कुबद हटावण करनला,
उद मुद टालण आल।
मंद बुधी उण मधुकरा,
शुध बुध दे शुभ भाल।
अम्बा उठत उचारिये,
जगतम्बा नित जाप।
कर न विलम्बा मधुकरा,
अविलम्बा हित आप।
जो कोहु माँ करनल जपे,
तो तोहु तारत आप।
को कोहु मधुकर कहै,
सो कोहु मिटत संताप।
राखे भरोसो राजरो,
आखे कर अरदास।
पाखे रहे परमेशरी,
दाखे मधुकर दास।
भजन भमर कर भगवती,
धन अन धीणा धाय।
तन जन पावत ताजगी,
मन चिन्ता मिट जाय।🙏🏻🙏🏻🚩