आछी सोचत जपत उमा पत,
साची देखत भगती साय ।
काची जुगती तारत कलु अत ,
वाची महिमा जगत वताय ।
आडम्बर नह राखत अबधू ,
नागम्बर लपटत निरखात ।
जाडम्बर जग जाचत जोगी ,
वाघम्बर री करत विछात ।
अवर देव पकवान आरोगत ,
सज मिषठान दीप घृत सेव ।
वेल पतर फल फुल वडाला ,
मुला चढा राजी महादेव ।
अवरन कवन हे देव अवन पर ,
शुध मन भोला सजन सभाव ।
ईस शरण कर तरण अराधन ,
भजन भरन जन राखन भाव ।
जय जय कर निश दिन जगदीसर ईसवर सदर वंदना आख ।
शुभ हो निजर सदा शिव शंकर ,
दहु कर जोड़ मधुकर दाख ।🙏🏻🙏🏻🚩🕉