्तै घाव तो वेरी रो सरावणो पड़ै । चार साल री बुराई में एक साल री भलाई सूं आज पलड़ो भारी निजर आ रयो सादर कवित मधुकर ।
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59.
आज रै वसुन्धरा बजट री तारीफ नी करां तो कवियां री सत्यता नै वटो लागे इण वास्तै घाव तो वेरी रो सरावणो पड़ै । चार साल री बुराई में एक साल री भलाई सूं आज पलड़ो भारी निजर आ रयो सादर कवित मधुकर ।
काफी कर्ज माफी करी योजना किशान हु की,
नोजवान छोकरां की नोकरी लगावांगा ।
मेस भता बढोतरी पुलिस पै मेरबान ,
मेस भता बढोतरी पुलिस पै मेरबान ,
कनेक्शन बिजली का कुवां पै करावांगा ।
मान रखा डोकरां का बस में किराया माफ ,
मान रखा डोकरां का बस में किराया माफ ,
वसुन्दरा बजट को केसै ना सरावांगा ।
आंगड़वाड़ी के जेसी मात वाड़ी मधुकर ,
आंगड़वाड़ी के जेसी मात वाड़ी मधुकर ,
महिला है मुख्यमंत्री मोज महिलावांगा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
60.
🕉🕉कवित 🕉🕉मधुकर🕉
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
60.
🕉🕉कवित 🕉🕉मधुकर🕉
समर मेहाई कवि भँमर करे सलाम ,
रटू तेरो नाम चित आठू जांम राखु मां
मेरी साय किजे महमाय तेरो विद्र मोटो
अम्ब अरदास कर आप जस आखु मां
अवर इला के देव धाम पै नमु तमाम
भाव नित नाम प्रणाम मुख भाखु मां
पूत जांण मात मोपे सदाई रखेगी प्रेम
दृढ विसवास दिल सदा एतो दाखु मां
🙏🏼🕉🙏🏼मधुकर 🙏🏼🕉🙏🏼⛳
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
61.
साज सोमवार शिव सगती समर सदा ,आज ओमकार इव उकती उचारू में ।
ताज तोमतार तिव तरती तरणी तार ,धाज धोमधार धिव धरती धुतारू में ।
काज कोमकार किव करती करणी कहै ,वाज वोमकार विव वरती विचारू में ।
राज रोजगार रिव रखती रैणव रीझ ,पाज प्रोपकार पथ भमर पुकारू में ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
62.
शिवा जी मराठा वंदन मधुकर
रटू तेरो नाम चित आठू जांम राखु मां
मेरी साय किजे महमाय तेरो विद्र मोटो
अम्ब अरदास कर आप जस आखु मां
अवर इला के देव धाम पै नमु तमाम
भाव नित नाम प्रणाम मुख भाखु मां
पूत जांण मात मोपे सदाई रखेगी प्रेम
दृढ विसवास दिल सदा एतो दाखु मां
🙏🏼🕉🙏🏼मधुकर 🙏🏼🕉🙏🏼⛳
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
61.
साज सोमवार शिव सगती समर सदा ,आज ओमकार इव उकती उचारू में ।
ताज तोमतार तिव तरती तरणी तार ,धाज धोमधार धिव धरती धुतारू में ।
काज कोमकार किव करती करणी कहै ,वाज वोमकार विव वरती विचारू में ।
राज रोजगार रिव रखती रैणव रीझ ,पाज प्रोपकार पथ भमर पुकारू में ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
62.
शिवा जी मराठा वंदन मधुकर
जिजां बाई जायो जिके ,पूत शाह पायो जिके ,
भुषण भणायो जिके ,भलो मन भायो हे ।
मराठां मनायो जिके ,समर सजायो जिके ,
हिन्द हरषायो जिके धरम पंथ धायो हे ।
आओरंग पे आयो जिके ,तूरक तपायो जिके,
धाक धमकायो जिके ,दिल्ली दमकायो हे ।
कवि भँमर कहायो जिके ,गेरो गुण गायो जिके ,
कवि भँमर कहायो जिके ,गेरो गुण गायो जिके ,
शिवो जी सवायो जिके शेर सरसायो हे ।
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63.
कोय भजे ईस हू को अल्ला हू को भजै कोय ,
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63.
कोय भजे ईस हू को अल्ला हू को भजै कोय ,
कोय वाय गुरू कोय इशु की आवाजी है ।
कोय हरी नारायण विष्णू रटात कोय ,
कोय हरी नारायण विष्णू रटात कोय ,
कोय श्री कृष्ण को ,राम कोय राजी है ।
कोय श्वेताम्बर पुजै दीगम्बर पुजै कोय ,
कोय श्वेताम्बर पुजै दीगम्बर पुजै कोय ,
कोय खुदा खेतेश्वर जांम्भेश्वर जाजी है ।
कोय नवलाख देव भैरव भोमिया कोय ,
कोय नवलाख देव भैरव भोमिया कोय ,
मधुकर कहै मोय ,करनल माजी है ।
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64.
जात जमातन काहू के जोर है ,भ्रातन मोद काहू भरणी को ।
काहु लठेतन खेतन काहू कै ,लेतन देतन की लरणी को ।
काहू के वेतन नेतन काहू कै ,सोय निकेतन की शरणी को ।
केतन हेतन होर मधूकर ,मेरै तो जोर है माँ करणी है ।
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65.
जय मां करणी कल ओर आज दो दिन रा कवित एक साथ सादर निजर मधुकर।
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64.
जात जमातन काहू के जोर है ,भ्रातन मोद काहू भरणी को ।
काहु लठेतन खेतन काहू कै ,लेतन देतन की लरणी को ।
काहू के वेतन नेतन काहू कै ,सोय निकेतन की शरणी को ।
केतन हेतन होर मधूकर ,मेरै तो जोर है माँ करणी है ।
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65.
जय मां करणी कल ओर आज दो दिन रा कवित एक साथ सादर निजर मधुकर।
बुधवार हूको बोय ,काव्य नही बण्यो कोय ,
सफर में जोय समें अभाव सुजानियै ।
समै दोपारै में साज ,शुरेश सोनी समाज ,
समै दोपारै में साज ,शुरेश सोनी समाज ,
अरपण पोथी आज ,महा ग्रंन्थ मानियै ।
आछी लिखी अनुराग ,रणभेरी छठा भाग ,
आछी लिखी अनुराग ,रणभेरी छठा भाग ,
आखर आखर आग ,दुजी अनुमानियै ।
जगदीश रतनू की कलम सरान जोग ,
जगदीश रतनू की कलम सरान जोग ,
विधवान मधुकर दासोड़ी बखाणियै ।(1)
वृस्पती आज वार ,उठ ना सक्यो अंधार ,
सुतो अधरात सार ,एसी नींद आई है ।
वणत विलम्ब तोहू ,जपै नाम जगतम्ब ,
वणत विलम्ब तोहू ,जपै नाम जगतम्ब ,
अवस उवारै अम्ब ,माफ करै माई है ।
आलसत तजा आव ,वखत भला बणाव ,
आलसत तजा आव ,वखत भला बणाव ,
भगत भराव भाव ,जागत जपाई है ।
भमर भरोसा भाई ,देशांणै की राई मोय ,
भमर भरोसा भाई ,देशांणै की राई मोय ,
मोड़ा बैगा करै माफ ,माई को मनाई है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
66.
काय करी भगती किनिया कुल ,
जाय मेहा घर जन्म जचायो ।
आय लियो अवतार इला पर ,
सातम शुकर वार सजायो ।
चाय चहुदस साल चमालिस ,
माय वा देवल हरष मनायो ।
धाय सदा गुण गाय मधूकर ,
वाय मां बिठूवां मान बधायो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
67.
आशु को मास आयो पख ऊजल ,
नवरता हद बात निराली ।
गाम सुवाप सुगाल परघल ,
दाखत जां शुभ आत दिवाली ।
धान धीणा सुख पात धहूपल ,
खेत रखात सबां खुशियाली ।
रीझात मरूधर मात करनल ,
भमर धावत बीस भुजाली ।
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68.
अणदै धाई उवेल ,पीछकै बचाई पेल ,
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66.
काय करी भगती किनिया कुल ,
जाय मेहा घर जन्म जचायो ।
आय लियो अवतार इला पर ,
सातम शुकर वार सजायो ।
चाय चहुदस साल चमालिस ,
माय वा देवल हरष मनायो ।
धाय सदा गुण गाय मधूकर ,
वाय मां बिठूवां मान बधायो ।
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67.
आशु को मास आयो पख ऊजल ,
नवरता हद बात निराली ।
गाम सुवाप सुगाल परघल ,
दाखत जां शुभ आत दिवाली ।
धान धीणा सुख पात धहूपल ,
खेत रखात सबां खुशियाली ।
रीझात मरूधर मात करनल ,
भमर धावत बीस भुजाली ।
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68.
अणदै धाई उवेल ,पीछकै बचाई पेल ,
आधै हेलै आई गेल दम्भी दरसाई है ।
बांणियै री थाई बेल ,जाज डुबाई जिकेल ,
बांणियै री थाई बेल ,जाज डुबाई जिकेल ,
हाथ लै बधाई हेल ,तुरन्त तिराई है ।
सेखै सदाई सहैल ,जबै कढवाई जैल ,
सेखै सदाई सहैल ,जबै कढवाई जैल ,
बीज हू फेरू बचेल ,साय सुरराई है ।
अबखी में पाई ऐल ,भगत भलाई भेल ,
अबखी में पाई ऐल ,भगत भलाई भेल ,
खलां जो खपाई खेल ,मधुकर माई है ।
जमराज धरां जाई ,लाखन को घरां लाई ,
जल में डुबाई जहां कोलात कहाई है ।
समरी देखो सधर ,किनियांनी काज कर ,
समरी देखो सधर ,किनियांनी काज कर ,
भूपै घर पानी भर ,परिण्डै पिलाई है ।
जेत को जिता जबर ,कमरू को नाश कर ,
जेत को जिता जबर ,कमरू को नाश कर ,
मोकल रथां बबर ,जोर जुड़वाई है ।
कांधल पाई कृपाण ,बीक बगसी बिकांण ,
कांधल पाई कृपाण ,बीक बगसी बिकांण ,
मधुकर को बखांण देणांण की माई है ।
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69.
जुखाम भराई जोर ,खांसी खरराई खोर ,
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69.
जुखाम भराई जोर ,खांसी खरराई खोर ,
अंग अमुझाई ओर ,ऊंग नही आई है ।
बिमारी बधाई वोर ,दुनी दुखदाई दोर ,
बिमारी बधाई वोर ,दुनी दुखदाई दोर ,
सांतको भराई सोर ,सूंग पल्लू सांई है ।
मांदगी हटाई मोर ,ठीक थाई ठम ठोर ,
मांदगी हटाई मोर ,ठीक थाई ठम ठोर ,
भरोसो रखाई भोर ,मोच मन मांई है ।
करणी सहाई होर ,मधुकर माई तोर ,
करणी सहाई होर ,मधुकर माई तोर ,
काई घबराई फेर ,केसो सोच कांई है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
70.
पाप बध्यो अण माप इला पर ,
लाप अलाप हरै भुजलम्बा ।
ताप संताप निवार तिका जप ,
जाप करै उठता जगतम्बा ।
वाप विलाप सुणो हम वेदन ,
माप सरै किम होत विलम्बा ।
काप सबां दुख दाप मधूकर ,
आप धरै धणियाप माँ अम्बा ।
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70.
पाप बध्यो अण माप इला पर ,
लाप अलाप हरै भुजलम्बा ।
ताप संताप निवार तिका जप ,
जाप करै उठता जगतम्बा ।
वाप विलाप सुणो हम वेदन ,
माप सरै किम होत विलम्बा ।
काप सबां दुख दाप मधूकर ,
आप धरै धणियाप माँ अम्बा ।
सेवा मेरी स्वीकार शनीसर ,
सार शंशार सखा शुभकारी ।
देवा जेरी दरबार दिनंकर ,
धार उचार दखा सत धारी ।
ऐवा हेरी नर नार दुनीवर ,
वार विचार रखा वृत वारी ।
केवा तेरी जयकार मधूकर ,
आर आधार अखा उपकारी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
71.
चेत कहू मन हेत रै चारण ,
ऐत ऐको गत ऊधरणी को ।
रेत नंचेत अहेत करै कुण ,
जेत रहेत पखो जरणी को ।
देत दुनेत सुखेत दयालम ,
सेत सबेत रखै शरणी को ।
धेत भुलेत निखेत मधूकर ,
नेत भजेत नमो करणी को ।(1)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
72.
गाय दुवाय रही जसोदा गुढै ,
आय उभो बृज को अवतारी ।
बांय पै हाथ धराय वा बालक ,
माय सैं मांगत खीर मुरारी ।
काय खिजाय कहु मन मोहन ,
ताय कराय में दूध तयारी ।
माय रही फुसलाय मधूकर ,
वाय छवी पर जाय में वारी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
73.
सोमवार को धाय नमो शिवजी शुभ ,माय मनाय भजो हनुमाना ।
ओमकार सहाय कहाय उवां ,भल थाय उपाय सजो भगवाना ।
वोमकार देवाय बधाय वंदै ,गुनी गाय छंदे तबजो गुनवाना ।
कोमकार रिछाय सदा करनी दुनी ,राय देशांन जो भमरदाना ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
74.
को उठताई सदाई करनल्ल ,
जंगल्ल राई का नाम जपाई ।
सो सुखदाई सहाई माँ सबल्ल ,
ओत अमंगल्ल ना कबू आई ।
जो जस गाई रिझाई जिकै भल्ल ,
मंगल्ल को हनुमान मनाई ।
तो दुखदाई हटाई वो दंगल्ल ,
भमर होत सुमंगल्ल भाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
75.
ओरत तीन गुणां उलखावत ,
ओगण ओर घणा अड़ड़ाती ।
सोरत का घर बार सुधारत ,
जो पण पूत सपूत जड़ाती ।
बोरत वो नर नार बिदोगत ,
पाव कूफैर जो आय पड़ाती ,
मोरत जो परणाय मधूकर ,
तो लछमी घर नाय लड़ाती ।
सार शंशार सखा शुभकारी ।
देवा जेरी दरबार दिनंकर ,
धार उचार दखा सत धारी ।
ऐवा हेरी नर नार दुनीवर ,
वार विचार रखा वृत वारी ।
केवा तेरी जयकार मधूकर ,
आर आधार अखा उपकारी ।
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71.
चेत कहू मन हेत रै चारण ,
ऐत ऐको गत ऊधरणी को ।
रेत नंचेत अहेत करै कुण ,
जेत रहेत पखो जरणी को ।
देत दुनेत सुखेत दयालम ,
सेत सबेत रखै शरणी को ।
धेत भुलेत निखेत मधूकर ,
नेत भजेत नमो करणी को ।(1)
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72.
गाय दुवाय रही जसोदा गुढै ,
आय उभो बृज को अवतारी ।
बांय पै हाथ धराय वा बालक ,
माय सैं मांगत खीर मुरारी ।
काय खिजाय कहु मन मोहन ,
ताय कराय में दूध तयारी ।
माय रही फुसलाय मधूकर ,
वाय छवी पर जाय में वारी ।
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73.
सोमवार को धाय नमो शिवजी शुभ ,माय मनाय भजो हनुमाना ।
ओमकार सहाय कहाय उवां ,भल थाय उपाय सजो भगवाना ।
वोमकार देवाय बधाय वंदै ,गुनी गाय छंदे तबजो गुनवाना ।
कोमकार रिछाय सदा करनी दुनी ,राय देशांन जो भमरदाना ।
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74.
को उठताई सदाई करनल्ल ,
जंगल्ल राई का नाम जपाई ।
सो सुखदाई सहाई माँ सबल्ल ,
ओत अमंगल्ल ना कबू आई ।
जो जस गाई रिझाई जिकै भल्ल ,
मंगल्ल को हनुमान मनाई ।
तो दुखदाई हटाई वो दंगल्ल ,
भमर होत सुमंगल्ल भाई ।
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75.
ओरत तीन गुणां उलखावत ,
ओगण ओर घणा अड़ड़ाती ।
सोरत का घर बार सुधारत ,
जो पण पूत सपूत जड़ाती ।
बोरत वो नर नार बिदोगत ,
पाव कूफैर जो आय पड़ाती ,
मोरत जो परणाय मधूकर ,
तो लछमी घर नाय लड़ाती ।
भीजत जो भल भाव सें भांमण ,
रीजत वो घण भांत रूपाली ।
वींधत हो कमखी बड भागण ,
क्रोधित तो बण नागण काली ।
खीजत जोय लखावत खांमण ,
बाघण ज्यू बणती विकराली ।
कीगत जीत सकै वो मधूकर ,
जो नर हो चाहै वामन जाली ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
76.
होली जै देखणी होय ,
जावो बरसांणै जोय ,
श्याम संग राधा सोय ,
गूंज गल्ली गल्ली है ।
ताम झाम हा तिकोय ,
देखो बृज द्रगां दोय ,
करो जा दीदार कोय ,
लठ्ठ मार लल्ली है ।
भेद भाव नाही भोय ,
कांमणै खेलातै कोय ,
मनां मुसकातै मोय ,
ओय रूप अल्ली है ।
बृज वाह होली वोय ,
सुणी ना दिठी सकोय ,
तोय अठै तोय तोय ,
भम्मर कै भल्ली है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
77.
बाण कबांण चढायकै छोडत ,
जाय को जोध को नाय जख्यो है
सारंग राग उचार सुणी पर ,
रीजत वो घण भांत रूपाली ।
वींधत हो कमखी बड भागण ,
क्रोधित तो बण नागण काली ।
खीजत जोय लखावत खांमण ,
बाघण ज्यू बणती विकराली ।
कीगत जीत सकै वो मधूकर ,
जो नर हो चाहै वामन जाली ।
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76.
होली जै देखणी होय ,
जावो बरसांणै जोय ,
श्याम संग राधा सोय ,
गूंज गल्ली गल्ली है ।
ताम झाम हा तिकोय ,
देखो बृज द्रगां दोय ,
करो जा दीदार कोय ,
लठ्ठ मार लल्ली है ।
भेद भाव नाही भोय ,
कांमणै खेलातै कोय ,
मनां मुसकातै मोय ,
ओय रूप अल्ली है ।
बृज वाह होली वोय ,
सुणी ना दिठी सकोय ,
तोय अठै तोय तोय ,
भम्मर कै भल्ली है ।
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77.
बाण कबांण चढायकै छोडत ,
जाय को जोध को नाय जख्यो है
सारंग राग उचार सुणी पर ,
रीझ न मृग भुजग रख्यो है ।
भांमण नैण कटाक्ष भयो भद ,
भांमण नैण कटाक्ष भयो भद ,
बंद जवान को नाय बख्यो है ।
धूणत शीस न कोय मधूकर ,
धूणत शीस न कोय मधूकर ,
लानत काव्य लिख्यो न लिख्यो है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
78.
को किरतार कृपाल करनल्ल ,
ओ अवतार आधार अवल्ला ।
सो सुखकार सुधार सु सबल्ल ,
जो जयकार जचार जपल्ला ।
वो बुधवार विचार सु विमल्ल ,
लो शुभकार ब्यापार सफल्ला ।
मो महतार उधार मधूकर ,
भो भय टार हमार हो भल्ला ।
ओ अवतार आधार अवल्ला ।
सो सुखकार सुधार सु सबल्ल ,
जो जयकार जचार जपल्ला ।
वो बुधवार विचार सु विमल्ल ,
लो शुभकार ब्यापार सफल्ला ।
मो महतार उधार मधूकर ,
भो भय टार हमार हो भल्ला ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
79.
होली मनानै के अलग अलग रिवाज है लेकिन षुषकर में तो कपड़ा फाड़ होली मनाई जा रही है ।कवित मधुकर निजर-
होली मनानै के अलग अलग रिवाज है लेकिन षुषकर में तो कपड़ा फाड़ होली मनाई जा रही है ।कवित मधुकर निजर-
रंग डार कही भंग खार कही, चंग धार कही नर धूम मचावै ।
जंग जार कही दंग दार कही ,बृज नार कही लठ लार बजावै ।
पिच्चकार कही जल तार कही , लग वार गुलाल कै गाल सुजावै ।
कार पुष्षकर यार मधूकर ,कपड़ा फार होरी कहलावै ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
80.
श्री देवी आतमा को भमर करै सलाम ,पदम श्री पहचान दुनिया में पाई है ।
श्री अम्मा येंजर जो उप नाम श्री देवी ,तेरा अगस्त तेसटा को इला पर आई है ।
तमिल मलयालम हिन्दी तेलगू फिल्म केती ,महा अभी नेत्री धरा धूम जो मचाई है ।
जोय पती बोनी छोड ,पुतरी जानवी खुशी ,सबां मुख मोड़ आज मसांण सिधाई है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
श्री अम्मा येंजर जो उप नाम श्री देवी ,तेरा अगस्त तेसटा को इला पर आई है ।
तमिल मलयालम हिन्दी तेलगू फिल्म केती ,महा अभी नेत्री धरा धूम जो मचाई है ।
जोय पती बोनी छोड ,पुतरी जानवी खुशी ,सबां मुख मोड़ आज मसांण सिधाई है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
81.
कोज सदा उठ तोज करनल्ल ,
सोज सकोज ऐकोज है सल्ला ।
भोज हरोज डरोज तरो भल्ल ,
वोज वडोज कलु मल वल्ला ।
रोज जिकोज रटोज निरमल्ल ,
लोज भजोज मेहोज की लल्ला ।
मोज करोज सुखोज मधूकर ,
तोज तिरै भव ओज तसल्ला ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सोज सकोज ऐकोज है सल्ला ।
भोज हरोज डरोज तरो भल्ल ,
वोज वडोज कलु मल वल्ला ।
रोज जिकोज रटोज निरमल्ल ,
लोज भजोज मेहोज की लल्ला ।
मोज करोज सुखोज मधूकर ,
तोज तिरै भव ओज तसल्ला ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
82.
आज चांनणी आपरै मन पसंद सफेद रंग सजाय सुरग सिधाई उण सफेदी रो कवित कवि मधुकर सादर निजर ।
श्री देवी चाई मन सदाई सफेद सोय, दुब्बयी सु आई वातो सफेद जहाज में ।
पालकी सफेद पाई बर्फ लैप सफेदाई , सफेद ही छवी सारी सजाई समाज में ।
सफेद ही गाड़ी सजी ,साड़ी फुलवाड़ी सजी ,सफेद अम्बाड़ी सजी ,सफेद रिवाज में ।
कमाई तो काली गाढी ,राम जांणै मधूकर ,बांनै आली लाडी गयी ,सफेद लिबाज में।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
पालकी सफेद पाई बर्फ लैप सफेदाई , सफेद ही छवी सारी सजाई समाज में ।
सफेद ही गाड़ी सजी ,साड़ी फुलवाड़ी सजी ,सफेद अम्बाड़ी सजी ,सफेद रिवाज में ।
कमाई तो काली गाढी ,राम जांणै मधूकर ,बांनै आली लाडी गयी ,सफेद लिबाज में।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
83.
शिरमोड़ सबां जस जोड़ विसोतर इन्दर तो अणमोड़ अखी है ।
आ रतनू वंश वार उजागर ,सागर धापु सुजान सखी है ।
रंग हो अही छतर पुर मरूधर ,राज पुरन्दर नाम रखी है ।
आ रतनू वंश वार उजागर ,सागर धापु सुजान सखी है ।
रंग हो अही छतर पुर मरूधर ,राज पुरन्दर नाम रखी है ।
धाय सदा महमाय मधूकर ,दाय खुड़द की राय दखी है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
84.
आर उचार करां अम्ब रा अल ,
वार विचार भला वृस्पत्ती ।
कार सुधार हमार करनल्ल ,
सो सुभ सार सवार सुन्नत्ती ।
गार रिझार दिधार गुणी गल ,
ओ उपकार चितार उन्नत्ती ।
मंझ धार हमां नित तार मधूकर ,
वो वृध धार उधार विन्नत्ती ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
वार विचार भला वृस्पत्ती ।
कार सुधार हमार करनल्ल ,
सो सुभ सार सवार सुन्नत्ती ।
गार रिझार दिधार गुणी गल ,
ओ उपकार चितार उन्नत्ती ।
मंझ धार हमां नित तार मधूकर ,
वो वृध धार उधार विन्नत्ती ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
85.
आप बिना तो करै कुण ओपर ,
लोफर पूत करै लफराई ।
जाप जपार तिका तुम जोपर ,
सोपर मेर करो सुरराई ।
ताप हटा तन रो हम तोपर ,
भोपर तोर भरोस भराई ।
काप सबै दुख टाल मधूकर ,
मोपर भाल करो महमाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
लोफर पूत करै लफराई ।
जाप जपार तिका तुम जोपर ,
सोपर मेर करो सुरराई ।
ताप हटा तन रो हम तोपर ,
भोपर तोर भरोस भराई ।
काप सबै दुख टाल मधूकर ,
मोपर भाल करो महमाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
86.
पोज मंडाड़न पिंगल को पढ्ढ ,
डढ्ढ करै केहू हठ्ठ जो डेली ।
ओज जडाड़न डिंगल की अढ्ढ ,
कढ्ढ कुकाड़ कुकंठ्ठ कढेली ।
सोज बखानन कोन करै सठ्ठ ,
अड्ड अदठ्ठ जो तान अखेली ,
मोज एसा गड्ड जड्ड मधूकर ,
बड्ड बोकाड़ सरै किम बेली ।
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डढ्ढ करै केहू हठ्ठ जो डेली ।
ओज जडाड़न डिंगल की अढ्ढ ,
कढ्ढ कुकाड़ कुकंठ्ठ कढेली ।
सोज बखानन कोन करै सठ्ठ ,
अड्ड अदठ्ठ जो तान अखेली ,
मोज एसा गड्ड जड्ड मधूकर ,
बड्ड बोकाड़ सरै किम बेली ।
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87.
साथ किया सणगार सहेलन ,हाथ लिया रंग खेलन होली ।
गाथ गुंथी मन में गहरेलन ,जाथ त्रिया संग वो हम जोली ।
नाथ मिलै बिच माग नवेलन ,बेलन वा दंग काहू न बोली ।
गाथ गुंथी मन में गहरेलन ,जाथ त्रिया संग वो हम जोली ।
नाथ मिलै बिच माग नवेलन ,बेलन वा दंग काहू न बोली ।
माथ नमा गल बाथ मधूकर ,भूल गयी रंग डारन भोली ।
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~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
88.
आज सु भांण भला ज ऊगा इल ,
साज सबांण सें रांमाय सांमा ।
वाज बडांण देवाज विसांहथ ,
धाज देशांण धीराज सु धांमा ।
लाज रखाण समाज करनल्ल ,
काज सुजांण सुधार सबांमा ।
माज बखांण सदाज मधूकर ,
हाज पुराण हमां मन हांमा ।
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साज सबांण सें रांमाय सांमा ।
वाज बडांण देवाज विसांहथ ,
धाज देशांण धीराज सु धांमा ।
लाज रखाण समाज करनल्ल ,
काज सुजांण सुधार सबांमा ।
माज बखांण सदाज मधूकर ,
हाज पुराण हमां मन हांमा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
89.
गोप गवालन संग गहीरल ,बाल मुकन्द धमाल मची ।
ओप अजान बृजाल अहीरल ,सो सुखकन्द नवाल सची ।
लोप लजाल अंताल लुभीरल ,ओ छल छंद वताल अची ।
कोप मनाल राधाल मधूकर ,नंद गोपाल आगाल नची ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
ओप अजान बृजाल अहीरल ,सो सुखकन्द नवाल सची ।
लोप लजाल अंताल लुभीरल ,ओ छल छंद वताल अची ।
कोप मनाल राधाल मधूकर ,नंद गोपाल आगाल नची ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
90.
आज होली के दिन भी नकलिस्थान का हमला इस भारत की हल चल कब थभेंगी पता नही तो यह कवित मधुकर निजर ।
हाल जो बैहाल इल भुचाल हिंदाल मची ,
नखलिस् थान झल दखल नवल है ।
काल उग्रवाद काशमीर ओ ओटाल रची ,
काल उग्रवाद काशमीर ओ ओटाल रची ,
पाक स्थान दल खलल प्रबल है ।
चाल बाज चीन चल चहल पहल जची ,
चाल बाज चीन चल चहल पहल जची ,
खालिस्थान गल अवल खलल है ।
मानव कुचाल विकराल देखो मधुकर ,
हिन्दु स्थान नित अल हल चल है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
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91.
साय सदाय रहाय शनीछर ,वाय राशी सुख दाय वणी है ।
धाय बंदा उठताय बुधीवर ,ताय कबु दुख नाय तणी है ।
दाय उपाय कराय दुनीवर ,गाय वृती शुभ थाय गुणी है ।
काय तू सोच कराय मधूकर ,माय रिधू शनियार मणी है ।
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धाय बंदा उठताय बुधीवर ,ताय कबु दुख नाय तणी है ।
दाय उपाय कराय दुनीवर ,गाय वृती शुभ थाय गुणी है ।
काय तू सोच कराय मधूकर ,माय रिधू शनियार मणी है ।
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92.
को नित प्रात जपात करनल्ल ,
तो दुख जावत होत न देरी ।
ओ हित थात धरात अप्रबल ,
वो रुख रोग नसात जो वेरी ।
हो चित मात उवांत रहै वल ,
जो मुख गावत कीरत जेरी ।
भो भयभीत न होत मधूकर ,
सो सुख पावत सांझ सवेरी ।
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तो दुख जावत होत न देरी ।
ओ हित थात धरात अप्रबल ,
वो रुख रोग नसात जो वेरी ।
हो चित मात उवांत रहै वल ,
जो मुख गावत कीरत जेरी ।
भो भयभीत न होत मधूकर ,
सो सुख पावत सांझ सवेरी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
93.
हाव न भाव जो काव्य होकारत ,
काय लिखा नह ठाय कवेसा ।
गाव जिकाव ऊधाव गुढारथ ,
ताय कबु निरखाय तवेसा ।
दाव सिखाव दुजां दुतकारत ,
राय दिखाव जो वाय रवेसा ।
काव कहाव हमाव मधूकर ,
आय कवीवर दै उपदेसा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
काय लिखा नह ठाय कवेसा ।
गाव जिकाव ऊधाव गुढारथ ,
ताय कबु निरखाय तवेसा ।
दाव सिखाव दुजां दुतकारत ,
राय दिखाव जो वाय रवेसा ।
काव कहाव हमाव मधूकर ,
आय कवीवर दै उपदेसा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
94.
आय जौमा हड़ुवो उजवालन ,
सुन्दर की तनुजा सुरराई ।
धाय देथा मिठड़ाय मही धन ,
आलमसर विराजत आई ।
जाय जो जमर थाय जिका दन ,
चेतर बीज पुजावत चाई।
माय सदा सुख दाय मधूकर ,
हेत रखाय सबां हरषाई ।
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सुन्दर की तनुजा सुरराई ।
धाय देथा मिठड़ाय मही धन ,
आलमसर विराजत आई ।
जाय जो जमर थाय जिका दन ,
चेतर बीज पुजावत चाई।
माय सदा सुख दाय मधूकर ,
हेत रखाय सबां हरषाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
95.
आज तो माँ करणी एक दम स्वस्थ करो मुझै बोत बड़ै प्रोग्राम करनै गुजरात जाना है।एसै भव्य आयोजन सें तो वंचित मत करो मावड़ी अर्ज मधुकर ।
ओ अंग रोग अधम्ब अटा अब ,
शूगर अम्ब हटा सुरराई ।
जो प्रोग्राम वडम्ब जिका ,
शूगर अम्ब हटा सुरराई ।
जो प्रोग्राम वडम्ब जिका ,
जगतम्ब केसै गुजरात में जाई ।
वो किम होत विलम्ब बता ,
वो किम होत विलम्ब बता ,
अविलम्ब माँ ठीक करो अब आई ।
सो करणी सबलम्ब सदा ,
सो करणी सबलम्ब सदा ,
भुजलम्ब करो भमरेस भलाई ।
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~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
96.
आज नाँर्थ ईष्ट में बी जे पी रो रंग चढायो कवि मधुकर ।
राज रचाय दियो भगवो रंग ,
जंग जो नार्थ ईष्ट जचाई ।
काज बिगाड़ कियो कांग्रेस को ,
लैफ्ट लफंग गी हार लड़ाई ।
साज सुचंग वा सतर साल में
आज पेली बार बी जे पी आई ।
शाह अमीत शाबास मधूकर ,
वाह मोदी हम देत बधाई ।
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काज बिगाड़ कियो कांग्रेस को ,
लैफ्ट लफंग गी हार लड़ाई ।
साज सुचंग वा सतर साल में
आज पेली बार बी जे पी आई ।
शाह अमीत शाबास मधूकर ,
वाह मोदी हम देत बधाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
97.
काप हमारी बिमारी करनल्ल ,
राज करो रिछपाल हो राजी ।
आप बन्या तो करै कुण ओपर ,
मोपर मेर करो अब माजी ।
ताप मिटाण भरोसो है तोपर ,
जोपर मां करुणा कर जाजी ।
मेट संताप मां आज मधूकर ,
आव वेगी सुण मोय आवाजी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
राज करो रिछपाल हो राजी ।
आप बन्या तो करै कुण ओपर ,
मोपर मेर करो अब माजी ।
ताप मिटाण भरोसो है तोपर ,
जोपर मां करुणा कर जाजी ।
मेट संताप मां आज मधूकर ,
आव वेगी सुण मोय आवाजी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
98.
सुरेन्द्र नगर में गढवी समेलन सो ,
विधवान आयै वहां पंडाल विशाला है ।
गिरधर रतनू के संग में अनेक गुणी ,
विधवान आयै वहां पंडाल विशाला है ।
गिरधर रतनू के संग में अनेक गुणी ,
चाडिया वां जोगीदान विराजै विचाला है ।
विडिया वणाय वोय ,कृपा कर भेजो कोय ,
विडिया वणाय वोय ,कृपा कर भेजो कोय ,
आय नही सक्यो ओय ,मोय वा मलाला है ।
कवी अनू जामंग को धन्यवाद मधूकर ,
कवी अनू जामंग को धन्यवाद मधूकर ,
पिंगल अरु डिंगल की खोली पाठ शाला है ।
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~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
99.
अभी युपी में सपा बसपा की दोस्ती पर योगी जी का बयान सवैया मधुकर ।
योगी कहै अफसोस युपी ,बसपा तो सपा अब दोस्त बड़ै है ।
सांप छछुन्दर की गत शत्रुन ,वाह दोनां बिल एक वड़ै है ।
बाह भतीज भुवा गठबंधन ,लाज तजै मिल साथ लड़ै है ।
मोदी तुफान को देख मधूकर ,खास शत्रु अब साथ खड़ै है ।
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सांप छछुन्दर की गत शत्रुन ,वाह दोनां बिल एक वड़ै है ।
बाह भतीज भुवा गठबंधन ,लाज तजै मिल साथ लड़ै है ।
मोदी तुफान को देख मधूकर ,खास शत्रु अब साथ खड़ै है ।
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100.
श्री धरणी उठ नाम रटो शुभ ,
श्री करणी सबकी शरणी है ।
श्री जरणी तरणी सब संकट ,
श्री करणी सुख की शरणी है ।
श्री चरणी बिन कोन सहायक ,
श्री करणी दुख की हरणी है ।
श्री वरणी मुख जाप मधूकर ,
श्री करणी करणी करणी है ।
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श्री करणी सबकी शरणी है ।
श्री जरणी तरणी सब संकट ,
श्री करणी सुख की शरणी है ।
श्री चरणी बिन कोन सहायक ,
श्री करणी दुख की हरणी है ।
श्री वरणी मुख जाप मधूकर ,
श्री करणी करणी करणी है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
101.
ऐक समें जग जोण अम्बिकाय ,
अदभूत रूप बनाकर आई ।
कोड किया शुद्ध नीत कुंभारीय ,
पूजन भोग गदै चढ पाई ।
शीतला वरदान दिया सुख संम्पत ,
हाथ झाड़ू दुख रोग हटाई ।
पूज्य सरूप अनूप करे पय ,
भँमर माँ जग काज भलाई ।
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अदभूत रूप बनाकर आई ।
कोड किया शुद्ध नीत कुंभारीय ,
पूजन भोग गदै चढ पाई ।
शीतला वरदान दिया सुख संम्पत ,
हाथ झाड़ू दुख रोग हटाई ।
पूज्य सरूप अनूप करे पय ,
भँमर माँ जग काज भलाई ।
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102.
मायड़ मान दिरावण खातर ,
धन्य जो आसण जाय धराता ।
भाषा तणा भुज भार उठार ,
हुकार भरी दिल्ली तखत हिलाता
आसंग झेल करै अंगीकार ओ ,
मोत स्वीकार करै मन माता ।
कोण करै तुम होड मधुकर ,
देव कीशन पुरोहीत दाता ।
धन्य जो आसण जाय धराता ।
भाषा तणा भुज भार उठार ,
हुकार भरी दिल्ली तखत हिलाता
आसंग झेल करै अंगीकार ओ ,
मोत स्वीकार करै मन माता ।
कोण करै तुम होड मधुकर ,
देव कीशन पुरोहीत दाता ।
आसंग धर बेठै इडग ,
नर निरभय शुध नीत ।
देव किशन री देखजो ,
जगतम्ब राखै जीत ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
नर निरभय शुध नीत ।
देव किशन री देखजो ,
जगतम्ब राखै जीत ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
103.
आय तिका तिर जा अवनी पर ,
जाय जपाय वा वात जच्ची है ।
गाय जिका गिरराय गिरधर ,
ईस को धाय मुखाय अच्ची है ।
राय वो दाय रीझाय रघूवर ,
वाय कथाय सदाय वच्ची है ।
माय भजो उठताय मधूकर ,
साय सदा सुरराय सच्ची है ।
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जाय जपाय वा वात जच्ची है ।
गाय जिका गिरराय गिरधर ,
ईस को धाय मुखाय अच्ची है ।
राय वो दाय रीझाय रघूवर ,
वाय कथाय सदाय वच्ची है ।
माय भजो उठताय मधूकर ,
साय सदा सुरराय सच्ची है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
104.
ओ गुरूवार अंधार उठा अल ,
वो शुभ वार विचार वडल्ला ।
को किरतार उचार करनल्ल ,
सो सुखकार सुधार सु सल्ला ।
बो चितधार जिकार जुबां गल ,
भो भवतार उधार भु भल्ला ।
मो हितकार आधार मधूकर ,
जो जयकार रिझार जपल्ला ।
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वो शुभ वार विचार वडल्ला ।
को किरतार उचार करनल्ल ,
सो सुखकार सुधार सु सल्ला ।
बो चितधार जिकार जुबां गल ,
भो भवतार उधार भु भल्ला ।
मो हितकार आधार मधूकर ,
जो जयकार रिझार जपल्ला ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
105.
नारी दिवस के दिन नारी शक्ति को सादर नमन कवि मधुकर ।
आज नारी दिवस उचारी सतकारी अखां ,
संस्कारी धारी धन बड़ी शुभकारी है ।
सगती आदी सरूप भव भलै नमै भूप ,
सगती आदी सरूप भव भलै नमै भूप ,
प्रकृति परम रूप प्रभू रची प्यारी है ।
परा अपरा प्रमाणी जीव जन्तु धरा प्राणी ,
परा अपरा प्रमाणी जीव जन्तु धरा प्राणी ,
मानव दानव देवतांणी ,महतारी है ।
नारी उजियारी सबां जगत आधारी नमो ,
नारी उजियारी सबां जगत आधारी नमो ,
मधुकर कहै सारी रचना तमारी है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
106.
दादी पड़दादी दखां ,नांनी मांमी हद नांमी ।
चाची बडी देखो चखाँ ,अखां सब नार अमांमी ।
कन्या बहन कहाय , बहू बेटी घर वांमी ।
विधवा सिधवा वडम ,अडम मन अंतर जांमी ।
जनम नार जग में जिके ,परम सखी अरू प्यार री ।
मधुकर नमन नर कर मही ,निरख दुनी गत नार री ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
107.
वाय वडो चित्रकार बुधीवर ,
जाय कड़ी चित्र ताय जड़ी है ।
धाय छवी कर दाय माला धर ,
चाय बड़ी त्रिशूल छड़ी है ।
साय सबां वन राय सजाकर ,
आय हमां कर साय अड़ी है ।
माय नमो शिर नाय मधूकर ,
खास अम्बा संग ईन्द्र खड़ी है ।
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जाय कड़ी चित्र ताय जड़ी है ।
धाय छवी कर दाय माला धर ,
चाय बड़ी त्रिशूल छड़ी है ।
साय सबां वन राय सजाकर ,
आय हमां कर साय अड़ी है ।
माय नमो शिर नाय मधूकर ,
खास अम्बा संग ईन्द्र खड़ी है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
108.
सेव करो करणी शिव शंकर ,
ऐव दनंकर नाम उचारो ।
लेव धरो नित नेम इला पर ,
तेव शुभकर दोर तमारो ।
वेव नरो समरो ज विशम्बर ,
हेव शंशार सजोर सहारो ।
देव हरो हमरो दुख दालद ,
जेव मधूकर को जय कारो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
ऐव दनंकर नाम उचारो ।
लेव धरो नित नेम इला पर ,
तेव शुभकर दोर तमारो ।
वेव नरो समरो ज विशम्बर ,
हेव शंशार सजोर सहारो ।
देव हरो हमरो दुख दालद ,
जेव मधूकर को जय कारो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
109.
पाय नमो उठताय प्रभू गुण गाय शम्भू शुभ थाय गणेसा ।
साय करनल माय सबां हुलसाय मनाय सु धाय हमेसा ।
जाय जपाय तिराय जिका सुख दाय रहाय सदाय शनेसा ।
वाय वडा वरदाय वंदो रवीराय रीझाय कवी भमरेसा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
साय करनल माय सबां हुलसाय मनाय सु धाय हमेसा ।
जाय जपाय तिराय जिका सुख दाय रहाय सदाय शनेसा ।
वाय वडा वरदाय वंदो रवीराय रीझाय कवी भमरेसा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
110.
श्री श्री सादर सपूत धन्य सेखावत ,
पुलिस प्रमुख पद अमरसी पाया हा ।
सादगी सचाई अंग मन अंगीकार कर ,
सादगी सचाई अंग मन अंगीकार कर ,
अवल ईमानदार इला पर आया हा ।
सीकर जिला सुजान दाता रामगढ मान ,
सीकर जिला सुजान दाता रामगढ मान ,
बान आन शान बड़ा ठिकाना बताया हा ।
काछोर नमन करै राज कवी मधूकर ,
काछोर नमन करै राज कवी मधूकर ,
सबां सिरताज आज सुरग सिधाया हा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
111.
को अवनीस में जन्म अकारथ्थ ,
ईस भजै नही वो नर अन्धा ।
सो भवनीस को काम सुकारथ ,
धा जगदीस करै फिर धन्धा ।
जो नवनीस जपाय जथारथ ,
बीस भुजा जय बोलत बन्धा ।
धीस देशांण को नाम मधूकर ,
ओ बगसीस तो दैण आनंधा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
ईस भजै नही वो नर अन्धा ।
सो भवनीस को काम सुकारथ ,
धा जगदीस करै फिर धन्धा ।
जो नवनीस जपाय जथारथ ,
बीस भुजा जय बोलत बन्धा ।
धीस देशांण को नाम मधूकर ,
ओ बगसीस तो दैण आनंधा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
112.
ओम का नाम रटो उठता अब ,
वोम मादेव बडा बलकारी ।
रोम ही रोम में राम रचा रब ,
भोम सुता को भजो भव तारी ।
तोम नरै तकरार हरै तब ,
वोम मादेव बडा बलकारी ।
रोम ही रोम में राम रचा रब ,
भोम सुता को भजो भव तारी ।
तोम नरै तकरार हरै तब ,
कोम रक्षा करै मेह कुमारी ।
मोम हमां सुखकार मधूकर ,
सोम का वार सबां शुभकारी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
मोम हमां सुखकार मधूकर ,
सोम का वार सबां शुभकारी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
113.
आज दवाड़ा दिवस दिन मान सबरा भला हो महादेव सबां रा दुख दूर करै सवैया मधुकर ।
काड़ा वधाय रया किरणूकर ,
सूर सधा रुख थाय सवाड़ा ।
जाड़ा हटाय तपाय ज भूवर ,
नूर वधा मुख गाय नवाड़ा ।
आड़ा उपाय कराय अहूकर ,
ऊर मधा सुख दाय अवाड़ा ।
माड़ा वा करम मिटाय मधूकर ,
दूर दधा दुख जाय दवाड़ा ।
सूर सधा रुख थाय सवाड़ा ।
जाड़ा हटाय तपाय ज भूवर ,
नूर वधा मुख गाय नवाड़ा ।
आड़ा उपाय कराय अहूकर ,
ऊर मधा सुख दाय अवाड़ा ।
माड़ा वा करम मिटाय मधूकर ,
दूर दधा दुख जाय दवाड़ा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
114.
डोसी संमदां डुबाई ,जहाज तिराई जाई ,
डोसी संमदां डुबाई ,जहाज तिराई जाई ,
अणदो उबार लाई ,कोयर कढाई है ।
चोथ ऊंठ चटकाई ,चाखड़ बंधाई चाई ,
चोथ ऊंठ चटकाई ,चाखड़ बंधाई चाई ,
सेख सरसाई रूप ,समली सजाई है ।
काज असंखां कराई ,पार गिणतां न पाई ,
काज असंखां कराई ,पार गिणतां न पाई ,
जेत जेसांणै जपाई ,अफूठी मिटाई है ।
भरोसा जो रखै भाई ,अवस लखै अबखाई ,
भरोसा जो रखै भाई ,अवस लखै अबखाई ,
भमर अखै भलाई ,आई अम्बा आई है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
115.
गाय बंदा भगवान गुणीवर ,
मंगल को हनुमान मनावै ।
आय सदा अगवान इला पर ,
ओत अमंगल ना कबु आवै ।
काय अदा किनियान सुधा कर ,
जंगल राय जुबान जचावै ।
माय हंदा गुणगान मधूकर ,
भो दुख दंगल दूर भगावै ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
मंगल को हनुमान मनावै ।
आय सदा अगवान इला पर ,
ओत अमंगल ना कबु आवै ।
काय अदा किनियान सुधा कर ,
जंगल राय जुबान जचावै ।
माय हंदा गुणगान मधूकर ,
भो दुख दंगल दूर भगावै ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
116.
आज दिठी जेड़ी भाखी कटू सत्य अगर किसी भगत को ठेस पहुचै तो मधुकर को माफ करना सादर।
हाल राजनिती तणा देखा वो लिखा हवाल ,
अरी पारटी कै नेतै अँखियाँ मिलातै है ।
ताल मेल बणा अबै दोसती जो केतै ताकी ,
ताल मेल बणा अबै दोसती जो केतै ताकी ,
जबरी घुसाय संग हेत जतलातै है ।
काल दुषमण जिका आज दोस्त कहलाय ,
काल दुषमण जिका आज दोस्त कहलाय ,
लफरी जमाय रंग लोभ ललचातै है ।
जाल साज धोखै बाज ,रचै मधूकर राज ,
जाल साज धोखै बाज ,रचै मधूकर राज ,
बी जे पी आय सब कंचन हो जातै है ।
सपा आलां फैक्या सोय ,बी जे पी लै बख्या बोय,
अग्रवाल अख्या ओय ,आथ उमगावै है ।
राजपा जो बेठी रोय ,धणी धोरी माथा धोय ,
राजपा जो बेठी रोय ,धणी धोरी माथा धोय ,
तिका किरोड़ी नै तोय ,मान दै मनावै है ।
सोजै करम फूटा सोय ,हिया फूटा मिलै होय ,
सोजै करम फूटा सोय ,हिया फूटा मिलै होय ,
देश मिलै बोड़ै दोय ,हाथ जो मिलावै है ।
करतूतां देखो कोय ,जावती टांमक जोय ,
करतूतां देखो कोय ,जावती टांमक जोय ,
मधूकर भोय मोदी ,राजे तो रूलावै है ।
का अज हेत सरकार के नोकर, काज सचै मनहूज करै है ।
जा रणखेत में जूज जवान जो , धूत वो शीस उतार धरै है ।
वा अणबूज तो अन्न उपावत , खेत में देख किसान मरै है ।
सांसद स्वैत विधायक साहब , भमर मोज वो जेब भरै है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जा रणखेत में जूज जवान जो , धूत वो शीस उतार धरै है ।
वा अणबूज तो अन्न उपावत , खेत में देख किसान मरै है ।
सांसद स्वैत विधायक साहब , भमर मोज वो जेब भरै है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
117.
आज मोहन सा खेत सा को घणै मान बधाई पुलिस विभाग के चहुदा अधिकारियां को दारा एन काउंटर मे बरी किया इसि विषय पर कवित मधुकर निजर ।
दारा एनकाउंटारा सारा सच यारा देखो ,
एकादस साल आरा फैसला उचारा है ।
बेठारा दोषी बिचारा चहूदा नारा चोबारा ,
बेठारा दोषी बिचारा चहूदा नारा चोबारा ,
हाय कहा हत्यारा जो जेल हू में डारा है ।
धुतारा लगाय धारा दिया दुतकारा दूठ ,
सी बी आई हारा झूठ किया जो कबारा है ।
पुलिस वारा पोबारा कोर्ट द्वारा मधुकर ,
पुलिस वारा पोबारा कोर्ट द्वारा मधुकर ,
कानुन सहारा भारा जीत जयकारा है ।
सादर एस पी चनण सा नै निजर कवि मधुकर
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सादर एस पी चनण सा नै निजर कवि मधुकर
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
118.
आज गिरधर सा सें फोन पर बात हुई गुजरात प्रोग्राम के बारै मेंआपनै बताया बढिया सभा जुड़ी अनेक कवी विधवान पधारै थै सबसे बड़ी तारीफ वहां के काव्य कला की बताई ओर कविता जोड़ कला में राजस्थान के कवियां को आपने सराहा क्यूकी गुजरात की काव्य शेली विशेस कर दोहा छंद में वहां के विधवान मात्रा पर ध्यान नही देतै ओर आपनै बताया कुछ विधार्थियों को गीत बनाने की छंद बनानै की विधी बताई बड़ा शानदार समारोह रहा तो आपके मुह सें एसे भव्य आयोजन की तारीफ सुनकर में नही पहुच पाया इसका अफसोस के साथ यह कवित निजर ।
सुरेन्द्र नगर में संगत सजातो सोय ,
अदभूत सभा आतो उर अकुलातो में ।
बैरण बिमारी बातो अफसोस थातो ओय ,
महागण मोज मातो आनंद मनातो में ।
गीरधर गीत गातो बैतालीक छंद बातो ,
गीरधर गीत गातो बैतालीक छंद बातो ,
जोग अनू बीच जातो जाजम जमातो में ।
मोद हरषातो मनभातो कवी मधुकर ,
मोद हरषातो मनभातो कवी मधुकर ,
अवरां सिखातो यातो खुद सीख आतो में ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
119.
राम राज की स्थापना ओर रावण का नास करनै के लिए सभी देवताओ ने बंदरियां रिछणियां सें शादी करकै अपनै अंश प्रगट कियै इसि संद्रभ का यह कवित मधुकर निजर-
शीव अंश मारूती वो अंजनी उपाती पूत,
जुदा जुदा देव जाती ,धरा पर धाई है ।
बंदरियां रचा शादी ,रवी ईन्द्र राय जादी ,
बंदरियां रचा शादी ,रवी ईन्द्र राय जादी ,
बाली सुग्रीव आदी ,सपूत बताई है ।
नल आशिवन नली ,रिंछी विश्वकर्मा रली ,
नल आशिवन नली ,रिंछी विश्वकर्मा रली ,
जामवन्त महा बली ,पूतर जो पाई है ।
महा दाज रावण मिटाण काज मधूकर ,
महा दाज रावण मिटाण काज मधूकर ,
राम राज रचावण ,इला नर आई है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
120.
आज युपी में तीनां सीटै हारना पिछलै दिनां राजस्थान से भी तीन सीटै हारना ओर तो ओर गोरखपुर से हारना यह दरषाता है यह जान बुझकर हार रहै है ताकी आगै सहानुभुती पाकर पांच साल का पका काम किया जा सकै इसि अनुमान का कवित मधुकर ।
लोक तंत्र लारै कुड़ै कवल उचारै करै ,नेतां सोच न्यारै न्यारै अजब नजारै है ।
जान बूझ हारै आगे जीत कै तयारै जागै ,वोटर विचारै सानुभुती उर धारै है ।
दीसत दुखारै दीन दोय तीन सीट दारै ,नाँख थूक आंसु झारै डारै निसकारै है ।
मधुकर यारै कारै चतुर ठगारै मांटी ,छल छंद वारै ये तो महान धुतारै है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
121.
कै करणी करणी सुखकंदन,
सै शरणी शरणी सुख साजा ।
भै हरणी हरणी दुखभंजन ,
तै तरणी तरणी दख ताजा ।
वै चरणी चरणी लख वंदन ,
जै जरणी जरणी अख जाजा ।
धै धरणी धरणी जो मधूकर ,
लै वरणी वरणी रख लाजा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सै शरणी शरणी सुख साजा ।
भै हरणी हरणी दुखभंजन ,
तै तरणी तरणी दख ताजा ।
वै चरणी चरणी लख वंदन ,
जै जरणी जरणी अख जाजा ।
धै धरणी धरणी जो मधूकर ,
लै वरणी वरणी रख लाजा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
122.
जाय जपाय जिभ्या जगदीसर ,
आय उपाय सो उतम अत्ती ।
पाय पुजाय मनाय इला पर ,
माय भुलाय कबु नर मत्ती ।
वाय सदा वरदाय बुधी वर ,
गाय रिझाय पावो गुण गत्ती ।
काय का सोच कराय मधूकर ,
साय देशांण की राय सगत्ती ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आय उपाय सो उतम अत्ती ।
पाय पुजाय मनाय इला पर ,
माय भुलाय कबु नर मत्ती ।
वाय सदा वरदाय बुधी वर ,
गाय रिझाय पावो गुण गत्ती ।
काय का सोच कराय मधूकर ,
साय देशांण की राय सगत्ती ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
123.
माय करनल्ल धाय मही पर ,
गाय भू देव गया जस गाढा ।
आय पुरी अवधी इल ऊपर ,
जाय पुगा पथ वो दिस जाढा ।
ताय चितार घणा झुरकां अर ,
चित विलाप तणा रस चाढा ।
गाय बिसार गया रे मधूकर ,
ऐकर तो फिर आवरे आढा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
गाय भू देव गया जस गाढा ।
आय पुरी अवधी इल ऊपर ,
जाय पुगा पथ वो दिस जाढा ।
ताय चितार घणा झुरकां अर ,
चित विलाप तणा रस चाढा ।
गाय बिसार गया रे मधूकर ,
ऐकर तो फिर आवरे आढा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
124.
आर आधार उचार अप्रबल्ल ,
वार सदा शुभ कार विमल्ला ।
लार लाचार विचार निरमल्ल ,
पार पुकार पुगार प्रबल्ला ।
तार उबार धुतार तपोबल्ल ,
सार सबां सुख कार सबल्ला ,
कार सुधार हमार करनल्ल ,
भमर माँ उपकार हो भल्ला ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
वार सदा शुभ कार विमल्ला ।
लार लाचार विचार निरमल्ल ,
पार पुकार पुगार प्रबल्ला ।
तार उबार धुतार तपोबल्ल ,
सार सबां सुख कार सबल्ला ,
कार सुधार हमार करनल्ल ,
भमर माँ उपकार हो भल्ला ।
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125.
छेल छबेल छंटेल छतेलन ,
एण अंटैल जो नंद का लाला ।
टेल अगा जमनेल तटेलन ,
गैण रखेल मुकन्द गोपाला ।
गेल लगा अलबेल गवालन ,
नैण कटाक्ष करै नखराला ।
मेल भगा मन खेल मधूकर ,
बैण दिवानी वा बृज की बाला ।
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एण अंटैल जो नंद का लाला ।
टेल अगा जमनेल तटेलन ,
गैण रखेल मुकन्द गोपाला ।
गेल लगा अलबेल गवालन ,
नैण कटाक्ष करै नखराला ।
मेल भगा मन खेल मधूकर ,
बैण दिवानी वा बृज की बाला ।
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126.
आज अमावस छाज इला पर ,
थाज वा थावर वार थपाजी ।
काज सबां शुभ साज करनल्ल ,
धाज वा पाज विसाज धराजी ।
दाज अकाज मिटाज दुनि वर ,
ताज तबां सुख ताज तकाजी ।
माज आवाज सुणाज मधूकर ,
राज शनीछर हो हम राजी ।
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थाज वा थावर वार थपाजी ।
काज सबां शुभ साज करनल्ल ,
धाज वा पाज विसाज धराजी ।
दाज अकाज मिटाज दुनि वर ,
ताज तबां सुख ताज तकाजी ।
माज आवाज सुणाज मधूकर ,
राज शनीछर हो हम राजी ।
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127.
सभी मेहाई मधुकर समुह साथियां एवं समस्त हितेषियां को नव वर्ष नवरात्री शुभ कामना मधुकर।
पहुमी प्रगाल किरनाल उदय पिचोतर ,
नर निछराल भर घर साल नब्बका ।
किरपाल करनाल दुनी खुशियाल कर ,
किरपाल करनाल दुनी खुशियाल कर ,
झाल वा जंजाल आल व्याध खय झब्बका ।
धर रिछपाल रखवाल हर मरूधर ,
अवर सुगाल दुषकाल गय अब्बका ।
मेहाई हमार भाल समुह जो मधूकर ,
शुभकर साल सखराल हुय सब्बका ।
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~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
128.
ओड़ मिला अब वा अवनी पर ,
जोड़ कला जस गा जरणी का ।
छोड़ वला अवला छल छीदर ,
तोड़ तला बस आ तरणी का ।
पोड़ बजा मत ना परणी नर ,
भोड़ भला रस ला भरणी का ।
धोड़ घला हथ जोड़ मधूकर ,
कोड करा हस माँ करणी का ।
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जोड़ कला जस गा जरणी का ।
छोड़ वला अवला छल छीदर ,
तोड़ तला बस आ तरणी का ।
पोड़ बजा मत ना परणी नर ,
भोड़ भला रस ला भरणी का ।
धोड़ घला हथ जोड़ मधूकर ,
कोड करा हस माँ करणी का ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
129.
आज ही के दिन ब्रह्म इला पर ,
सृष्ट का काज अनूप सजाया ।
ताज तमां नवलाख नवंतर ,
आज दुर्गा नव रूप उपाया ।
साज हिन्दू नव साल सवंतर ,
विक्रम भूप जो आज बनाया ।
धाज करनल माज मधूकर ,
आज भला शुभ मोरत आया ।
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सृष्ट का काज अनूप सजाया ।
ताज तमां नवलाख नवंतर ,
आज दुर्गा नव रूप उपाया ।
साज हिन्दू नव साल सवंतर ,
विक्रम भूप जो आज बनाया ।
धाज करनल माज मधूकर ,
आज भला शुभ मोरत आया ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
130.
मंगल आरती गात मही पर ,
थात खुशी नवरात थपाया ।
प्रात समें नव नीत पुजा कर ,
भाव जमें भगती मन भाया ।
चात सदा चरणां चित चाकर ,
रात हमें उपवास रखाया ।
मात नमें जस गात मधूकर ,
शेल सुता अज रूप सजाया ।
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थात खुशी नवरात थपाया ।
प्रात समें नव नीत पुजा कर ,
भाव जमें भगती मन भाया ।
चात सदा चरणां चित चाकर ,
रात हमें उपवास रखाया ।
मात नमें जस गात मधूकर ,
शेल सुता अज रूप सजाया ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
131.
आय दुजा दिन थाय उचारत ,
साय करनल माय सरूप्पा ।
जाय कजा टलवाय जपावत ,
राय पुजा ब्रह्म चारणी रूप्पा ।
गाय तुजा गिर राय गुणी अत ,
भाय रजा शिर ताय लै भूप्पा ।
धाय जिका मन चाय मधूकर ,
पाय खुशी सुख दाय अनूप्पा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
साय करनल माय सरूप्पा ।
जाय कजा टलवाय जपावत ,
राय पुजा ब्रह्म चारणी रूप्पा ।
गाय तुजा गिर राय गुणी अत ,
भाय रजा शिर ताय लै भूप्पा ।
धाय जिका मन चाय मधूकर ,
पाय खुशी सुख दाय अनूप्पा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
132.
मोद मिथ्या जानकारी भरै मद ,
पोस्ट भेजै केहू पागल पन्धै ।
बोद बिन्या वो विनोद करै वद ,
धीठ नकल भरै उण धन्धै ।
जोद लखै प्रमोद खुशी जद ,
एठ कितेक अकल के अन्धै ।
भ्रामक बात करै जिण भमर ,
पेठ उडै क जमें पग बन्धै ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
पोस्ट भेजै केहू पागल पन्धै ।
बोद बिन्या वो विनोद करै वद ,
धीठ नकल भरै उण धन्धै ।
जोद लखै प्रमोद खुशी जद ,
एठ कितेक अकल के अन्धै ।
भ्रामक बात करै जिण भमर ,
पेठ उडै क जमें पग बन्धै ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
133.
काय वो काम पेलो करणी कर ,
राय जो राम रिदै में रखावै ।
चाय लो चन्द्रघंटा चरणी नर ,
वाय तमाम खुशी वरतावै ।
पाय ओ साम सुबै धरणी पर ,
ताय लै नाम तिका तिरजावै ।
धाय अमाम नमाम मधूकर ,
माय तो हाम पुरै मन चावै ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
134.
मालम नाय कहां वसै मालक ,
बालक जीव जुणी बण बिठ्ठा ।
शायब जो सज सेज सुभालक ,
पोढ रया वो भुजंग कि पिठ्ठा ।
कायम बात बेठा हर पालक ,
दोढ लछी पग चांपत दिठ्ठा ।
वा सब मांय घटो घट व्यापक ,
मान मधूकर पारख मिठ्ठा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
राय जो राम रिदै में रखावै ।
चाय लो चन्द्रघंटा चरणी नर ,
वाय तमाम खुशी वरतावै ।
पाय ओ साम सुबै धरणी पर ,
ताय लै नाम तिका तिरजावै ।
धाय अमाम नमाम मधूकर ,
माय तो हाम पुरै मन चावै ।
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134.
मालम नाय कहां वसै मालक ,
बालक जीव जुणी बण बिठ्ठा ।
शायब जो सज सेज सुभालक ,
पोढ रया वो भुजंग कि पिठ्ठा ।
कायम बात बेठा हर पालक ,
दोढ लछी पग चांपत दिठ्ठा ।
वा सब मांय घटो घट व्यापक ,
मान मधूकर पारख मिठ्ठा ।
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135.
कलम कटार समुह कवी भल ,
लाग महेन्द्र कवी लिछमालू ।
भावुक मान वो दीप भाटी ,
वड भाग अजेस विराज विचालू ।
साख बधाय राखी धन सोढल ,
साग शम्भू श्रवणो सिरदालू ।
मान घणै जो बखान मधूकर ,
काग बडो विधवान है कालू ।
लाग महेन्द्र कवी लिछमालू ।
भावुक मान वो दीप भाटी ,
वड भाग अजेस विराज विचालू ।
साख बधाय राखी धन सोढल ,
साग शम्भू श्रवणो सिरदालू ।
मान घणै जो बखान मधूकर ,
काग बडो विधवान है कालू ।
कलम कटार समुह विधवानां के सम्मान में कवि मधुकर
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
136.
आज चोथो सज रूप इला पर ,
अम्ब अभीत रचाय अखण्डा ।
चाय सदा मन भाय चरा चर ,
चीत मनाय जो माय चामुण्डा ।
वाय हमां बगसाय विध्या वर ,
वीत सुनीत वधाय ब्रहम्णडा ।
काज रीधू करवाय मधूकर ,
क्रीत जपाय नमो कुष्मुण्डा ।
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अम्ब अभीत रचाय अखण्डा ।
चाय सदा मन भाय चरा चर ,
चीत मनाय जो माय चामुण्डा ।
वाय हमां बगसाय विध्या वर ,
वीत सुनीत वधाय ब्रहम्णडा ।
काज रीधू करवाय मधूकर ,
क्रीत जपाय नमो कुष्मुण्डा ।
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137.
मात मेहाई समुह गुणीवर ,
भाव सुजान बता बड भागी ।
केक बड़ै विखयात कवीवर ,
अवर सिखात केहु अनुरागी ।
वैताल गजेस अभेस गिरधर ,
पढे लिखे गुणता कव पागी ।
मोहन मिठड़ खेत मधूकर ,
अनुभव में वधता यह आगी ।
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भाव सुजान बता बड भागी ।
केक बड़ै विखयात कवीवर ,
अवर सिखात केहु अनुरागी ।
वैताल गजेस अभेस गिरधर ,
पढे लिखे गुणता कव पागी ।
मोहन मिठड़ खेत मधूकर ,
अनुभव में वधता यह आगी ।
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138.
पोह फुटी लो सवेर आ पंचम ,
पैर भला हरी हेर प्रभाता ।
जोह उठैर वो नाम जपा तुम ,
लैर करै लछमी घर लाता ।
ओह अवैर ना वैर अनूपम ,
देर करै नह दै सुख दाता ।
कोह करनल टेर मधूकर ,
मेर करै जो स्कंन्द की माता ।
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पैर भला हरी हेर प्रभाता ।
जोह उठैर वो नाम जपा तुम ,
लैर करै लछमी घर लाता ।
ओह अवैर ना वैर अनूपम ,
देर करै नह दै सुख दाता ।
कोह करनल टेर मधूकर ,
मेर करै जो स्कंन्द की माता ।
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139.
आन सबां किनियांन इला पर ,
मान बड़ी गज दान माता को ।
शान हमान रखान शनीसर ,
दीन दुखी शुभियान दाता को ।
हान गुमान न थान हमां पर ,
जान सुजान जपान जात्रा को ।
भान वैभान भजो कव भँमर ,
कान सुणै शुभ कालरात्री को ।
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मान बड़ी गज दान माता को ।
शान हमान रखान शनीसर ,
दीन दुखी शुभियान दाता को ।
हान गुमान न थान हमां पर ,
जान सुजान जपान जात्रा को ।
भान वैभान भजो कव भँमर ,
कान सुणै शुभ कालरात्री को ।
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140.
कातयानी भज रूप करनल ,
आज छठा नोरता भल आया ।
जात जानी बल तो जग जाहर ,
राज भरोस तमां रखवाया ।
आत बानी सुण बालक आतुर ,
साज मही खुशियां सुर राया ।
मात सही मेरवान मधूकर ,
काज वही शुभ जो कर वाया ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज छठा नोरता भल आया ।
जात जानी बल तो जग जाहर ,
राज भरोस तमां रखवाया ।
आत बानी सुण बालक आतुर ,
साज मही खुशियां सुर राया ।
मात सही मेरवान मधूकर ,
काज वही शुभ जो कर वाया ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
141.
आज भला दिन ऊगत आठम ,
गाज सरूप धराज माँ गोरी ।
ताज बडाज कहाज महातम ,
जाज देवां सरताज सजोरी ।
साज सबां समपै सुख संपत ,
दाज मिटाज आवाज आ दोरी ।
माज हमां शुभ काजमधूकर ,
राज समाज माँ लाज रखोरी ।
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गाज सरूप धराज माँ गोरी ।
ताज बडाज कहाज महातम ,
जाज देवां सरताज सजोरी ।
साज सबां समपै सुख संपत ,
दाज मिटाज आवाज आ दोरी ।
माज हमां शुभ काजमधूकर ,
राज समाज माँ लाज रखोरी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
142.
आख महा गोरी का दिन आठम ,
दाख भेली नवमी सिधीदाती ।
पाख करनल्ल मात परालम्ब ,
साख विसोतर जो सुख पाती ।
लाख नवै वो रीझात भुजालम्ब ,
भाख सबां भगतां मन भाती ।
ताख मधूकर दान श्रद्धा तम ,
राख सदा विसवास रीझाती ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
दाख भेली नवमी सिधीदाती ।
पाख करनल्ल मात परालम्ब ,
साख विसोतर जो सुख पाती ।
लाख नवै वो रीझात भुजालम्ब ,
भाख सबां भगतां मन भाती ।
ताख मधूकर दान श्रद्धा तम ,
राख सदा विसवास रीझाती ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
143.
कोय भजै करुणा निधी केशव ,
राघव कोय रटै रघुराई ।
कोय अला कोय ईस पुकारत ,
मानत को कुल देव मनाई ।
धावत ग्रह नक्षत्र धनंतर ,
पितर भोमिया कोय पुजाई ।
कोय कै इष्ट है कोय मधूकर ,
मोय तो केवल मात मेहाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
राघव कोय रटै रघुराई ।
कोय अला कोय ईस पुकारत ,
मानत को कुल देव मनाई ।
धावत ग्रह नक्षत्र धनंतर ,
पितर भोमिया कोय पुजाई ।
कोय कै इष्ट है कोय मधूकर ,
मोय तो केवल मात मेहाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
144.
काम पेलो उठतां करणी मन ,
नाम रिदै उन शीस नमावो ।
धाम देशांन बडो धरणी धन ,
गाम सुवाप जनम गुणावो ।
जाम आठां जपलै जरणी जन ,
बाम हरी संपती बगसावो ।
भाम खुशी भरणी भमरा भन ,
राम विजै दिन है दसरावो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
नाम रिदै उन शीस नमावो ।
धाम देशांन बडो धरणी धन ,
गाम सुवाप जनम गुणावो ।
जाम आठां जपलै जरणी जन ,
बाम हरी संपती बगसावो ।
भाम खुशी भरणी भमरा भन ,
राम विजै दिन है दसरावो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
145.
लेत हरी भज नाम लुभावत ,
देत सबां शुध बुध सदाई ।
ऐत खुशी आवड़ा उपजावत ,
हेत करनल माँ हरषाई ।
नेत कहै नित शीस नमावत ,
जेत फते कर दै जगराई ।
केत नमो जयकार मधूकर ,
चेत शुधी भल तेरस चाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
देत सबां शुध बुध सदाई ।
ऐत खुशी आवड़ा उपजावत ,
हेत करनल माँ हरषाई ।
नेत कहै नित शीस नमावत ,
जेत फते कर दै जगराई ।
केत नमो जयकार मधूकर ,
चेत शुधी भल तेरस चाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
146.
पारस नाम भजो परमेसर ,
सारस राम सदा सरसावै ।
काहस हाम पुरै करूणैसर ,
चाजस करनल काम जचावै ।
छारस आठ हू जाम छितिपर ,
आरस आम रिदा उमगावै ।
धारस धाम पुजाय मधूकर ,
बारस का बुधवार बतावै ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सारस राम सदा सरसावै ।
काहस हाम पुरै करूणैसर ,
चाजस करनल काम जचावै ।
छारस आठ हू जाम छितिपर ,
आरस आम रिदा उमगावै ।
धारस धाम पुजाय मधूकर ,
बारस का बुधवार बतावै ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
147.
आज करू अरदास अम्बा अब ,
वाज गजानंद गा वरदाया ।
चाज अच्छा दिन धाज चहूदस ,
छाज खुशी घर आनंद छाया ।
काज भला शुभ थाज करनल ,
राज कृपा घर ब्याव रचाया ।
माज बडा विसवास मधूकर ,
साज सूमंगल आ सुरराया ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
वाज गजानंद गा वरदाया ।
चाज अच्छा दिन धाज चहूदस ,
छाज खुशी घर आनंद छाया ।
काज भला शुभ थाज करनल ,
राज कृपा घर ब्याव रचाया ।
माज बडा विसवास मधूकर ,
साज सूमंगल आ सुरराया ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
148.
सार नमो शुभकार शनीछर ,
वार सदा सुखकार बतावै ।
आर करै उपकार इलापर ,
धार सचा मन जो नर धावै ।
रार मिटार उवार मरूधर ,
थार बडा धज धार थपावै ।
कार भला मनचार मधूकर ,
पार करनल माँ पहुचावै ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
149.
ऐक तारीक आ मास अप्रेल की ,
नेक ही काज कराय नवल्ला ।
लेक तसरीफ दे ओट करनल्ल ,
टेक रखेल हमेस टहल्ला ।
हेक तारीफ समाज हुवै भल्ल ,
वेक विवेक विचार विमल्ला ।
केक शरीफ उचार मधूकर ,
जेक बडा हम राय जांगल्ला ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
वार सदा सुखकार बतावै ।
आर करै उपकार इलापर ,
धार सचा मन जो नर धावै ।
रार मिटार उवार मरूधर ,
थार बडा धज धार थपावै ।
कार भला मनचार मधूकर ,
पार करनल माँ पहुचावै ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
149.
ऐक तारीक आ मास अप्रेल की ,
नेक ही काज कराय नवल्ला ।
लेक तसरीफ दे ओट करनल्ल ,
टेक रखेल हमेस टहल्ला ।
हेक तारीफ समाज हुवै भल्ल ,
वेक विवेक विचार विमल्ला ।
केक शरीफ उचार मधूकर ,
जेक बडा हम राय जांगल्ला ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
150.
पाव दे धोक भजां परमेशर ,
गा बड देव गजानंद गेरा ।
आव अबै करणी सुण ईन्दर ,
आवड़ आ कर साज उजेरा ।
धाव सदामद जो धरणी पर ,
चांमुण्ड चरण पुजां तव चेरा ।
भाव सचा भगती भण भमर ,
मावड़ काज अच्छा कर मेरा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
गा बड देव गजानंद गेरा ।
आव अबै करणी सुण ईन्दर ,
आवड़ आ कर साज उजेरा ।
धाव सदामद जो धरणी पर ,
चांमुण्ड चरण पुजां तव चेरा ।
भाव सचा भगती भण भमर ,
मावड़ काज अच्छा कर मेरा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
151.
परभात हुवी अब तो उठ ले पढ ,
मान घणे मुख नाम मेहाई ।
दुख दूर करे दुनियांण देवी ,
शुभयांण सबां सुखकार सदाई ।
जिवन धार आधार जिके ,
जयकार करे जपलो जगराई ।
भल भाव ऊचार सदा भँमरा ,
कथ माँ करूणा करणी कनियाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
मान घणे मुख नाम मेहाई ।
दुख दूर करे दुनियांण देवी ,
शुभयांण सबां सुखकार सदाई ।
जिवन धार आधार जिके ,
जयकार करे जपलो जगराई ।
भल भाव ऊचार सदा भँमरा ,
कथ माँ करूणा करणी कनियाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
152.
प्रात भयी भज लै परमेशर ,
लोहड़याल को नाम ज लेरो ।
गात गुणी भल माँ गिरजा हर ,
हाल करनल जो हम हेरो ।
आत जंजाल टला अवनी पर ,
घाल रयो कलिकाल जो घेरो ।
मात बिन्या अब देख मधूकर ,
कोन सहायक है अब केरो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
लोहड़याल को नाम ज लेरो ।
गात गुणी भल माँ गिरजा हर ,
हाल करनल जो हम हेरो ।
आत जंजाल टला अवनी पर ,
घाल रयो कलिकाल जो घेरो ।
मात बिन्या अब देख मधूकर ,
कोन सहायक है अब केरो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
153.
आन आवाज अधै अब आ, महीराज बडाज करनल्ल माजी ।
कान सुणाज सधै सब का , शनीराज सदा शुभ काज सकाजी।
कान सुणाज सधै सब का , शनीराज सदा शुभ काज सकाजी।
शान समाज वधै सुख दा, कवीराज तिकाज मिटाज अकाज।
मान रखाज मधुकर माँ, रवीराज तणा सुत हो हम राजी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
154.
जाय जपाय जिभ्या जगदीसर ,
आय उपाय सो उतम अत्ती ।
पाय पुजाय मनाय इला पर ,
माय भुलाय कबु नर मत्ती ।
वाय सदा वरदाय बुधी वर ,
गाय रिझाय पावो गुण गत्ती ।
काय का सोच कराय मधूकर ,
साय देशांण की राय सगत्ती ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आय उपाय सो उतम अत्ती ।
पाय पुजाय मनाय इला पर ,
माय भुलाय कबु नर मत्ती ।
वाय सदा वरदाय बुधी वर ,
गाय रिझाय पावो गुण गत्ती ।
काय का सोच कराय मधूकर ,
साय देशांण की राय सगत्ती ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
155.
बेल आवै करनेल बढा ,बबरेल चढा मही बीस भुजाली ।
पेल उठा नित नाम पढा ,जबरेल मढा में विराज जडाली ।
गेल उभा नव कूंट गढा ,सबरेल अढा रख भीर संचाली ।
सेल बेठा दिय मात सढा ,भमरेल द्रढा विसवास सुभाली ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
पेल उठा नित नाम पढा ,जबरेल मढा में विराज जडाली ।
गेल उभा नव कूंट गढा ,सबरेल अढा रख भीर संचाली ।
सेल बेठा दिय मात सढा ,भमरेल द्रढा विसवास सुभाली ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
156.
अम्ब कहो उठता अबरे, सबरे शुभ वाज सयै सुखकारी ।
जगतम्ब का नाम जपै जबरे, तबरै उण काज भयै निसतारी ।
भुजलम्ब उबार लयै भवरे, गवरै मुख गाज अयै गुणकारी ।
अविलम्ब पुकार सुणै अमरे, भमरे रख लाज भरोस माँ भारी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जगतम्ब का नाम जपै जबरे, तबरै उण काज भयै निसतारी ।
भुजलम्ब उबार लयै भवरे, गवरै मुख गाज अयै गुणकारी ।
अविलम्ब पुकार सुणै अमरे, भमरे रख लाज भरोस माँ भारी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
157.
ऐ जरणी वरणी अबको, जबको नर भमर ताय जपावे ।
भे हरणी तनको भभको, कबको घर दालद आय कपावै ।
बे चरणी शरणी सबको, धबको धर दोलत लाय धपावै ।
हे करणी अब दे हमको, तुमको कहू मात मो काय तपावै ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
भे हरणी तनको भभको, कबको घर दालद आय कपावै ।
बे चरणी शरणी सबको, धबको धर दोलत लाय धपावै ।
हे करणी अब दे हमको, तुमको कहू मात मो काय तपावै ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
158.
वा गण नायक हे वरदायक, आ उकती हम दै अनुरागी ।
ला शुभ दायक लाभ लुभायक, सा सुमती तुम दैण सभागी ।
धा सिधी पायक रिधी रिजायक, भा भगती जस गा बड भागी।
माँ सुख दायक जाप मधूकर गा सगती जुगती उर सागी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
159.
कैत बड़ै विधवान कवैसर, जैत रहै घण शारद जाडी।
जैत जचै कम रैत लछी घर, लैत पासो विष्णु वर लाडी।
ऐत मनेत विवाह अवसर, आवत कोन रमा बिन आडी।
हेत रखै नित वित मधूकर, दैत हमां देशनोक री डाडी।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
160.
दूज वेसाख भयी सुख दायक ,
सायक सूर उगाय शुभन्दा ।
पायक मंगल वा परचायक ,
वायक राम तणा पद वन्दा ।
ठायक काज भला ठसकायक ,
जायक लायक नाम जपन्दा ।
धायक मात देशांण धरायक ,
आयक भमर दैण आनंदा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सायक सूर उगाय शुभन्दा ।
पायक मंगल वा परचायक ,
वायक राम तणा पद वन्दा ।
ठायक काज भला ठसकायक ,
जायक लायक नाम जपन्दा ।
धायक मात देशांण धरायक ,
आयक भमर दैण आनंदा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
161.
चाय हमां करणी चरणी चित ,
साय सभाव सबां शरणी है ।
गाय नमां जो रिझाय गुणी नित ,
ताय की नाव तबां तरणी है ।
वाय अमां सुख संपत दै वित ,
आय उपाय तो ऊधरणी है ।
काय का सोच कराय मधूकर ,
धाय धणी करणी धरणी है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
साय सभाव सबां शरणी है ।
गाय नमां जो रिझाय गुणी नित ,
ताय की नाव तबां तरणी है ।
वाय अमां सुख संपत दै वित ,
आय उपाय तो ऊधरणी है ।
काय का सोच कराय मधूकर ,
धाय धणी करणी धरणी है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
162.
करदै जिणपै करणी किरपा ,
भरदै धन माल अखूट भंडारा ।
सरदै सब काज रखै सरदा ,
सरदै सब काज रखै सरदा ,
परदै हरदै दुख दूर पंडारा ।
वरदै शनीराज लछी वरषा ,
वरदै शनीराज लछी वरषा ,
डरदै सब मेट हो पाप दंडारा ।
धरदै शिर पै मही हाथ मधूकर ,
धरदै शिर पै मही हाथ मधूकर ,
माँ घर दै सब मोज मंडारा ।
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~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
163.
आज तो हालिय दिवस अमावस ,
साथ सोमावत वा सरसाई ।
साज पखां संग देख समागम ,
आथ ले ऊजल ऐकम आई ।
राज देशांण रखो रिछपाल माँ ,
माथ नमो करणी महमाई ।
काज भला शिव नाथ मधूकर ,
गाथ सदा शुभ कीरत गाई ।
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साथ सोमावत वा सरसाई ।
साज पखां संग देख समागम ,
आथ ले ऊजल ऐकम आई ।
राज देशांण रखो रिछपाल माँ ,
माथ नमो करणी महमाई ।
काज भला शिव नाथ मधूकर ,
गाथ सदा शुभ कीरत गाई ।
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164.
कै उठता करणी जन कीरत ,
बीस हथी मुख लैत बखाना ।
दै सुख दीन दयालू दया निधी ,
है शुभ मंगल जै हनुमाना ।
लै शरणा नवलाख लछीवर ,
तै दुख टालत देव तमाना ।
मै तज दै मन मोद मधूकर ,
वै शुध मारग वो विधवाना ।
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बीस हथी मुख लैत बखाना ।
दै सुख दीन दयालू दया निधी ,
है शुभ मंगल जै हनुमाना ।
लै शरणा नवलाख लछीवर ,
तै दुख टालत देव तमाना ।
मै तज दै मन मोद मधूकर ,
वै शुध मारग वो विधवाना ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
165.
ओ मुख धार सला अवनी अख ,
जो जय कार जपो जगराई ।
लो शुध लाभ भला भवनी लख ,
वो बुध वार नफो बतलाई ।
दो दर कार सुणै दुख दारूण ,
को किरपा कर दै किनियाई ।
मो करणी किरतार मधूकर ,
सो सुख कार सदा सरणाई ।
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जो जय कार जपो जगराई ।
लो शुध लाभ भला भवनी लख ,
वो बुध वार नफो बतलाई ।
दो दर कार सुणै दुख दारूण ,
को किरपा कर दै किनियाई ।
मो करणी किरतार मधूकर ,
सो सुख कार सदा सरणाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
166.
तीज ओखा अनरूध तणी तब ,
रीज सावा अणबूज रचाया ।
हीज खुशी परणा जब केशव ,
लीज पोता बहु को घर लाया ।
दीज आशिस बांणा सुर दानव ,
भीज भोला शिवजी भरमाया ।
कीज कृपा करनीज मधूकर ,
ईज अखीज भला दिन आया ।
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रीज सावा अणबूज रचाया ।
हीज खुशी परणा जब केशव ,
लीज पोता बहु को घर लाया ।
दीज आशिस बांणा सुर दानव ,
भीज भोला शिवजी भरमाया ।
कीज कृपा करनीज मधूकर ,
ईज अखीज भला दिन आया ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
167.
काज दिया शुभ साज करनल्ल ,
राज रिधु महाराज हो राजी ।
वाज रचाज विवाह सु विमल्ल ,
ताज कृपाज रखाज तो ताजी ।
आज हमांज खुशी घर अपल्ल ,
धाज गरीब निवाज लो धाजी ।
भाज सदा गुण गान मही भल्ल ,
मान रखाज मधूकर माजी ।
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राज रिधु महाराज हो राजी ।
वाज रचाज विवाह सु विमल्ल ,
ताज कृपाज रखाज तो ताजी ।
आज हमांज खुशी घर अपल्ल ,
धाज गरीब निवाज लो धाजी ।
भाज सदा गुण गान मही भल्ल ,
मान रखाज मधूकर माजी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
168.
ओर को नाम लियो न लियो अर ,
दोर ओ राम में चित दियो की ।
घोर खेंचै घम घोर निद्रा घर ,
जोर जवानी के तोर जियो की ।
ठोर सची ठम ठोर जो ठाकर ,
पोर पेलै हरी पान पियो की ।
भोर भयी उठ मोर मधूकर ,
करनल नाम लियो न कियो की ।
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दोर ओ राम में चित दियो की ।
घोर खेंचै घम घोर निद्रा घर ,
जोर जवानी के तोर जियो की ।
ठोर सची ठम ठोर जो ठाकर ,
पोर पेलै हरी पान पियो की ।
भोर भयी उठ मोर मधूकर ,
करनल नाम लियो न कियो की ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
169.
लोज करनल्ल नाम लखी कर ,
सोज समां घर काज सवायो ।
दोज तमां बहू दाम दनंकर ,
तोज हमां लछमां तरसायो ।
कोज कयो कछु हाम सुखीकर ,
वोज रमा रंग जो वरसायो ।
मोज दुकान सजाय मधूकर ,
ओज भलो शुभ मोरत आयो ।
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सोज समां घर काज सवायो ।
दोज तमां बहू दाम दनंकर ,
तोज हमां लछमां तरसायो ।
कोज कयो कछु हाम सुखीकर ,
वोज रमा रंग जो वरसायो ।
मोज दुकान सजाय मधूकर ,
ओज भलो शुभ मोरत आयो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
170.
प्रात भयी दिन उगत पुनम ,
रात गयी शुभ भोर रचायो ।
सात सयी करणी भज सुनम ,
मात कयी नित मोज मनायो ।
आत न आंच इला पर उनम ,
गात सुखी जस मात जो गायो ।
भात भली भगती भमरा भन ,
थात खुशी मन आनंद थायो ।
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रात गयी शुभ भोर रचायो ।
सात सयी करणी भज सुनम ,
मात कयी नित मोज मनायो ।
आत न आंच इला पर उनम ,
गात सुखी जस मात जो गायो ।
भात भली भगती भमरा भन ,
थात खुशी मन आनंद थायो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
171.
चात मनां परभात को चारण ,
जात करनल्ल नाम जपायो ।
तात हमां तिरलोक की तारण ,
बात बणै जस तो विरदायो ।
मात को जाप जपात मधूकर ,
छात खुशी घर आनंद छायो ।
रात जो तेरस थात ओ जागरण ,
प्रात लो आज मोड़ो उठ पायो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जात करनल्ल नाम जपायो ।
तात हमां तिरलोक की तारण ,
बात बणै जस तो विरदायो ।
मात को जाप जपात मधूकर ,
छात खुशी घर आनंद छायो ।
रात जो तेरस थात ओ जागरण ,
प्रात लो आज मोड़ो उठ पायो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
172.
अती भलो दिन आज इला पर ,
छती छनिछर तेरस छाई ।
गती मिलै घर बार गुणी वर ,
सपंती काज दुकान सजाई ।
सुमंती दै शनिराज शुभंकर ,
उनंती दै लछमां घर आई ।
मती करो कछु सोच मधूकर ,
मोज दियै तुझ मात मेहाई ।
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छती छनिछर तेरस छाई ।
गती मिलै घर बार गुणी वर ,
सपंती काज दुकान सजाई ।
सुमंती दै शनिराज शुभंकर ,
उनंती दै लछमां घर आई ।
मती करो कछु सोच मधूकर ,
मोज दियै तुझ मात मेहाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
173.
परभात हुवी अब तो उठ ले पढ ,
मान घणे मुख नाम मेहाई ।
दुख दूर करे दुनियांण देवी ,
शुभयांण सबां सुखकार सदाई ।
जिवन धार आधार जिके ,
जयकार करे जपलो जगराई ।
भल भाव ऊचार सदा भँमरा ,
कथ माँ करूणा करणी कनियाई ।
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मान घणे मुख नाम मेहाई ।
दुख दूर करे दुनियांण देवी ,
शुभयांण सबां सुखकार सदाई ।
जिवन धार आधार जिके ,
जयकार करे जपलो जगराई ।
भल भाव ऊचार सदा भँमरा ,
कथ माँ करूणा करणी कनियाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
174.
कोयर के अध बीच अड़ी अब ,
पीड़ पड़ी अणदेस पुकारी ।
टेर झड़ी सुणतां दुख टारण ,
दुय मुखी बड़ीरूप दम्भारी ।
लाव लड़ी बंध बाहर लावत ,
अंत घड़ी उण मात उबारी ।
अम्ब खड़ी भगतां कज आतुर ,
भँमर भीड़ पड़ै जद भारी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
पीड़ पड़ी अणदेस पुकारी ।
टेर झड़ी सुणतां दुख टारण ,
दुय मुखी बड़ीरूप दम्भारी ।
लाव लड़ी बंध बाहर लावत ,
अंत घड़ी उण मात उबारी ।
अम्ब खड़ी भगतां कज आतुर ,
भँमर भीड़ पड़ै जद भारी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
175.
देज सबां दिन पेज दनंकर ,
तेज तनंकर जेठ तपावै ।
जेज अमेज बधेज जडंकर ,
नेज निशंकर ओ नरमावै ।
सेज सुखी घर बार शुभंकर ,
फेज खुशी जग मेज फैलावै ।
मोज करो उठ रोज मधूकर ,
हेज करनल्ल माँ हरषावै ।
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तेज तनंकर जेठ तपावै ।
जेज अमेज बधेज जडंकर ,
नेज निशंकर ओ नरमावै ।
सेज सुखी घर बार शुभंकर ,
फेज खुशी जग मेज फैलावै ।
मोज करो उठ रोज मधूकर ,
हेज करनल्ल माँ हरषावै ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
176.
आज अमावस रात गयी अब ,
ऊगत भांण लो ऐकम आई ।
साज शुधी पक्ष जेठ सयी सब ,
पूजत पांण खुशी हम पाई ।
राज कृपा कोई राम भजै रब ,
सूजत को आसरो सुरराई ।
काज हमार सुधार करनल ,
मंगत मांग मधूकर माई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
ऊगत भांण लो ऐकम आई ।
साज शुधी पक्ष जेठ सयी सब ,
पूजत पांण खुशी हम पाई ।
राज कृपा कोई राम भजै रब ,
सूजत को आसरो सुरराई ।
काज हमार सुधार करनल ,
मंगत मांग मधूकर माई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
177.
तीज शुधी वरतीज जेठां तप ,
लो शरणो झप लोहड़याली ।
कीज सदा सुख मात करनल्ल ,
भो दुख टाल जो बीस भुजाली ।
रीज हमां दिन रात रिधू रख ,
वो शुभ संपत दो विरदाली ।
धीज खुशी बगशीस मधूकर ,
ओ सुण साद माँ आव अंताली ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
लो शरणो झप लोहड़याली ।
कीज सदा सुख मात करनल्ल ,
भो दुख टाल जो बीस भुजाली ।
रीज हमां दिन रात रिधू रख ,
वो शुभ संपत दो विरदाली ।
धीज खुशी बगशीस मधूकर ,
ओ सुण साद माँ आव अंताली ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
178.
ईधक मास इला उलखावम ,
आवम जेठ शुधी उछरंगी ।
चांनणी चोथ गजानंद चावम ,
चावम जो मन वांछित चंगी ।
थांनणी मूरत दरश थपावम ,
पावम पूज मिटा सब पंगी ।
मांनणी बात मधूकर माहम ,
ताहम टाल सबां घर तंगी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आवम जेठ शुधी उछरंगी ।
चांनणी चोथ गजानंद चावम ,
चावम जो मन वांछित चंगी ।
थांनणी मूरत दरश थपावम ,
पावम पूज मिटा सब पंगी ।
मांनणी बात मधूकर माहम ,
ताहम टाल सबां घर तंगी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
179.
पांचम आज भयी परभात पो ,
वार रवी धर लो वरतायो ।
सांचम साज सयी शुरवात सो ,
सार हरी गुण सो सरसायो ।
वांचम कीरत जो वरदात वो ,
धार रिदै करणी उठ धायो।
आंच न आय सदा हरषात ओ ,
पार मधूकर हो सुख पायो ।
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वार रवी धर लो वरतायो ।
सांचम साज सयी शुरवात सो ,
सार हरी गुण सो सरसायो ।
वांचम कीरत जो वरदात वो ,
धार रिदै करणी उठ धायो।
आंच न आय सदा हरषात ओ ,
पार मधूकर हो सुख पायो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
180.
देहरादून में धाम दीगम्बर ,
मोहन जा महादेव मनाया ।
सेव अनैक करी संत साधुन ,
टपकेशर में वा टपकाया ।
दुग्ध रू नीर झरै झरणा दुय ,
पूजत लो मन वांछित पाया ।
हाथ जोड़ै न ऊभा दोय हाजर ,
भेला है कोन मधुकर भाया ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
मोहन जा महादेव मनाया ।
सेव अनैक करी संत साधुन ,
टपकेशर में वा टपकाया ।
दुग्ध रू नीर झरै झरणा दुय ,
पूजत लो मन वांछित पाया ।
हाथ जोड़ै न ऊभा दोय हाजर ,
भेला है कोन मधुकर भाया ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
181.
सोम है वार तो लो भज शंकर ,
ओम को नाम हियै अपणावो ।
वोम में व्यापक रूप विशम्बर ,
धोम तपै किरणाल को धावो ।
जोम जुबान रटो जगदीशर ,
रोम ही रोम में राम रमावो ।
कोम सहायक मात मधूकर ,
भोम पै राय देशांण भणावो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
ओम को नाम हियै अपणावो ।
वोम में व्यापक रूप विशम्बर ,
धोम तपै किरणाल को धावो ।
जोम जुबान रटो जगदीशर ,
रोम ही रोम में राम रमावो ।
कोम सहायक मात मधूकर ,
भोम पै राय देशांण भणावो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
182.
अमंगल टाल देवै अजंनी सुत ,
मंगल को हनुमान मनावो ।
दंगल दूर करै दुनियान में ,
साय सुमंगल वै सरसावो ।
पंगल पार करै परथी पर ,
तंगल जो मन ना तरसावो ।
कंगल को वित देत मधूकर ,
जंगल राय को नाम जपावो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
मंगल को हनुमान मनावो ।
दंगल दूर करै दुनियान में ,
साय सुमंगल वै सरसावो ।
पंगल पार करै परथी पर ,
तंगल जो मन ना तरसावो ।
कंगल को वित देत मधूकर ,
जंगल राय को नाम जपावो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
183.
आय भलो बुधवार इला पर ,
वाय सु वार वोपार वधावो ।
साय सुधार रटाय सिया वर ,
गाय रीझाय हरी गुण गावो ।
धाय सदाय सहाय वंशीधर ,
पाय खुशी वित ताय पुजावो ।
काय का सोच कराय मधूकर ,
राय देशांण की माय रिजावो ।
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वाय सु वार वोपार वधावो ।
साय सुधार रटाय सिया वर ,
गाय रीझाय हरी गुण गावो ।
धाय सदाय सहाय वंशीधर ,
पाय खुशी वित ताय पुजावो ।
काय का सोच कराय मधूकर ,
राय देशांण की माय रिजावो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
184.
शुभकार गुरू सतकार सदा सुख ,
वार वडार सबां वृस्पत्ती ।
गार रिझार नमो गजधा मुख ,
आर उधार उचार उकत्ती ।
तार हमां त्रिपुरार की दार तो ,
सार सवार सुचार सगत्ती ।
कार शंशार सुधार करनल्ल ,
भमर धार उबार भगत्ती ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
वार वडार सबां वृस्पत्ती ।
गार रिझार नमो गजधा मुख ,
आर उधार उचार उकत्ती ।
तार हमां त्रिपुरार की दार तो ,
सार सवार सुचार सगत्ती ।
कार शंशार सुधार करनल्ल ,
भमर धार उबार भगत्ती ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
185.
काछब रांण उगांण ऊफांण ओ ,
भांण भलो भृगुवांण भयो है ।
तांण रथां किरणांण तपांण तो ,
पांण जोड़ो शुभियांण पयो है ।
जांण सुजांण जपांण करांण जो ,
वांण वखांण वडांण वयो है ।
मांण जिकांण रखांण मधूकर ,
मां किनियांण को जन्म कयो है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
भांण भलो भृगुवांण भयो है ।
तांण रथां किरणांण तपांण तो ,
पांण जोड़ो शुभियांण पयो है ।
जांण सुजांण जपांण करांण जो ,
वांण वखांण वडांण वयो है ।
मांण जिकांण रखांण मधूकर ,
मां किनियांण को जन्म कयो है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
186.
पांथव पढाई जद पून्याई सूं पाई पद ,
हद हरषाई जाती ,अंजस ऊपाई को ।
मन में न लाई मद ,अद ना अन्याई किजो ,
सबकै सहाई रीजो ,गुण गरीमाई को ।
सदा सुखदाई जाको ,करत केताई याद ,
लालच न लाई मन ,धरै न धिठाई को ।
एक समें एसो आई ,शायबाई जाई सबै ,
भँमर कै भाई ,काम करलो भलाई को ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
187.
देव सबां दण्ड नायक दाखत ,
सेव शनीछर है सुख दाई ।
ऐव जिका धर पै अनू आखत ,
तेव राशी दुख दै तर शाई ।
लेव जिका उठ नाम लुभावत ,
केव उवां पर ना कम खाई ।
भेव सदा भणलै कव भमर ,
मेर करै देशनोक री माई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सेव शनीछर है सुख दाई ।
ऐव जिका धर पै अनू आखत ,
तेव राशी दुख दै तर शाई ।
लेव जिका उठ नाम लुभावत ,
केव उवां पर ना कम खाई ।
भेव सदा भणलै कव भमर ,
मेर करै देशनोक री माई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
188.
आदी या अनादी दुषमादी चली आत वादी ,
देव दानवा दी आदी भयै ऊग्रवादी हे ।
एक ऊग्रवादी निज देस की आजादी कहै ,
दुजै देस जाय वो करत बरबादी हे ।
एक देस वाको तो शहीद या सेनानी मानै ,
ओही दुजे देस को महान अपरादी हे ।
एसै उदमादी नर भँमर फोलादी ऐखो ,
जहां तहां देखो ऐसी रीत रायजादी हे ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
189.
ऐकम आज लगी अवनी पर ,
जेठम मास लो खास जचाई ।
हेकम आस लगाज हरी हर ,
नेकम काज करो नरमाई ।
गेकम गात जपात गुणी वर ,
वेकम बात जिका विनसाई ।
मेकम राख तजाक मधूकर ,
रेनम दाख देशांण की राई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जेठम मास लो खास जचाई ।
हेकम आस लगाज हरी हर ,
नेकम काज करो नरमाई ।
गेकम गात जपात गुणी वर ,
वेकम बात जिका विनसाई ।
मेकम राख तजाक मधूकर ,
रेनम दाख देशांण की राई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
190.
रात हो तेरस को भल जागरण ,
मात करनल्ल देव मनाया ।
प्रात भयी उठ सेव पुकारण ,
चात चहुदस जो मन चाया ।
आत न संकट नाम ऊचारण ,
गात शुधी हरी का गुण गाया ।
भात अमीरस पावत भोजन ,
थात खुशी नित मंगल थाया।
मात करनल्ल देव मनाया ।
प्रात भयी उठ सेव पुकारण ,
चात चहुदस जो मन चाया ।
आत न संकट नाम ऊचारण ,
गात शुधी हरी का गुण गाया ।
भात अमीरस पावत भोजन ,
थात खुशी नित मंगल थाया।
सोम है वार भजो शिव शंकर ,
भोम दिनंकर लो भलकाया ।
ओम कहो सब छोड आडम्बर ,
चोम पटम्बर ना चिलकाया ।
तोम तजो हरी नाम ताडम्बर ,
वोम विशम्बर ओ वतलाया ।
कोम करनल्ल साय मधूकर ,
जोम सदा गुण गाय जचाया ।
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भोम दिनंकर लो भलकाया ।
ओम कहो सब छोड आडम्बर ,
चोम पटम्बर ना चिलकाया ।
तोम तजो हरी नाम ताडम्बर ,
वोम विशम्बर ओ वतलाया ।
कोम करनल्ल साय मधूकर ,
जोम सदा गुण गाय जचाया ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
191.
भोर हुई भल दोर भुमी पर ,
ओर रवी शुभ पोर जो आयो ।
गोर हरी जस गाय गुणी वर ,
घोर निद्रा तज जो घुर रायो ।
चोर चकोर भगे वो निशाचर ,
छोर सजोर उजासज छायो ।
मोर करनल नाम मधूकर ,
पोर पेलै हथ जोर जपायो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
ओर रवी शुभ पोर जो आयो ।
गोर हरी जस गाय गुणी वर ,
घोर निद्रा तज जो घुर रायो ।
चोर चकोर भगे वो निशाचर ,
छोर सजोर उजासज छायो ।
मोर करनल नाम मधूकर ,
पोर पेलै हथ जोर जपायो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
192.
ऊनम ऐव अभेव अपम्पर ,
पूनम हेव प्रभेव हू पावो ।
हूनम केव हणेव हठन्दर ,
जूनम जेव जपेव जचावो ।
धूनम देव धरेव धुरन्दर ,
सूनम सेव सदेव सजावो ।
भूनम भेव देशांण माँ भमर ,
तूनम तेव करनल्ल तावो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
पूनम हेव प्रभेव हू पावो ।
हूनम केव हणेव हठन्दर ,
जूनम जेव जपेव जचावो ।
धूनम देव धरेव धुरन्दर ,
सूनम सेव सदेव सजावो ।
भूनम भेव देशांण माँ भमर ,
तूनम तेव करनल्ल तावो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
193.
जाच करनल्ल नाम जिभ्या पर ,
वाच भला जस वीस हथी का ।
राच गला गुण मात रिझा कर ,
आच न आय उवाच अथी का ।
नाच चला मन जो नट नागर ,
ताच मिला तन तान तथी का ।
काच कला तज झूंठ मधूकर ,
साच सला सुख दाय सथी का ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
वाच भला जस वीस हथी का ।
राच गला गुण मात रिझा कर ,
आच न आय उवाच अथी का ।
नाच चला मन जो नट नागर ,
ताच मिला तन तान तथी का ।
काच कला तज झूंठ मधूकर ,
साच सला सुख दाय सथी का ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
194.
वारी जावै दुनियां विष्णू पर ,
थारी तो भगती रा फल थोथा ।
आरी दोखी अधी मास इला पर ,
नारी पुजा उपवास निरोथा ।
कारी लगा किनियांण मधूकर ,
हारी जावै छल होतब होथा ।
गारी देवां श्री राम गिरधर ,
मारी तो गाय तै मार दी मोथा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
थारी तो भगती रा फल थोथा ।
आरी दोखी अधी मास इला पर ,
नारी पुजा उपवास निरोथा ।
कारी लगा किनियांण मधूकर ,
हारी जावै छल होतब होथा ।
गारी देवां श्री राम गिरधर ,
मारी तो गाय तै मार दी मोथा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
195.
को धन मोद भरै हर कावड़ ,
तावड़ तूर तिका नर तंगी ।
वो बिन बोद विचार विगावड़ ,
ठावड़ कूर करै ठर ठंगी ।
जो जन सो घन नूर जचावड़ ,
चावड़ चूर रचै चड़ चंगी ।
मो मन नाय मिलै उण मावड़ ,
आवड़ दूर रखै अड़ बंगी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
तावड़ तूर तिका नर तंगी ।
वो बिन बोद विचार विगावड़ ,
ठावड़ कूर करै ठर ठंगी ।
जो जन सो घन नूर जचावड़ ,
चावड़ चूर रचै चड़ चंगी ।
मो मन नाय मिलै उण मावड़ ,
आवड़ दूर रखै अड़ बंगी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
196.
ऐक ही नाम को लै नर आसरो ,
ऐक ही नाम बडी ईधकाई ।
ऐक ही काम पेलै उठता कर ,
एक ही नाम खुशी उपजाई ।
एक ही जेक घणो अवनी पर ,
एक ही तारण हार है आई ।
केक लै नाम अनेक मधूकर
हेक रटो अठ जाम मेहाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
एक ही नाम खुशी उपजाई ।
एक ही जेक घणो अवनी पर ,
एक ही तारण हार है आई ।
केक लै नाम अनेक मधूकर
हेक रटो अठ जाम मेहाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
197.
आय अचानक खोस ली ईशर ,
गाय कोहू नंद राय गमी है ।
दाय तेरी शनिराय दिनंकर ,
राय भेली रघु राय रमी है ।
माय देशांण की राय मही पर ,
ताय बेठी चुप नाय तमी है ।
धाय केवां जदु राय मधूकर ,
काय तोरै घर गाय कमी है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
गाय कोहू नंद राय गमी है ।
दाय तेरी शनिराय दिनंकर ,
राय भेली रघु राय रमी है ।
माय देशांण की राय मही पर ,
ताय बेठी चुप नाय तमी है ।
धाय केवां जदु राय मधूकर ,
काय तोरै घर गाय कमी है ।
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198.
कोय न जानत क्या करूणा कब ,
होय वोही हथ तोय हणावै ।
दोय पगां तण हांण टला दब ,
चोय पगां भर दांण चणावै ।
ओय बडो अहसांण उपा अब ,
वोय वलाय टलाय वणावै ।
मोय पको विशवास तो माधव ,
सोय मधूकर जांण सुणावै ।
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होय वोही हथ तोय हणावै ।
दोय पगां तण हांण टला दब ,
चोय पगां भर दांण चणावै ।
ओय बडो अहसांण उपा अब ,
वोय वलाय टलाय वणावै ।
मोय पको विशवास तो माधव ,
सोय मधूकर जांण सुणावै ।
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199.
केशव करणी बिन भमर को भवा कहां,
राघव का रटै नाम आनंद में रहांगा ।
आयगी रीस जब क्रोध वस गाली कहां ,
आयगी रीस जब क्रोध वस गाली कहां ,
दुख दाई माधव को लानत तो दहांगा ।
वहां जात यादव की चारण की जात यहां ,
वहां जात यादव की चारण की जात यहां ,
सनातन आदू जाकी अनिति न सहोंगा ।
धीणो खोस लिनो देख मोटा धणी मधुकर ,
धीणो खोस लिनो देख मोटा धणी मधुकर ,
राखै ज्यू दिनां रा नाथ ,उसी विद रहोंगा ।
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200.
सामल सुहागी गत कवित की आछी सुणी ,
भमर कै मीर तणी शैली मन भावै है ।
गिरधर दासोड़ी है गीत वारता में गुणी ,
गिरधर दासोड़ी है गीत वारता में गुणी ,
नाथुसर गजादान गजल बनावै है ।
भियाड़ को रिड़मल एक धुन काव्य भणी ,
भियाड़ को रिड़मल एक धुन काव्य भणी ,
सवैया तो चोपासणी मोहन सुणावै है ।
बै अखरी तो खेत भाभो भादरेस बणी ,
बै अखरी तो खेत भाभो भादरेस बणी ,
अम्ब अड़बंग घणी कविता उठावै है ।
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201.
साय कराय जो धाय सिया वर ,
ताय न आय कबू घर तंगी ।
आय उपाय जपाय इला पर ,
चाय पुजाय कराय लै चंगी ।
छाय रया धनु राश छनी छर ,
जाय कुद्रष्ट मिटाय दे जंगी ।
माय करनल्ल पूत मधूकर ,
वाय रक्षा कर आ वजरंगी ।
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ताय न आय कबू घर तंगी ।
आय उपाय जपाय इला पर ,
चाय पुजाय कराय लै चंगी ।
छाय रया धनु राश छनी छर ,
जाय कुद्रष्ट मिटाय दे जंगी ।
माय करनल्ल पूत मधूकर ,
वाय रक्षा कर आ वजरंगी ।
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202.
करणी को भजै कोय ,सुबै साम सजे सोय ,
वरण में वजै वोय महा बड भागी है ।
जरणी ना जचै जोय ,करै काम कचै कोय ,
जरणी ना जचै जोय ,करै काम कचै कोय ,
पारकां में पचै ओय ,अवस अभागी है ।
राम नाम रचे तोय ,ईस आगे नचै ओय ,
राम नाम रचे तोय ,ईस आगे नचै ओय ,
सेवग वो सचे सोय ,सकव सभागी है ।
साधु जन सचै सोय ,मधुकर जचै मोय ,
साधु जन सचै सोय ,मधुकर जचै मोय ,
उठत उवाचै जोय अम्ब अनुरागी है ।
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203.
कोल कियो मुख कोम करनल्ल ,
ओल तकां हथ खोल दे आपू ।
गोल है मोल गोपाल तणी गल्ल ,
धोल उठाय गयो खल धापू ।
छोल राशी पै सतोल शनी छल्ल ,
तोल रवी त्रिलोक को तापू ।
भोल डफोल मधुकर कै भल्ल ,
बोल भोलो अण मोल है बापू ।
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ओल तकां हथ खोल दे आपू ।
गोल है मोल गोपाल तणी गल्ल ,
धोल उठाय गयो खल धापू ।
छोल राशी पै सतोल शनी छल्ल ,
तोल रवी त्रिलोक को तापू ।
भोल डफोल मधुकर कै भल्ल ,
बोल भोलो अण मोल है बापू ।
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204.
आप मतलबी यारां की पांच प्रकार सें पहचान की जा सकती है – सादर सवैया निजर मधुकर।
आंच आवै उसकै ऊपरै अढ ,
खांच खुशामद हो खुश थाई ।
बांच बुराई दुजां अपणी बढ ,
सांच की झूंठ सदा सरसाई ।
टांच एसा नर टाकर दै टढ ,
रांच मोकै पै किनारो कराई ।
पांच पैचांन मतालबियां पढ ,
भुलना नाय मधूकर भाई ।
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खांच खुशामद हो खुश थाई ।
बांच बुराई दुजां अपणी बढ ,
सांच की झूंठ सदा सरसाई ।
टांच एसा नर टाकर दै टढ ,
रांच मोकै पै किनारो कराई ।
पांच पैचांन मतालबियां पढ ,
भुलना नाय मधूकर भाई ।
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205.
देव दिव्य जांणी कै दयालू दाता दुनियांनी ,
प्राणी देव लोक हू की वाणी पहचानी को ।
भगत भराणी भाव काव्य को कथानी केसै ,
सबद सुजानी सब सार समझानी को ।
न्यारै निरमांणी नमो भाषा भरमांणी भेद ,
अरमांणी बोल चाल केसै ऊलखांनी को ।
मारू जांणी मधूकर सांभलै वो मारू तांणी ,
कहानी हमारी बाणी कहां किनियांनी को ।
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206.
राम कृष्ण शीव गणू ,शनी हणू रवी राज ,
इष्ट जो वधाणू जणू नाय अबखाई है ।
पुरूष प्रधाणू सात ,मात जो प्रकृति पुणू ,
पुरूष प्रधाणू सात ,मात जो प्रकृति पुणू ,
रमा सुरसती उमा ,अम्बा बणू आई है ।
जाम आठ जपाणू लो ,जगत तिराणू जाज ,
जाम आठ जपाणू लो ,जगत तिराणू जाज ,
हाम वो पुराणू , सुख धाम सरसाई है ।
भाव श्रद्धा सबां भणू ,सबहू में शिरोमणू ,
भाव श्रद्धा सबां भणू ,सबहू में शिरोमणू ,
मधूकर मुणू मेरी ,देशांणू री माई है ।
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207.
कोई कोटी देवता का पूजन कराई कोई ,
विप्र वेद पढै कोई ज्योतिष वचाई है ।
कोई ग्रह नक्षत्रां पै भरोसा जचाई कोई ,
कोई ग्रह नक्षत्रां पै भरोसा जचाई कोई ,
सुगन मनाई कोई सरोदा सचाई है ।
कोई पित्र पुजाई तो ,पारकां पोमाई कोई ,
कोई पित्र पुजाई तो ,पारकां पोमाई कोई ,
भुतां भरमाई ,कोई , भोमिया भोपाई है ।
कोई कै भरोसो काई ,ओय कै भरोसो आई ,
कोई कै भरोसो काई ,ओय कै भरोसो आई ,
भमर भरोसो भाई ,देशनोक माई है ।
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208.
वार भलो शुभकार गुरूवर ,
सार सदा सुखकार सवायो ।
आर करो उपकार हमां पर,
तार तंगी तकरार तपायो ।
खार मिटै घर बार खुशी कर ,
धार सुधार ब्यापार वधायो ।
कार वैवार सुचार मधूकर ,
छार छनिछर राशी पै छायो।
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सार सदा सुखकार सवायो ।
आर करो उपकार हमां पर,
तार तंगी तकरार तपायो ।
खार मिटै घर बार खुशी कर ,
धार सुधार ब्यापार वधायो ।
कार वैवार सुचार मधूकर ,
छार छनिछर राशी पै छायो।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
209.
सरपन में शैंश जैसै ,रूद्र में कपेस जैसै ,
तारां रजनेस जैसै ,ऊजास ऊपाई है ।
बांण असुरांण जैसै ,गोरख गुरांण जैसै
भू मंडल भांण जैसै धोमर धपाई है ।
धनुधारी राम जैसै ,सीता नारी वाम जैसै ,
जोधा भीम हांम जैसै ,कोरव कपाई है ।
नवलाख आई हू मैं सबां शिर मोड़ नमो ,
मधुकर कहै मेरी देशनोक माई है ।
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~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
210.
उठ भोर भयी सुण सोर अघोर ,
ऊठोर अंधोर अछा पुळ आया ।
भाव विभोर हो जीव भले ,
मन मोर झिंगोर ढिंगोर मचाया ।
तज काम किरोर करे फिर तोर ,
चोर चकोर चला चटकाया ।
भँमर दान भजो करणी
भल भांण का लोर ऊदोर भराया ।
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~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
211.
जय जय करणी को उठ तय नाम जप कय कय कथ छंद छप कनियांनी को लय लय शरणो रे मय तप लोहड़ी लै अय अय अप अनूराग अनूमानी को । वय वय मन हाल चाल हप वीसहथी , गय गय गीत मन मप गुनवानी को । सय सय काज सप सारेगी तो मेहासदू भय वय त्याग भज भँमर भवानी को जय हो मावड़की
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212.
राधा जी को कान जेसे, गंग में सनान जेसे,
राम हनूमान जेसे सेवत सदाई हे
बालक को पान जेसे, वणीक दुकान जेसे,
शिव को मसान जेसे , सदा सुखदाई हे,
कंजूस नोटान जेसे , नेतां को वोटान जेसे ,
भुखे को रोटान जेसे , भली जन भाई हे ।
मात सनतान जेसे , भगत भगवान जेसे,
मधुकर मान मन देशनोक माई हे ।
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213.
जांगलू जरन्द छलछन्द मुढ मंद जद ,
काट फंद कनियांण हद कमखाई हे।
दुष्ट जेम दसकंध कार लोपते कमंध
वीस हाथ बाघ बण हाथल बजाई हे ।
धार विकराल तन ताक तकरार धोम ,
फार भीमसेन जरासंध ज्यू फगाई हे ।
बाक बकवास बंद अलत ऊपाई अंध
भँमर भरंद भाव दंद जो भराई हे ।
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~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
214.
पांण्डव पूत को तात गुरू सुत ,
ताय के भ्रात पै जाय तपामी ।
लाय वा पाय पाछो पलटाय वै ,
जीव धराय ला अंतरजांमी ।
हेम सुता सुत वाहण हेत वा ,
आय उपाय बैठाय अमांमी ।
धाय रै धाय है साय मधूकर ,
शैंष की माय को रोज सलामी ।
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ताय के भ्रात पै जाय तपामी ।
लाय वा पाय पाछो पलटाय वै ,
जीव धराय ला अंतरजांमी ।
हेम सुता सुत वाहण हेत वा ,
आय उपाय बैठाय अमांमी ।
धाय रै धाय है साय मधूकर ,
शैंष की माय को रोज सलामी ।
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215.
शैल सुता पती नगर को स्वामीय ,
की तनूजां गंग पूत लै आया ।
भांण सुता सखी ता पती सूतन ,
ता कवी अगरज ताप तपाया ।
कुण्डज पूत निपाय अकारथ ,
जाय जथारथ बात जपाया।
स्वारथ मां परमारथ साज कै ,
भँमर भारत नीव दी भाया ।
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की तनूजां गंग पूत लै आया ।
भांण सुता सखी ता पती सूतन ,
ता कवी अगरज ताप तपाया ।
कुण्डज पूत निपाय अकारथ ,
जाय जथारथ बात जपाया।
स्वारथ मां परमारथ साज कै ,
भँमर भारत नीव दी भाया ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
216.
कहतै समझै नाही समझायां समझै नी,
कवी लोग काही करै करै काय सारसी ।
काग को कपूर जेसै मरकट को भुषण ज्यू ,
काग को कपूर जेसै मरकट को भुषण ज्यू ,
ब्राहम्ण को मक्का ओर पीर को बनारसी ।
बहरै कै आगै तान गायै को स्वाद जेसै ,
बहरै कै आगै तान गायै को स्वाद जेसै ,
हिजड़ै कै आगे नारी लागत अंगारसी ।
कहै कवी गंग नर मन में विचार देख ,
कहै कवी गंग नर मन में विचार देख ,
मुढ आगै विद्या जेसै ,अंधै आगे आरसी ।
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~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
217.
अल्ला को ऊचारे ओय, जागे मुल्ला देखो जोय।कुकड़ा बोलत कोय ऊँग ऊचकाने को ।
अंधारे उठे अधोय , जाण नोकरी पे जोय ,
घरणे करे घणोय जतन जगाने को ।
सुबै कि वखत सोय हरि समरण होय ,
धोक दे मन्दिर धोय घंट घमकाने को ।
भँमर भजाण भोय मात करणी हे मोय ,
देवां जोड़ो हाथ दोय ,राम ही रिझाने को ।
नमन प्रभात
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नमन प्रभात
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218.
सोय सबै चारण वो हुता हेक धारण हो ,
जोय अबै जुदा जुदा कारण जचावै है ।
ओय अंग धारण ओ पर उपकारण को ,
ओय अंग धारण ओ पर उपकारण को ,
भवा काव्य भारण जो भुल भरमावै है ।
समै अनुशारण वो सबै काज शारण सो ,
समै अनुशारण वो सबै काज शारण सो ,
पेट के पंपारण पो पेज लो पजावै है ।
कोय राज कर्मी तो धर्मी को मधुकर ,
कोय राज कर्मी तो धर्मी को मधुकर ,
कोय रंग कर्मी जो काछड़ कुदावै है ।
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~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
219.
लियै भैट चावल जो ,कंचन कै मैल कियै ,
दियै बिन दैत नाही ,एसा आप दानी है ।
बृज बनिता की बार ,दुथ दधी चोरी दार ,
बृज बनिता की बार ,दुथ दधी चोरी दार ,
लालच नही लिगार ,लार जो लगानी है ।
चारण में एतो चात ,लैण दैण ना लखात ,
चारण में एतो चात ,लैण दैण ना लखात ,
जादव है थांरी जात ,गात गुण गानी है ।
आपरी गती अजांन ,भणत भमर दान ,
आपरी गती अजांन ,भणत भमर दान ,
कहो करूणा निधान ,केसी तो कहानी है ।
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220.
के धन काज पंपाल करै नर ,
जो मन चाहै सो नाह चलैगो ।
कै तो बणज ब्यापार करै अर
कै तो चाहै परदेस हलेगो ।
जै तो लिलाड़ लिख्यो जगदीश्वर ,
दैण वारो तो ही एतो ही देगो ।
कोटी ऊपाय करो कव भँमर ,
भाग्य लिख्यो उतनो ही मिलेगो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जो मन चाहै सो नाह चलैगो ।
कै तो बणज ब्यापार करै अर
कै तो चाहै परदेस हलेगो ।
जै तो लिलाड़ लिख्यो जगदीश्वर ,
दैण वारो तो ही एतो ही देगो ।
कोटी ऊपाय करो कव भँमर ,
भाग्य लिख्यो उतनो ही मिलेगो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
221.
डोसी संमदां डुबाई ,जहाज तिराई जाई ,
अणदो उबार लाई ,कोयर कढाई है ।
चोथ ऊंठ चटकाई ,चाखड़ बंधाई चाई ,
चोथ ऊंठ चटकाई ,चाखड़ बंधाई चाई ,
सेख सरसाई रूप ,समली सजाई है ।
काज असंखां कराई ,पार गिणतां न पाई ,
काज असंखां कराई ,पार गिणतां न पाई ,
जेत जेसांणै जपाई ,अफूठी मिटाई है ।
भरोसा जो रखै भाई ,अवस लखै अबखाई ,
भरोसा जो रखै भाई ,अवस लखै अबखाई ,
भमर अखै भलाई ,आई अम्बा आई है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
222.
सेव करो उठ तेव शनीसर ,
देव हरो दुख दीन दयालू ।
मेव तपै मत छेव मुनीवर ,
भेव अभेव सदा शुभ भालू ।
खेव दिया वती नेम खुशीकर ,
वेव रखां वृत दै विरदालू ।
केव करनल्ल जेव मधूकर ,
ऐव करो हिय मेव उजालू ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
देव हरो दुख दीन दयालू ।
मेव तपै मत छेव मुनीवर ,
भेव अभेव सदा शुभ भालू ।
खेव दिया वती नेम खुशीकर ,
वेव रखां वृत दै विरदालू ।
केव करनल्ल जेव मधूकर ,
ऐव करो हिय मेव उजालू ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
223.
मीर सलाम भला तो मुकंदर ,
ईद कलाम पढो नर अल्ला ।
सेव की खीर मिला गुड़ शक्कर ,
बक्कर त्याग करो विसमल्ला ।
पीर फकीर मनाय पैगम्बर ,
पाप को माग तजो दुख पल्ला ।
मालीक है रब राम मधूकर ,
सारत काम सदा शुभनल्ला ।
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ईद कलाम पढो नर अल्ला ।
सेव की खीर मिला गुड़ शक्कर ,
बक्कर त्याग करो विसमल्ला ।
पीर फकीर मनाय पैगम्बर ,
पाप को माग तजो दुख पल्ला ।
मालीक है रब राम मधूकर ,
सारत काम सदा शुभनल्ला ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
224.
को अवनीस में जन्म अकारथ्थ ,
ईस भजै नही वो नर अन्धा ।
सो भवनीस को काम सुकारथ ,
धा जगदीस करै फिर धन्धा ।
जो नवनीस जपाय जथारथ ,
बीस भुजा जय बोलत बन्धा ।
धीस देशांण को नाम मधूकर ,
ओ बगसीस तो दैण आनंधा ।
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ईस भजै नही वो नर अन्धा ।
सो भवनीस को काम सुकारथ ,
धा जगदीस करै फिर धन्धा ।
जो नवनीस जपाय जथारथ ,
बीस भुजा जय बोलत बन्धा ।
धीस देशांण को नाम मधूकर ,
ओ बगसीस तो दैण आनंधा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
225.
श्री धरणी उठ नाम रटो शुभ ,
श्री करणी सबकी शरणी है ।
श्री जरणी तरणी सब संकट ,
श्री करणी सुख की शरणी है ।
श्री चरणी बिन कोन सहायक ,
श्री करणी दुख की हरणी है ।
श्री वरणी मुख जाप मधूकर ,
श्री करणी करणी करणी है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
श्री करणी सबकी शरणी है ।
श्री जरणी तरणी सब संकट ,
श्री करणी सुख की शरणी है ।
श्री चरणी बिन कोन सहायक ,
श्री करणी दुख की हरणी है ।
श्री वरणी मुख जाप मधूकर ,
श्री करणी करणी करणी है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
226.
महाराणा प्रताप कि विरता को मधुकर का सादर नमन ।
मुगल अरोड़ मोड़, झीक झाक मची झोड़,
तुरकन हा दोड़ दोड़ तोड़ कंध तंग हो ।
चेतक वा चितरोड़ ,पहाड़ां बजाड़ पोड़ ,
चेतक वा चितरोड़ ,पहाड़ां बजाड़ पोड़ ,
घेर सेन चढ घोड़ ,ओड़ इकलंग हो ।
ठाय जुध ठोड़ ठोड़ ,फोज मुगलान फोड़ ,
ठाय जुध ठोड़ ठोड़ ,फोज मुगलान फोड़ ,
छती पातसान छोड़ ,भोड़ अंग भंग हो ।
हिन्दु तुर्क मची होड़ ,अनवी वो अणमोड़ ,
हिन्दु तुर्क मची होड़ ,अनवी वो अणमोड़ ,
मधूकर शिरमोड़ ,रांण तोय रंग है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
227
सेव करो करणी शिव शंकर ,
ऐव दनंकर नाम उचारो ।
लेव धरो नित नेम इला पर ,
तेव शुभकर दोर तमारो ।
वेव नरो समरो ज विशम्बर ,
हेव शंशार सजोर सहारो ।
देव हरो हमरो दुख दालद ,
जेव मधूकर को जय कारो ।
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ऐव दनंकर नाम उचारो ।
लेव धरो नित नेम इला पर ,
तेव शुभकर दोर तमारो ।
वेव नरो समरो ज विशम्बर ,
हेव शंशार सजोर सहारो ।
देव हरो हमरो दुख दालद ,
जेव मधूकर को जय कारो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
228.
शुगर रोग हटाय सगतीय ,
उगर रूप बणी अंग आई ।
वी पी वैकार बधी फिर वेदन ,
ताप चढै तन ओर तपाई ।
जोर जुखाम हियां जकड़्यो जद ,
नाक में नीर झरै निरखाई ।
मात पीड़ा अब मेट मधूकर ,
देख करै जब कार दवाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
उगर रूप बणी अंग आई ।
वी पी वैकार बधी फिर वेदन ,
ताप चढै तन ओर तपाई ।
जोर जुखाम हियां जकड़्यो जद ,
नाक में नीर झरै निरखाई ।
मात पीड़ा अब मेट मधूकर ,
देख करै जब कार दवाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
229.
बाज रही हुय आंधड़ लो बंद ,
आज मही पर आड़ंग आयो ।
साज रही बदरी सुख कंद सो ,
मोर झींगोर लो सोर मचायो ।
छाज रही घन घोर घटा छती ,
पोर पेलै उठतां शुभ पायो ।
काज भलो अब थाज मधूकर ,
आज सबां मन आनंद छायो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज मही पर आड़ंग आयो ।
साज रही बदरी सुख कंद सो ,
मोर झींगोर लो सोर मचायो ।
छाज रही घन घोर घटा छती ,
पोर पेलै उठतां शुभ पायो ।
काज भलो अब थाज मधूकर ,
आज सबां मन आनंद छायो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
230.
गरीबान कहै धनवान सुखी ,
निबलान कहै बलवान सुखी है ।
बलवान कहै यै राजान सुखी ,
तो राजान कहै सुलतान सुखी हे ।
सुलतान कहै देवतान सुखी ,
देवतान कहै भगवान सुखी है ।
भगवान कहै भगती बिन भँमर ,
देख सभी दुनियान दुखी है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
निबलान कहै बलवान सुखी है ।
बलवान कहै यै राजान सुखी ,
तो राजान कहै सुलतान सुखी हे ।
सुलतान कहै देवतान सुखी ,
देवतान कहै भगवान सुखी है ।
भगवान कहै भगती बिन भँमर ,
देख सभी दुनियान दुखी है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
231.
पांख पसार आयी बदली पण ,
जांख अजां लग आंख दिखावै ।
धांख मिटै जद पाय धणी धण ,
तांख करै जन आम तपावै ।
नांख निसास केता तलफै जण ,
खांख उडै रज जोर खेखावै।
भांख भैभाड़ मिटै जद भमर ,
जांख पै मोचड़़ मेह जचावै ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जांख अजां लग आंख दिखावै ।
धांख मिटै जद पाय धणी धण ,
तांख करै जन आम तपावै ।
नांख निसास केता तलफै जण ,
खांख उडै रज जोर खेखावै।
भांख भैभाड़ मिटै जद भमर ,
जांख पै मोचड़़ मेह जचावै ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
232.
पोह फुटी लो सवेर आ पंचम ,
पैर भला हरी हेर प्रभाता ।
जोह उठैर वो नाम जपा तुम ,
लैर करै लछमी घर लाता ।
ओह अवैर ना वैर अनूपम ,
देर करै नह दै सुख दाता ।
कोह करनल टेर मधूकर ,
मेर करै जो स्कंन्द की माता ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
पैर भला हरी हेर प्रभाता ।
जोह उठैर वो नाम जपा तुम ,
लैर करै लछमी घर लाता ।
ओह अवैर ना वैर अनूपम ,
देर करै नह दै सुख दाता ।
कोह करनल टेर मधूकर ,
मेर करै जो स्कंन्द की माता ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
233.
कोय भजै करुणा निधी केशव ,
राघव कोय रटै रघुराई ।
कोय अला कोय ईस पुकारत ,
मानत को कुल देव मनाई ।
धावत ग्रह नक्षत्र धनंतर ,
पितर भोमिया कोय पुजाई ।
कोय कै इष्ट है कोय मधूकर ,
मोय तो केवल मात मेहाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
राघव कोय रटै रघुराई ।
कोय अला कोय ईस पुकारत ,
मानत को कुल देव मनाई ।
धावत ग्रह नक्षत्र धनंतर ,
पितर भोमिया कोय पुजाई ।
कोय कै इष्ट है कोय मधूकर ,
मोय तो केवल मात मेहाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
234.
जाय जपाय जिभ्या जगदीसर ,
आय उपाय सो उतम अत्ती ।
पाय पुजाय मनाय इला पर ,
माय भुलाय कबु नर मत्ती ।
वाय सदा वरदाय बुधी वर ,
गाय रिझाय पावो गुण गत्ती ।
काय का सोच कराय मधूकर ,
साय देशांण की राय सगत्ती ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
235.
नेहरू परिवार खानदानी खुलासा, यू ट्युब चेनल के आधार पर सादर निजर ।
मोती लाल कहै काशमीर पंडो बड़ो मुल्लो ,
ज्वारलाल नेहरू वो बोतक को जायो है ।
छोकरी जो ईन्द्रा तो छानी नही देस छती ,
छोकरी जो ईन्द्रा तो छानी नही देस छती ,
फिरोज मियो ना गांधी फोतक फजायो है ।
राजीव जा इटली वो जाती हीण लायो जोय ,
राजीव जा इटली वो जाती हीण लायो जोय ,
संजै सिखणी के साथ तोतक सजायो है ।
धर्म निरपेक्ष आड़ धाड़ फाड़ मधूकर ,
धर्म निरपेक्ष आड़ धाड़ फाड़ मधूकर ,
बेराड़ तेराड़ राज दिल्ली में बजायो है ।
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236.
काम को केशव पूत कवेसर ,
ठाम ठा काव्य कथा ठलकावै ।
गाम दासोड़ी सो नाम गिरधर ,
जाम आठां हर आम रिजावै ।
माम तणो जिलभोम महीपर ,
धाम वो सिंथल नाम धरावै ।
भाम जो पियर खास मधूकर ,
वाम गनो माड़वै वतलावै ।
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ठाम ठा काव्य कथा ठलकावै ।
गाम दासोड़ी सो नाम गिरधर ,
जाम आठां हर आम रिजावै ।
माम तणो जिलभोम महीपर ,
धाम वो सिंथल नाम धरावै ।
भाम जो पियर खास मधूकर ,
वाम गनो माड़वै वतलावै ।
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237.
पाप बध्यो अण माप इला पर ,
लाप अलाप हरै भुजलम्बा ।
ताप संताप निवार तिका जप ,
जाप करै उठता जगतम्बा ।
वाप विलाप सुणो हम वेदन ,
माप सरै किम होत विलम्बा ।
काप सबां दुख दाप मधूकर ,
आप धरै धणियाप माँ अम्बा ।
लाप अलाप हरै भुजलम्बा ।
ताप संताप निवार तिका जप ,
जाप करै उठता जगतम्बा ।
वाप विलाप सुणो हम वेदन ,
माप सरै किम होत विलम्बा ।
काप सबां दुख दाप मधूकर ,
आप धरै धणियाप माँ अम्बा ।
सेवा मेरी स्वीकार शनीसर ,
सार शंशार सखा शुभकारी ।
देवा जेरी दरबार दिनंकर ,
धार उचार दखा सत धारी ।
ऐवा हेरी नर नार दुनीवर ,
वार विचार रखा वृत वारी ।
केवा तेरी जयकार मधूकर ,
आर आधार अखा उपकारी ।
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सार शंशार सखा शुभकारी ।
देवा जेरी दरबार दिनंकर ,
धार उचार दखा सत धारी ।
ऐवा हेरी नर नार दुनीवर ,
वार विचार रखा वृत वारी ।
केवा तेरी जयकार मधूकर ,
आर आधार अखा उपकारी ।
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238.
ऐक कथोर दुजो रंग गोर ओ ,
वोर वडोर देखो वतलावै ।
लोर खड़ा तन होर लाचोर जो ,
नोर मिल्या मन वो निरखावै ।
जोर जवानी को दोर गयो जब ,
ओर भला दिन याद वो आवै ।
कोर समो मजबोर मधूकर ,
होर हलोर लो डांग हलावै ।
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वोर वडोर देखो वतलावै ।
लोर खड़ा तन होर लाचोर जो ,
नोर मिल्या मन वो निरखावै ।
जोर जवानी को दोर गयो जब ,
ओर भला दिन याद वो आवै ।
कोर समो मजबोर मधूकर ,
होर हलोर लो डांग हलावै ।
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239.
आखत बात पता तणी ओ अब ,
सो शुभ भाखत राखत साफी ।
ताकत की जब होय जरूरत ,
तो दुनिया में बुरी गत ताफी ।
जो कछु होय गुनो दिल झाखत ,
मांगत लो हथ जोड़ के माफी ।
पावत वो सब कुछ पृथ्वी पर ,
कैत मधूकर प्रेम ही काफी ।
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सो शुभ भाखत राखत साफी ।
ताकत की जब होय जरूरत ,
तो दुनिया में बुरी गत ताफी ।
जो कछु होय गुनो दिल झाखत ,
मांगत लो हथ जोड़ के माफी ।
पावत वो सब कुछ पृथ्वी पर ,
कैत मधूकर प्रेम ही काफी ।
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240.
आम अवाम आराम अवसर ,
राम का नाम तरै हर रच्चा ।
दाम का ठाम भरै दुनिया वर ,
काम अकाम करै धर कच्चा ।
ताम पा हाम पुरै तृष्णा तर ,
बाम बैकाम लरै घर बच्चा ।
माम जपो अठ जाम मधूकर ,
साम सलाम सरै नर सच्चा ।
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राम का नाम तरै हर रच्चा ।
दाम का ठाम भरै दुनिया वर ,
काम अकाम करै धर कच्चा ।
ताम पा हाम पुरै तृष्णा तर ,
बाम बैकाम लरै घर बच्चा ।
माम जपो अठ जाम मधूकर ,
साम सलाम सरै नर सच्चा ।
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241.
आज ही कै दिन आय इला पर ,
चारण जात बीठू कुल चाया ।
ताज जेठा महिणा बुध तेरस ,
साज शुधी पक्ष जन्म सजाया ।
माज पिता घण मोद लै माड़वै ,
वाज खुशी घर थाल वजाया ।
धाज सदा शुभ भाल मधूकर ,
राज रिधू रिछपाल रखाया ।
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चारण जात बीठू कुल चाया ।
ताज जेठा महिणा बुध तेरस ,
साज शुधी पक्ष जन्म सजाया ।
माज पिता घण मोद लै माड़वै ,
वाज खुशी घर थाल वजाया ।
धाज सदा शुभ भाल मधूकर ,
राज रिधू रिछपाल रखाया ।
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242.
को नित प्रात जपात करनल्ल ,
तो दुख जावत होत न देरी ।
ओ हित थात धरात अप्रबल ,
वो रुख रोग नसात जो वेरी ।
हो चित मात उवांत रहै वल ,
जो मुख गावत कीरत जेरी ।
भो भयभीत न होत मधूकर ,
सो सुख पावत सांझ सवेरी ।
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तो दुख जावत होत न देरी ।
ओ हित थात धरात अप्रबल ,
वो रुख रोग नसात जो वेरी ।
हो चित मात उवांत रहै वल ,
जो मुख गावत कीरत जेरी ।
भो भयभीत न होत मधूकर ,
सो सुख पावत सांझ सवेरी ।
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243.
कुकड़ा ना भुलै कबु उठता किलोल करै ,
मोर कबु भुलै बोल मेह जो मंडानी को ।
छांग को खिलोरी कबु छांग की ऊछैर भुलै ,
छांग को खिलोरी कबु छांग की ऊछैर भुलै ,
बांग देण भुलै कबु मुल्ला अल्ला बानी को ।
भांग पिणा भुलै कबू भंगेड़ी जो देख भला ,
भांग पिणा भुलै कबू भंगेड़ी जो देख भला ,
अमल अहारी भुलै अमल ऊगानी को ।
रवी कबु भुलै दिन ऊगतांई माग रथी ,
रवी कबु भुलै दिन ऊगतांई माग रथी ,
कवी भमरो क्यू भुलै मात किनियानी को ।
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244.
आज में एस बी आई बैंक गया नयै मेनेजर श्री सांखला साब मुझ कवी से बड़ै शालिनता सें मिलै एक काव्य भी सुणा ओर काव्य लेखन डायरी ओर बैंक कलेन्डर भेंट किया बिगर जान पहचान के एक कवी के प्रति आत्मियता देख कर एक सवेया अपनै आप निकल पड़ा सादर ।
बैंक शिरोमण एस बी आई की ,
भारत में भल नीव भराई ।
जो जन आम किशान जरूरत ,
दाम के सी सी वो लोन दिराई ।
सांखला बैंक मेनेजर साहब ,
जेसलमेर में साख जमाई।
डायरी हाथ दै साथ कलैन्डर ,
बारट भमंर को बगसाई ।
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भारत में भल नीव भराई ।
जो जन आम किशान जरूरत ,
दाम के सी सी वो लोन दिराई ।
सांखला बैंक मेनेजर साहब ,
जेसलमेर में साख जमाई।
डायरी हाथ दै साथ कलैन्डर ,
बारट भमंर को बगसाई ।
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245.
आज छनीछर के दिन अम्बर ,
बादर जो घन घोर बणै है ।
साज एरापत राज सुरेन्दर ,
ताज दनंकर साथ तणै है ।
वाज समीर वरूण मंडै झर ,
ठाज समंदर नीर ठणै है ।
काज सुगाल करो किरपा कर ,
भमर तो जस जोड़ भणै है ।
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बादर जो घन घोर बणै है ।
साज एरापत राज सुरेन्दर ,
ताज दनंकर साथ तणै है ।
वाज समीर वरूण मंडै झर ,
ठाज समंदर नीर ठणै है ।
काज सुगाल करो किरपा कर ,
भमर तो जस जोड़ भणै है ।
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246.
आड़ग जोर मचा अवनी पर ,
ऊमस ओर लही अगंड़ाई ।
सोर समीर रुकी लय सारंग ,
चपला की उतराद चड़ाई ।
घोर अंधार किया बिजली घर ,
लोर आ माछर तोर लड़ाई ।
मोर केसा जीव सोर मधूकर ,
गोर लाइट लो आंख गड़ाई ।
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ऊमस ओर लही अगंड़ाई ।
सोर समीर रुकी लय सारंग ,
चपला की उतराद चड़ाई ।
घोर अंधार किया बिजली घर ,
लोर आ माछर तोर लड़ाई ।
मोर केसा जीव सोर मधूकर ,
गोर लाइट लो आंख गड़ाई ।
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247.
ओ नर देह जो धन्य इला पर ,
सो हर देव जिभ्या सरसाई ।
वो धर नेह विशेस कहै वर ,
जो पर छेह न देत जिकाई ।
दो घर मान रु दान सुआदर ,
तो तर जाय सुगेह तिकाई ।
को भर भाव स्नैह मधूकर ,
लो करणी जप लोक लुगाई ।
सो हर देव जिभ्या सरसाई ।
वो धर नेह विशेस कहै वर ,
जो पर छेह न देत जिकाई ।
दो घर मान रु दान सुआदर ,
तो तर जाय सुगेह तिकाई ।
को भर भाव स्नैह मधूकर ,
लो करणी जप लोक लुगाई ।
सो नर होय सजोर सुखी कर ,
बो शिरमोर लो तोर बडाई ।
जो हथ जोर कै गोर करै जन,
भो हर ओर को दोर भलाई ।
खो पत लोर अवोर दुखी कर ,
ठो ठम ठोर तजोर ठलाई ।
को अठ पोर भजोर मधूकर ,
हो मन कोर रचोर मेहाई ।
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बो शिरमोर लो तोर बडाई ।
जो हथ जोर कै गोर करै जन,
भो हर ओर को दोर भलाई ।
खो पत लोर अवोर दुखी कर ,
ठो ठम ठोर तजोर ठलाई ।
को अठ पोर भजोर मधूकर ,
हो मन कोर रचोर मेहाई ।
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248.
राज जगा वनवास पा राघव ,
ता तब तात वैकुन्ट गे तोया ।
सीत हरी वन बीच निशाचर ,
होतब पै फिर होतब होया ।
वीर के तीर लगा बजराकर ,
राम जी हाय वियोग में रोया ।
मानव कोय जो होय मधूकर ,
सोय चहू दस साल ना सोया ।
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ता तब तात वैकुन्ट गे तोया ।
सीत हरी वन बीच निशाचर ,
होतब पै फिर होतब होया ।
वीर के तीर लगा बजराकर ,
राम जी हाय वियोग में रोया ।
मानव कोय जो होय मधूकर ,
सोय चहू दस साल ना सोया ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
249.
आय तिका तिर जा अवनी पर ,
जाय जपाय वा वात जच्ची है ।
गाय जिका गिरराय गिरधर ,
ईस को धाय मुखाय अच्ची है ।
राय वो दाय रीझाय रघूवर ,
वाय कथाय सदाय वच्ची है ।
माय भजो उठताय मधूकर ,
साय सदा सुरराय सच्ची है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
250.
ओम का नाम रटो उठता अब ,
वोम मादेव बडा बलकारी ।
रोम ही रोम में राम रचा रब ,
भोम सुता को भजो भव तारी ।
तोम नरै तकरार हरै तब ,
आय तिका तिर जा अवनी पर ,
जाय जपाय वा वात जच्ची है ।
गाय जिका गिरराय गिरधर ,
ईस को धाय मुखाय अच्ची है ।
राय वो दाय रीझाय रघूवर ,
वाय कथाय सदाय वच्ची है ।
माय भजो उठताय मधूकर ,
साय सदा सुरराय सच्ची है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
250.
ओम का नाम रटो उठता अब ,
वोम मादेव बडा बलकारी ।
रोम ही रोम में राम रचा रब ,
भोम सुता को भजो भव तारी ।
तोम नरै तकरार हरै तब ,
कोम रक्षा करै मेह कुमारी ।
मोम हमां सुखकार मधूकर ,
सोम का वार सबां शुभकारी ।👏🏻
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
251.
जाय जपाय जिभ्या जगदीसर ,
आय उपाय सो उतम अत्ती ।
पाय पुजाय मनाय इला पर ,
माय भुलाय कबु नर मत्ती ।
वाय सदा वरदाय बुधी वर ,
गाय रिझाय पावो गुण गत्ती ।
काय का सोच कराय मधूकर ,
साय देशांण की राय सगत्ती ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
252.
कोय भजे ईस हू को अल्ला हू को भजै कोय,
मोम हमां सुखकार मधूकर ,
सोम का वार सबां शुभकारी ।👏🏻
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
251.
जाय जपाय जिभ्या जगदीसर ,
आय उपाय सो उतम अत्ती ।
पाय पुजाय मनाय इला पर ,
माय भुलाय कबु नर मत्ती ।
वाय सदा वरदाय बुधी वर ,
गाय रिझाय पावो गुण गत्ती ।
काय का सोच कराय मधूकर ,
साय देशांण की राय सगत्ती ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
252.
कोय भजे ईस हू को अल्ला हू को भजै कोय,
कोय वाय गुरू कोय इशु की आवाजी है ।
कोय हरी नारायण विष्णू रटात कोय ,
कोय हरी नारायण विष्णू रटात कोय ,
कोय श्री कृष्ण को ,राम कोय राजी है ।
कोय श्वेताम्बर पुजै दीगम्बर पुजै कोय ,
कोय श्वेताम्बर पुजै दीगम्बर पुजै कोय ,
कोय खुदा खेतेश्वर जांम्भेश्वर जाजी है ।
कोय नवलाख देव भैरव भोमिया कोय ,
कोय नवलाख देव भैरव भोमिया कोय ,
मधुकर कहै मोय ,करनल माजी है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
253.
को उठताई सदाई करनल्ल ,
जंगल्ल राई का नाम जपाई ।
सो सुखदाई सहाई माँ सबल्ल ,
ओत अमंगल्ल ना कबू आई ।
जो जस गाई रिझाई जिकै भल्ल ,
मंगल्ल को हनुमान मनाई ।
तो दुखदाई हटाई वो दंगल्ल ,
भमर होत सुमंगल्ल भाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
254.
कोय करै घर बार का कारज ,
कोय करै कारो बार कमाई ।
कोय के आमद होय किशान की ,
कोय के जोय लो है नोकराई ।
कोय का काम है नाचण कूदण ,
कोय का काम है करण पढाई ।
कोय के काय तो कोय काऊ करै ,
मधुकर रै बस माऊ मेहाई ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
255.
राजपूत री राखे रीत ।
जद जांणां अजै री जीत ।
नित मिलनै री आछी नीत ।
पांथव संग राखै घण प्रीत ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
256.
गजो सा मोटा गुणवान ।
मोहन सगलां मांय महान ।
अनेक कवी ऊचै अस्थान ।
सकव खेत घटावै शान ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
257.
पुलिस री भुली पहचान ।
डंडा डाकर दी डान ।
साहित्यकार हे कवी सुजान ।
मोहन रतनू सबां महान ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
258.
अही जीव अणबूझ है ,
बुधी बिन विवेक ।
कालो क्रोध करोत पै ,
अलुजै मरै अनेक ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
259.
करड़ी नजर केलाश री ,
अवर हियै अनुराग ।
पोशाक फबै पुलिस री ,
पीली ऊपर पाग ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
260.
करड़ी नजर तो कुदरती ,
पुलिस महहकमें पास ।
भलो मनख कै भमरिया ,
करड़ो नही केलास ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
261.
ओ थाय अमावस जाय अंधारंग ,
आय लो भादव पक्ष उजारंग ।
सारंग बोल रया शुभ कारंग ,
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
253.
को उठताई सदाई करनल्ल ,
जंगल्ल राई का नाम जपाई ।
सो सुखदाई सहाई माँ सबल्ल ,
ओत अमंगल्ल ना कबू आई ।
जो जस गाई रिझाई जिकै भल्ल ,
मंगल्ल को हनुमान मनाई ।
तो दुखदाई हटाई वो दंगल्ल ,
भमर होत सुमंगल्ल भाई ।
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254.
कोय करै घर बार का कारज ,
कोय करै कारो बार कमाई ।
कोय के आमद होय किशान की ,
कोय के जोय लो है नोकराई ।
कोय का काम है नाचण कूदण ,
कोय का काम है करण पढाई ।
कोय के काय तो कोय काऊ करै ,
मधुकर रै बस माऊ मेहाई ।
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255.
राजपूत री राखे रीत ।
जद जांणां अजै री जीत ।
नित मिलनै री आछी नीत ।
पांथव संग राखै घण प्रीत ।
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256.
गजो सा मोटा गुणवान ।
मोहन सगलां मांय महान ।
अनेक कवी ऊचै अस्थान ।
सकव खेत घटावै शान ।
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257.
पुलिस री भुली पहचान ।
डंडा डाकर दी डान ।
साहित्यकार हे कवी सुजान ।
मोहन रतनू सबां महान ।
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258.
अही जीव अणबूझ है ,
बुधी बिन विवेक ।
कालो क्रोध करोत पै ,
अलुजै मरै अनेक ।
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259.
करड़ी नजर केलाश री ,
अवर हियै अनुराग ।
पोशाक फबै पुलिस री ,
पीली ऊपर पाग ।
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260.
करड़ी नजर तो कुदरती ,
पुलिस महहकमें पास ।
भलो मनख कै भमरिया ,
करड़ो नही केलास ।
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261.
ओ थाय अमावस जाय अंधारंग ,
आय लो भादव पक्ष उजारंग ।
सारंग बोल रया शुभ कारंग ,
सारंग टेर लगी सुचियारंग ।
धाय दे साद सुखाद धिजारंग ,
धारंग मेघ मलार धुतारंग ।
ताय जो तार लगी त्रिपुरारंग ,
सारंग भमर है सुख कारंग ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
262.
देशांन की राय दिपाय दुनी पर ,
आय माँ आवड़ जो अवतारी ।
जेसांन जपाय पुजाय जुनी धर ,
माय मनाय जिका मणधारी ।
ऐहसांन करै भगतां अवनी पर ,
गाय रिझाय तिका गुणकारी ।
मेरवान रहाय लो धाय मधूकर ,
साय सदा करणी शुभकारी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
263.
देखो आई दूज ,
भदव सवाई शुध भली ,
पांथव माई पूज ,
भाग जगाई भमरिया ।
धाय दे साद सुखाद धिजारंग ,
धारंग मेघ मलार धुतारंग ।
ताय जो तार लगी त्रिपुरारंग ,
सारंग भमर है सुख कारंग ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
262.
देशांन की राय दिपाय दुनी पर ,
आय माँ आवड़ जो अवतारी ।
जेसांन जपाय पुजाय जुनी धर ,
माय मनाय जिका मणधारी ।
ऐहसांन करै भगतां अवनी पर ,
गाय रिझाय तिका गुणकारी ।
मेरवान रहाय लो धाय मधूकर ,
साय सदा करणी शुभकारी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
263.
देखो आई दूज ,
भदव सवाई शुध भली ,
पांथव माई पूज ,
भाग जगाई भमरिया ।
दुख दालद सब दूर ,
करनल अब कृपा कियां ,
करो ज माफ कसूर ,
भूल सकव माँ भमरिया ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
264.
छठ छनिछर छाया छती ,
अती उगर अवतार ।
मती फिकर कर मधुकरा ,
पारबती भज पार।
उमा पती रख आसरो ,
उकती लख आदेस ।
संपती करनल भर सदा ,
भगती कर भमरेस ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
265.
असुर तणो हे ईस ,
फिकर मिटा कर दे फतै ,
जिखर करै जगदीस ,
शुकर टुकर देवण सदा ।
करनल अब कृपा कियां ,
करो ज माफ कसूर ,
भूल सकव माँ भमरिया ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
264.
छठ छनिछर छाया छती ,
अती उगर अवतार ।
मती फिकर कर मधुकरा ,
पारबती भज पार।
उमा पती रख आसरो ,
उकती लख आदेस ।
संपती करनल भर सदा ,
भगती कर भमरेस ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
265.
असुर तणो हे ईस ,
फिकर मिटा कर दे फतै ,
जिखर करै जगदीस ,
शुकर टुकर देवण सदा ।
वरणी विसवा वीस ,
करणी नित पुजा करां ,
धरणी सेवत धीस ,
भरणी सब सुख भमरिया ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
266.
आय माड़ ऊवारणी ,
वाय सातम वरताय ।
जाय तेमड़ घण जातरु ,
साय आवड़ सुरराय ।
करणी नित पुजा करां ,
धरणी सेवत धीस ,
भरणी सब सुख भमरिया ।
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266.
आय माड़ ऊवारणी ,
वाय सातम वरताय ।
जाय तेमड़ घण जातरु ,
साय आवड़ सुरराय ।
धाय सगत उठ धरणी,
जरणी संपत जचाय ।
भरणी उकत भंमरिया ,
करणी भगत कहाय ।
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267.
पाप बध्यो अण माप इला पर ,
लाप अलाप हरै भुजलम्बा ।
ताप संताप निवार तिका जप ,
जाप करै उठता जगतम्बा ।
वाप विलाप सुणो हम वेदन ,
माप सरै किम होत विलम्बा ।
काप सबां दुख दाप मधूकर ,
आप धरै धणियाप माँ अम्बा ।
जरणी संपत जचाय ।
भरणी उकत भंमरिया ,
करणी भगत कहाय ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
267.
पाप बध्यो अण माप इला पर ,
लाप अलाप हरै भुजलम्बा ।
ताप संताप निवार तिका जप ,
जाप करै उठता जगतम्बा ।
वाप विलाप सुणो हम वेदन ,
माप सरै किम होत विलम्बा ।
काप सबां दुख दाप मधूकर ,
आप धरै धणियाप माँ अम्बा ।
सेवा मेरी स्वीकार शनीसर ,
सार शंशार सखा शुभकारी ।
देवा जेरी दरबार दिनंकर ,
धार उचार दखा सत धारी ।
ऐवा हेरी नर नार दुनीवर ,
वार विचार रखा वृत वारी ।
केवा तेरी जयकार मधूकर ,
आर आधार अखा उपकारी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
268.
गहू माता भगवान कृष्ण ओर करणी माता को बहुत प्रिय रही लेकिन आज कल लोग लोभ के कारण भेड़ बकरी तो घर में रखते है ओर गहू माता का तिरसकार करतै है ।एसे लोगां को प्रभु सदबुधी देणा इसि विषय के दोहै सादर निजर ।
सार शंशार सखा शुभकारी ।
देवा जेरी दरबार दिनंकर ,
धार उचार दखा सत धारी ।
ऐवा हेरी नर नार दुनीवर ,
वार विचार रखा वृत वारी ।
केवा तेरी जयकार मधूकर ,
आर आधार अखा उपकारी ।
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268.
गहू माता भगवान कृष्ण ओर करणी माता को बहुत प्रिय रही लेकिन आज कल लोग लोभ के कारण भेड़ बकरी तो घर में रखते है ओर गहू माता का तिरसकार करतै है ।एसे लोगां को प्रभु सदबुधी देणा इसि विषय के दोहै सादर निजर ।
बिसारे गहू बाछरे ,
परवारे कर पाप ।
गेला धारे गाडरे ,
बकरे चारे बाप ।
परवारे कर पाप ।
गेला धारे गाडरे ,
बकरे चारे बाप ।
लिया न धेन लवारिया ,
जिया गाडरां जोय ।
पिया अजा रा पानड़ा ,
हिया अकल ना होय ।
जिया गाडरां जोय ।
पिया अजा रा पानड़ा ,
हिया अकल ना होय ।
आय असर ओलाद में ,
पाय अजा तण पान ।
वाय घांनै ज्यु वंतलै ,
दाय ना भमर दान ।
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269.
आ अब माँ बतला रिधू अम्ब ओ ,
का कब दालद दूर करेगी ।
जा जब कूक सुणै जगतम्ब जो ,
ता तब तो हम नाव तरेगी ।
ला धब संपत दे भुजलम्ब लो ,
सा सब कारज मात सरेगी ।
आ करुणा मयी माँ अविलम्ब तो ,
हा दुख भमर आप हरेगी ।
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270.
अही जीव अणबूझ है ,
बुधी बिन विवेक ।
कालो क्रोध करोत पै ,
अलुजै मरै अनेक ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
271.
आ अब माँ बतला रिधू अम्ब ओ ,
का कब दालद दूर करेगी ।
जा जब कूक सुणै जगतम्ब जो ,
ता तब तो हम नाव तरेगी ।
ला धब संपत दे भुजलम्ब लो ,
सा सब कारज मात सरेगी ।
आ करुणा मयी माँ अविलम्ब तो ,
हा दुख भमर आप हरेगी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
272.
सहादत को सलाम काज कोटा प्रशासन ,
पाय अजा तण पान ।
वाय घांनै ज्यु वंतलै ,
दाय ना भमर दान ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
269.
आ अब माँ बतला रिधू अम्ब ओ ,
का कब दालद दूर करेगी ।
जा जब कूक सुणै जगतम्ब जो ,
ता तब तो हम नाव तरेगी ।
ला धब संपत दे भुजलम्ब लो ,
सा सब कारज मात सरेगी ।
आ करुणा मयी माँ अविलम्ब तो ,
हा दुख भमर आप हरेगी ।
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270.
अही जीव अणबूझ है ,
बुधी बिन विवेक ।
कालो क्रोध करोत पै ,
अलुजै मरै अनेक ।
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271.
आ अब माँ बतला रिधू अम्ब ओ ,
का कब दालद दूर करेगी ।
जा जब कूक सुणै जगतम्ब जो ,
ता तब तो हम नाव तरेगी ।
ला धब संपत दे भुजलम्ब लो ,
सा सब कारज मात सरेगी ।
आ करुणा मयी माँ अविलम्ब तो ,
हा दुख भमर आप हरेगी ।
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272.
सहादत को सलाम काज कोटा प्रशासन ,
राज का आदेश शिर्योधार्य जो रखाया है ।
रथ को सजाय आज भेजिया जेसलमेर ,
रथ को सजाय आज भेजिया जेसलमेर ,
कलेक्टर गोयल वो आदेश कराया है ।
ए डी एम मालावत डी ओ है भानु प्रताप ,
ए डी एम मालावत डी ओ है भानु प्रताप ,
डबल ए ओ ओम परिहार संग आया है ।
रोड़वेज बस राह ,जेसांण को भेजी जाह ,,
रोड़वेज बस राह ,जेसांण को भेजी जाह ,,
वाह वाह अच्छा काज राज का बनाया है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
273.
पुलिस री भुली पहचान ।
डंडा डाकर दी डान ।
साहित्यकार हे कवी सुजान ।
मोहन रतनू सबां महान ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
274.
सावण भुलो सायबा ,
मरूधर ठाकर मेह ।
भुलै न भमर भांमणी ,
नर धण रखणो नेह ।
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275.
धन ही तै आन बान शान वो सम्मान वधै ,
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273.
पुलिस री भुली पहचान ।
डंडा डाकर दी डान ।
साहित्यकार हे कवी सुजान ।
मोहन रतनू सबां महान ।
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274.
सावण भुलो सायबा ,
मरूधर ठाकर मेह ।
भुलै न भमर भांमणी ,
नर धण रखणो नेह ।
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275.
धन ही तै आन बान शान वो सम्मान वधै ,
बिन धन जन हू को जीवन वैकार है ।
धन ही से मन वधै तन वधै धन ही से ,
धन ही से मन वधै तन वधै धन ही से ,
धन ही तो दुनियां को जीवन आधार है ।
धन ही से अन वधै दन वधै धन ही सै ,
धन ही से अन वधै दन वधै धन ही सै ,
धन ही से मानव को होवत सुधार है ।
धन हीन मधुकर देख करुणा निधान ,
धन हीन मधुकर देख करुणा निधान ,
धन बिन दानव ज्यू धरती को भार है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
276.
समदर मेघ संवाद रा ,,
जबरा भाव जचाय ।
मन भावन यह मधुकरा ,
वाह गजा कवि राय ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
277.
लछमां हरी री लाडी ,आय सबां जगा आडी ,
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
276.
समदर मेघ संवाद रा ,,
जबरा भाव जचाय ।
मन भावन यह मधुकरा ,
वाह गजा कवि राय ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
277.
लछमां हरी री लाडी ,आय सबां जगा आडी ,
बाडी आंख वालै ताडी बणै बिधवान है ।
देखो वो अमूक दान ,सकल कहै सुजान ,
देखो वो अमूक दान ,सकल कहै सुजान ,
ग्यान बिन धनवान करै गिरवान है ।
कपूत हो धूत धन पूत को सपूत कहै ,
कपूत हो धूत धन पूत को सपूत कहै ,
बड़ां कि जुबान तान होवत बखान है ।
समंद की जाई जिण घर आई उचकाई ,
समंद की जाई जिण घर आई उचकाई ,
भमर कहावै भाई नर वो महान है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
278.
चावो नाम चोपासणी
दुथी मोहन दान ।
साहित स्नैही सधर ,
पुलिस उप प्रधान ।
देश भगती रो देखलो ,
मोहन बणायो मीत ।
सुश्री स्वर सुदेशना ,
गायो मधुकर गीत ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
279.
साहित मे सींचाण ज्यु,
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278.
चावो नाम चोपासणी
दुथी मोहन दान ।
साहित स्नैही सधर ,
पुलिस उप प्रधान ।
देश भगती रो देखलो ,
मोहन बणायो मीत ।
सुश्री स्वर सुदेशना ,
गायो मधुकर गीत ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
279.
साहित मे सींचाण ज्यु,
ऊंची भरै उडान।
मधुकर भम्मर माडवै,
डिंगल रो महा डान।।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
280.
भीड़ पड़े जब भगतन पे तब अध हेले सुण भाजत आवे ।
देव त्रिदेव अरु पिर पैगम्बर सब भूपाल महीपत ध्यावे ।।
कार्तिक चारण सुर गजानन मात माते कहके बतलावे ।
ओहिज शंकर की गिरिजा हमें करणी डोकर मात कहावे ।।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
मधुकर भम्मर माडवै,
डिंगल रो महा डान।।
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280.
भीड़ पड़े जब भगतन पे तब अध हेले सुण भाजत आवे ।
देव त्रिदेव अरु पिर पैगम्बर सब भूपाल महीपत ध्यावे ।।
कार्तिक चारण सुर गजानन मात माते कहके बतलावे ।
ओहिज शंकर की गिरिजा हमें करणी डोकर मात कहावे ।।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
281.
चारण चोथ को ऊंठ संधाकर ,
चाखड़ बांध के आत चली है ।
बंधव सेख को बींज बचाकर ,
ठाकर की तन घात टली है ।
जांगल शाह पुकार करी जब ,
हाथ पसार के मात हली है ।
के भमरो माँ उबार करनल ,
भाव रखे उण होत भली है ।
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चारण चोथ को ऊंठ संधाकर ,
चाखड़ बांध के आत चली है ।
बंधव सेख को बींज बचाकर ,
ठाकर की तन घात टली है ।
जांगल शाह पुकार करी जब ,
हाथ पसार के मात हली है ।
के भमरो माँ उबार करनल ,
भाव रखे उण होत भली है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
282.
कुदरत भज नर करनला ,
फिदरत तज डर फील ।
उधरत नर मधुकर अवस ,
सुधरत सुघर सुडील ।
कुदरत भज नर करनला ,
फिदरत तज डर फील ।
उधरत नर मधुकर अवस ,
सुधरत सुघर सुडील ।
करत रिछत हम करनला ,
सगत सकव नम शीस ।
भगत भमर आनंद भरत ,
उठत भजत नर ईस ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सगत सकव नम शीस ।
भगत भमर आनंद भरत ,
उठत भजत नर ईस ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
283.
परभातां भयो पोर ,उठो अबतो अघोर,
परभातां भयो पोर ,उठो अबतो अघोर,
देवन को शुरु दोर ,असूर ऊगाई है ।
भजन करो रे भोर ,समीर चलै सजोर ,
भजन करो रे भोर ,समीर चलै सजोर ,
मिठा पंछी बोलै मोर ,सोर सुखदाई है ।
तरुणाई तयां तोर ,जवानी का गयां जोर ,
तरुणाई तयां तोर ,जवानी का गयां जोर ,
बुढल थयां बहोर ,दोर दुखदाई है ।
गुणी हर करो गोर ,जमड़ा लगासी जोर ,
गुणी हर करो गोर ,जमड़ा लगासी जोर ,
आडो कुण आसी ओर ,मधुकर माई है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
284.
आतम धार उचार लो ईशर ,
वातम सार विचार वतायो ।
धातम पात प्रभात धरा पर ,
जातम जो जयकार जचायो ।
कातम को करणी करुणाकर ,
सातम जो बुधवार सजायो ।
माहम तार उवार मधूकर ,
गातम गीत सचे मन गायो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आतम धार उचार लो ईशर ,
वातम सार विचार वतायो ।
धातम पात प्रभात धरा पर ,
जातम जो जयकार जचायो ।
कातम को करणी करुणाकर ,
सातम जो बुधवार सजायो ।
माहम तार उवार मधूकर ,
गातम गीत सचे मन गायो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
285.
बात सुठी भज आज विशम्बर ,
ऊभ छठी दिन मंगल आयो ।
साढ सती दुख काढ शनीछर ,
मंगल को हनुमान मनायो ।
दात दियै शुभ थात दिनंकर ,
चूंप कियै चरणामृत चायो ।
धूंप दिपान अजान मधूकर ,
जंगल राय को नाम जपायो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
बात सुठी भज आज विशम्बर ,
ऊभ छठी दिन मंगल आयो ।
साढ सती दुख काढ शनीछर ,
मंगल को हनुमान मनायो ।
दात दियै शुभ थात दिनंकर ,
चूंप कियै चरणामृत चायो ।
धूंप दिपान अजान मधूकर ,
जंगल राय को नाम जपायो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
286.
गजधर का गुण गायलो ,
लाभ पंचमी घर लेर ।
कर शंकर करनल कवी ,
मधुकर ऊपर मेर ।
गजधर का गुण गायलो ,
लाभ पंचमी घर लेर ।
कर शंकर करनल कवी ,
मधुकर ऊपर मेर ।
ओम नमो उठतां भज ईशर ,
सोम सदा हरि ओम सुणावो ।
वोम सुणै दिन रात विशम्बर ,
रोम ही रोम में राम रमावो ।
जोम भुलो रसना जगदीशर ,
धोम तपै पहलां नित धावो ।
भोम भली भगती कव भंमर ,
कोम करनल नाम कहावो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सोम सदा हरि ओम सुणावो ।
वोम सुणै दिन रात विशम्बर ,
रोम ही रोम में राम रमावो ।
जोम भुलो रसना जगदीशर ,
धोम तपै पहलां नित धावो ।
भोम भली भगती कव भंमर ,
कोम करनल नाम कहावो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
287.
*विजयदानजी देथा*
सुरां सिधतां बातड़ी , चारण चितारेह ।
*विजयदानजी देथा*
सुरां सिधतां बातड़ी , चारण चितारेह ।
सादर विजजी, अपनै समाज रतन थै वो राजस्थान के हीरो साहित्य की नाक थै उन्हे सत सत नमन.
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~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
288.
अभिषेक मोहरत में अमृत कि पुल आज ,
अभिषेक मोहरत में अमृत कि पुल आज ,
साज शुभ रवी पुख नत्रत्र सजाई है ।
अनेंकां खरीद दारी करावो सफल काज ,
अनेंकां खरीद दारी करावो सफल काज ,
वाज धन तेरस की अदभूत वधाई है ।
धन माल अखूट खजाना कुबेराज धाज ,
धन माल अखूट खजाना कुबेराज धाज ,
राज खुशी थाज रमा अवस रिझाई है ।
भमर भलाज शुभकामना सबां समाज ,
भमर भलाज शुभकामना सबां समाज ,
आज कविराज धन एसी घड़ी आई है ।
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~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
289.
आज धन तेरस के दिन मां लक्ष्मी सभी के यहां धन कि वर्षा करे। माँ करणी भगत जनां को आनंद बगसावै सादर कवि मधुकर ।
आज धन तेरस के दिन मां लक्ष्मी सभी के यहां धन कि वर्षा करे। माँ करणी भगत जनां को आनंद बगसावै सादर कवि मधुकर ।
दिवाली तेरसी दिन, दुनी आवै आछो दन ,
धपल दिरावै धन ,रमा महारानी है ।
अपल पुरावै अन ,कुंजर किड़ी को कन ,
जल थल जेता जन ,अमा अरमानी है ।
बल बगसावै बन ,ताप घात टालै तन ,
बल बगसावै बन ,ताप घात टालै तन ,
सबल दियै सबन ,समा जो सुजानी है ।
भल करनल भन ,मधुकर साचे मन ,
भल करनल भन ,मधुकर साचे मन ,
जननी राखै जतन ,भमा तो भवानी है ।
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~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
290.
सगत खड़ी सुवाप में ,
धरत बड़ी धणियाप ।
भगत घड़ी रक्षक भमर ,
अड़ी उबारत आप ।
सगत खड़ी सुवाप में ,
धरत बड़ी धणियाप ।
भगत घड़ी रक्षक भमर ,
अड़ी उबारत आप ।
चड़ी सधर रख चारणां ,
थड़ी अवर सुख थाय ।
कड़ी भमर दख करनला ,
जड़ी अमर बख जाय ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
थड़ी अवर सुख थाय ।
कड़ी भमर दख करनला ,
जड़ी अमर बख जाय ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
291.
कर तन समरन करनला ,
हर मन विघन हजूर ।
घर जन भमर परशन घन ,
भर अन धन भर पूर ।
कर तन समरन करनला ,
हर मन विघन हजूर ।
घर जन भमर परशन घन ,
भर अन धन भर पूर ।
मत डर भन डाढाल मन ,
रहत नह शनि करूर ।
गत सुधरत गुन गावतां ,
जन अत जतन जरूर ।
रहत नह शनि करूर ।
गत सुधरत गुन गावतां ,
जन अत जतन जरूर ।
डाढ मती भज डोकरी ,
गाढ अती गुण गाय ।
काढ विपती मधुकर कहै ,
साढ सती शनि साय ।
गाढ अती गुण गाय ।
काढ विपती मधुकर कहै ,
साढ सती शनि साय ।
माढ राय रट मधुकरा ,
आढ आय फट ऐस ।
चाढ वाय घट चारणी ,
पाढ साय झट पेस ।
आढ आय फट ऐस ।
चाढ वाय घट चारणी ,
पाढ साय झट पेस ।
अब आछा दिन आवसी ,
जब सुणसी जगराय ।
तब मधुकर करणी तमां ,
सब कारज सलटाय ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जब सुणसी जगराय ।
तब मधुकर करणी तमां ,
सब कारज सलटाय ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
292.
समुख भमर करणी सती ,
शुभ रिझै अती सेव ।
सुख दिजे गती शनिछरा ,
दुख मती दिजे देव ।
मदती करनल मावड़ी ,
अदती करण उपाय ।
मती बिसारे मधुकरा ,
वधती नित विरदाय ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
समुख भमर करणी सती ,
शुभ रिझै अती सेव ।
सुख दिजे गती शनिछरा ,
दुख मती दिजे देव ।
मदती करनल मावड़ी ,
अदती करण उपाय ।
मती बिसारे मधुकरा ,
वधती नित विरदाय ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
293.
जिण देश राजा जोय ,फकड़ फकिर होय ,
जिण देश राजा जोय ,फकड़ फकिर होय ,
केसे कहो प्रजा कोय अमीर कहाएगी ।
भुखै मठ मांय जेसे साधु मिलै आय सोय ,
भुखै मठ मांय जेसे साधु मिलै आय सोय ,
ओम संख महा संख , एसी धुन आएगी ।
हिजड़ै की नारी होय ,केतोक सवाग कोय ,
हिजड़ै की नारी होय ,केतोक सवाग कोय ,
विधवा न वजे वोय , पोची गत पाएगी ।
मधुकर कहै मोय ,अंजस हे एतो ओय ,
मधुकर कहै मोय ,अंजस हे एतो ओय ,
तोय भलो तोय तोय ,धर्म दिस धाएगी ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
294.
अम्बा टालै आफतां,
भुजलम्बा रख भाव ।
कर न विलम्बा करनला ,
अविलम्बा झट आव ।
जगतम्बा मधुकर जपो ,
सविलम्बा साधार ।
परलम्बा करनल परम ,
अम्बा भगत उबार ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अम्बा टालै आफतां,
भुजलम्बा रख भाव ।
कर न विलम्बा करनला ,
अविलम्बा झट आव ।
जगतम्बा मधुकर जपो ,
सविलम्बा साधार ।
परलम्बा करनल परम ,
अम्बा भगत उबार ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
295.
कुण हमरी ओपर करै ,
उण करनल बिन आय ।
मुण कवि मधुकर माड़वै ,
सुण आवै सुरराय ।
चुण आखर रट चाहना ,
गुण करनल माँ गाय ।
सुण हेलो आवै सदा ,
मुण मधुकर महमाय ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
कुण हमरी ओपर करै ,
उण करनल बिन आय ।
मुण कवि मधुकर माड़वै ,
सुण आवै सुरराय ।
चुण आखर रट चाहना ,
गुण करनल माँ गाय ।
सुण हेलो आवै सदा ,
मुण मधुकर महमाय ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
296.
सोम सदा शिव को भज सुन्दर ,
आक धतूर भखै अबधूता ।
ओम अदा रणूकार इला पर ,
भाक वैभाक हटै भक भूता।
धोम बढै रण खेत धुरन्दर ,
धाक धमाक उठै रण धूता ।
भोम बंदा महादेव का भमंर ,
जाक जमाक जमां शिर जूता ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सोम सदा शिव को भज सुन्दर ,
आक धतूर भखै अबधूता ।
ओम अदा रणूकार इला पर ,
भाक वैभाक हटै भक भूता।
धोम बढै रण खेत धुरन्दर ,
धाक धमाक उठै रण धूता ।
भोम बंदा महादेव का भमंर ,
जाक जमाक जमां शिर जूता ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
297.
धरा पै देखो धनेस ,दानी जो कहावै देस ,
धरा पै देखो धनेस ,दानी जो कहावै देस ,
अणुती करावै ऐस ,थाट वाट थुणी है ।
हाट वांणिया हमेस ,वर्कत होवै विशेस ,
हाट वांणिया हमेस ,वर्कत होवै विशेस ,
पावै संपदा प्रवेस ,दिन रात दुणी है ।
धन हीण देखो धेस ,कृषक खेचावै केस ,
धन हीण देखो धेस ,कृषक खेचावै केस ,
लाट अन लवलेस ,जाट जात जुणी है ।
रमा मत दिजै रेस ,भमर कवी भणेस ,
रमा मत दिजै रेस ,भमर कवी भणेस ,
लिछमां बिना तो सुरसतां वो अलुणी है ।
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~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
298.
कवि तणा सारो काज ,रवि सदा महाराज ,
कवि तणा सारो काज ,रवि सदा महाराज ,
थवी कृपा सुख थात ,जवी दुख जात है ।
चवी जूण चूंण चाज ,नवी गरिबां निवाज ,
चवी जूण चूंण चाज ,नवी गरिबां निवाज ,
पवी मिलावै प्रभात ,अवी अखियात है ।
लवी दुनी रखै लाज ,हवी जन हरषाज ,
लवी दुनी रखै लाज ,हवी जन हरषाज ,
छवी छती भोर छात ,गवी जस गात है ।
सवी को संम्रधी साज ,दवी दुनी मिटै दाज ,
सवी को संम्रधी साज ,दवी दुनी मिटै दाज ,
भवी भमरो भणात ,मधुकर मात है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
299.
आज करवा चोथ की सभी सवागण बहन बेटियां को शुभकामना माँ करणी उनकै पतियां को दिर्घायु प्रदान करै परमेश्वर सदा रक्षा करे इसि विषय का काव्य सादर निजर कवि मधुकर माड़वा
आज करवा चोथ की सभी सवागण बहन बेटियां को शुभकामना माँ करणी उनकै पतियां को दिर्घायु प्रदान करै परमेश्वर सदा रक्षा करे इसि विषय का काव्य सादर निजर कवि मधुकर माड़वा
सांझ समें अब झाक सवागण ,
चन्द्र मुखी निरखे मुख चंदा ।
कांमण कोड करै निज कंत का ,
कामना दीर्घ आयु सुख कंदा ।
पीव त्रिया समझै परमेश्वर ,
हाम पुरै करवा कुख हंदा ।
मान घणै धण राय मधूकर ,
जीव प्रिया रुख पीव जपंदा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
चन्द्र मुखी निरखे मुख चंदा ।
कांमण कोड करै निज कंत का ,
कामना दीर्घ आयु सुख कंदा ।
पीव त्रिया समझै परमेश्वर ,
हाम पुरै करवा कुख हंदा ।
मान घणै धण राय मधूकर ,
जीव प्रिया रुख पीव जपंदा ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
300.
कुण धरणी ओपर करै ,
सुण शरणी सुरराय ।
मुण करणी भण मधुकरा ,
चुण चरणी चित चाय ।
उण जरणी बड़ जगत में ,
कुण समवड़ कहवाय ।
मुण मधुकर घड़ माड़वै ,
गुण करणी भड़ गाय ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
कुण धरणी ओपर करै ,
सुण शरणी सुरराय ।
मुण करणी भण मधुकरा ,
चुण चरणी चित चाय ।
उण जरणी बड़ जगत में ,
कुण समवड़ कहवाय ।
मुण मधुकर घड़ माड़वै ,
गुण करणी भड़ गाय ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
301.
चहुदिशी तिथी चाय, महिणो आशोज माय ,
चहुदिशी तिथी चाय, महिणो आशोज माय ,
राजी देशनोक राय रहो रिधू रानी माँ ।
जगतम्बा रटै जाय ,तरणी तिरावै ताय ,
जगतम्बा रटै जाय ,तरणी तिरावै ताय ,
धन धनियांनी धाय ,कहो किनियानी माँ ।
गुण महमाया गाय ,छती घर खुशी छाय ,
गुण महमाया गाय ,छती घर खुशी छाय ,
दुख दूर करे दाय ,थिरा सुख थानी माँ ।
परम पुजावो पाय ,वित संपदा वधाय ,
परम पुजावो पाय ,वित संपदा वधाय ,
वाय विरदावै विठू ,भमर भवानी माँ ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
302.
आई त्रियोदशी आज ,शिव सोमवार साज ,
आई त्रियोदशी आज ,शिव सोमवार साज ,
तखत तैमड़े ताज काज हम किजियो ।
वित संपदा वधाज ,थिरा खुशी घरां थाज ,
वित संपदा वधाज ,थिरा खुशी घरां थाज ,
पंड पिड़ा हटा पाज दाज मिटा दिजियो ।
शनी शुभ हो सकाज ,आप ना किजो अकाज ,
शनी शुभ हो सकाज ,आप ना किजो अकाज ,
चरणां भगती चाज लाज रख लिजियो ।
अम्बा मां सुणै आवाज ,सर्व सुखी हो समाज ,
अम्बा मां सुणै आवाज ,सर्व सुखी हो समाज ,
मधुकर कहे माज राज रिधु रिझियो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
304.
मंनत मनावो मधुकर माड़वा ।
मंनत मनावो मधुकर माड़वा ।
सुरसती धावो सदा ,लिछमां लुभावो लाभ ,
गुण गावो गजानंद रिध सिध राजी हो ।
शिव कि करावो सेव ,दया जो दिरावो देव ,
शिव कि करावो सेव ,दया जो दिरावो देव ,
शनि सरसावो शुभ , सबां तन साजी हो ।
राम को रिझावो रीत ,केशव कहावो क्रित ,
राम को रिझावो रीत ,केशव कहावो क्रित ,
परम सुख पावो प्रित ,जीत जस जाजी हो ।
उकती उपावो ओज ,सुणावो अम्बिका सोज ,
उकती उपावो ओज ,सुणावो अम्बिका सोज ,
मधुकर दियो मोज ,करनल माजी हो ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
305.
उकती चाहै तो सुरसती को उचार कर ,
उकती चाहै तो सुरसती को उचार कर ,
गुण गती चाहै तो तो भज गजा दान को ।
सद गती चाहै तो लो राम की शरण सची ,
सद गती चाहै तो लो राम की शरण सची ,
मंगल चाहत नर रट हनुमान को ।
लोभ अती चाहत तो लछमी रै फिर लारै ,
लोभ अती चाहत तो लछमी रै फिर लारै ,
मुगती चाहै तो रट माधव महान को ।
सकती भमर चाह करणी जी सेव सदा ,
सकती भमर चाह करणी जी सेव सदा ,
भगती चाहै तो भज भोलै ,भगवान को ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
306.
प्रापत वो सुख दै परमेशर ,
कापत कावड़ ओ किनियाई ।
जापत जो उठता जगदीशर ,
तापत साय हो तेमड़ राई ।
छापत नोट कृपाल शनैछर ,
थापत लो खुशियां घर थाई ।
माँपत राख हमेश मधूकर ,
आफत टाल मो आवड़ आई ।
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प्रापत वो सुख दै परमेशर ,
कापत कावड़ ओ किनियाई ।
जापत जो उठता जगदीशर ,
तापत साय हो तेमड़ राई ।
छापत नोट कृपाल शनैछर ,
थापत लो खुशियां घर थाई ।
माँपत राख हमेश मधूकर ,
आफत टाल मो आवड़ आई ।
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307
तुही शैल पात्री ,तुही ब्रह्म धात्री ,
तूं स्कंन्ध धात्री ,तुही सिधि दात्री ।
तुही गोर गात्री ,तुही चन्द घात्री ,
तुही शैल पात्री ,तुही ब्रह्म धात्री ,
तूं स्कंन्ध धात्री ,तुही सिधि दात्री ।
तुही गोर गात्री ,तुही चन्द घात्री ,
कुषा माण्ड थात्री ,कातियान कात्री ।
तुही काल रात्री ,रूपां कै रचात्री ,
नवां तूं नरात्री ,थिरा माँ थपम्बा ।
नमो रीधु नांमी ,मधूकर नमांमी ,
उचारू अमां मी ,जयो मात अम्बा ।
जियै आ अजोनी अवतार अम्बा।
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308.
श्री करणी को कोय करूणा निधान कहै ,
श्री करणी को कोय करूणा निधान कहै ,
श्री शरणी तो होय महा शुभकारी है ।
श्री धरणी तो लोय उठत ही क्रीत धारै ,
श्री धरणी तो लोय उठत ही क्रीत धारै ,
श्री जरणी को जोय जपत जै कारी है ।
श्री शिव घरणी तो शंशार तारण सार ,
श्री शिव घरणी तो शंशार तारण सार ,
श्री भरणी को तो भरोसो उर भारी है ।
श्री चरणी को नित मधुकर राखो चित ,
श्री चरणी को नित मधुकर राखो चित ,
श्री करणी तो सबां हित सुख कारी है ।
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309.
जीवन में कोय काम करो जोय ,
भाव समर्पण ओय भराना ।
प्रेम करो तो राधा सो करो पुनी ,
नेम धरो तो अवसय निभाना ।
सखा बनो तो बनो रै सुदामा से ,
सिखा बनो नर भीष्म समाना ।
भगत बनो भगवान का भमर ,
हाजर सेवग ज्यू हनुमाना ।
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जीवन में कोय काम करो जोय ,
भाव समर्पण ओय भराना ।
प्रेम करो तो राधा सो करो पुनी ,
नेम धरो तो अवसय निभाना ।
सखा बनो तो बनो रै सुदामा से ,
सिखा बनो नर भीष्म समाना ।
भगत बनो भगवान का भमर ,
हाजर सेवग ज्यू हनुमाना ।
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310.
अमंगल टाल देवै अजंनी सुत ,
मंगल को हनुमान मनावो ।
दंगल दूर करै दुनियान में ,
साय सुमंगल वै सरसावो ।
पंगल पार करै परथी पर ,
तंगल जो मन ना तरसावो ।
कंगल को वित देत मधूकर ,
जंगल राय को नाम जपावो ।
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अमंगल टाल देवै अजंनी सुत ,
मंगल को हनुमान मनावो ।
दंगल दूर करै दुनियान में ,
साय सुमंगल वै सरसावो ।
पंगल पार करै परथी पर ,
तंगल जो मन ना तरसावो ।
कंगल को वित देत मधूकर ,
जंगल राय को नाम जपावो ।
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311.
राजस्थान के लोक देवता मधुकर
राजस्थान के लोक देवता मधुकर
पढां पनराज पीर ,राम दे रूणीचै पुजै ,
जपै लोक देवता जो ,जेसांण में जांणी है ।
कोलु मण्ड पाबू कहै ,तेजो जी परबतसर ,
पांचोटा में तलीनाथ ,जालोर प्रमाणी है ।
बापिणी मेहाजी अरू ,हरभू जी बैंगटी में,
गोगा हनुमान गढ ,मेड़ी जो मंडाणी है ।
मलीनाथ कल्ला तिलवाड़ा तपे बाड़मेर ,
देवनारण भीलवाड़ा ,भमर बखानी है ।
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312.
आजादी दिन आजरे ,
इल पर गिरधर आय ।
जचा जन्म दिन जवारड़ा,
मधुकर खुशी मनाय ।
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आजादी दिन आजरे ,
इल पर गिरधर आय ।
जचा जन्म दिन जवारड़ा,
मधुकर खुशी मनाय ।
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313.
कालो चश्मो पलकतो ,
पेज रगींला पाग ।
मुकन कवी रे मधुकरा ,
आँख्यां में अनुराग ।
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कालो चश्मो पलकतो ,
पेज रगींला पाग ।
मुकन कवी रे मधुकरा ,
आँख्यां में अनुराग ।
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314.
आज भमर पढी उमदा ,
तोगा री तरवार ।
आछी लिखी ओपती ,
सींथल रे सोनार।
आज भमर पढी उमदा ,
तोगा री तरवार ।
आछी लिखी ओपती ,
सींथल रे सोनार।
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315.
अगे ईधण उखेड़ता,
भांसोलो कर धार।
समय पलटी सरदारां ,
सुकवी बण्या सुथार🙏🏻
अगे ईधण उखेड़ता,
भांसोलो कर धार।
समय पलटी सरदारां ,
सुकवी बण्या सुथार🙏🏻