कल शाम मां करणी देशनोक में डिंगल कवि समेलन हुवा। जिसमैं सबसे बड़ी बात मुख्य अतिथी ओकारसिहजी लखावत, श्री चनणदान सा, श्री भंवर पृथ्वीराज दासोड़ी, श्री डूंगरदानजी, श्री मोहनसा के साथ अनेक डिंगल के दीगज कवियां का काव्य पाठ हुवा बड़ा ही मन मोहक लगा। सबसे ज्यादा धन्यवाद में अजयसिहजी सिकरोड़ी साब का करता हूं जिनहोनै अपने सपुत्र कै साथ एक अमुल्य कम्बल ओर प्राचिन अती दुरलब चांदी का कलदार सिका मुझ साधारण कवि का उस समानिय मंच पर समान बढाकर भेट किया तो में इनकै चारण छत्रिय सनातन अती प्रेम समान सें अभी भूत हो गया। मेरै पास कोइ शब्द नही अजयसिहजी का केसै धन्यवाद करू। तो एक भाव पुर्ण कवित सप्रेम सादर निजर।
माँ करणी सदा आपको ऊचाइयाँ प्रदान करै।ओर आप मेरै जेसै कवियां का सम्मान करतै रहै। आपका यश बढै इसि कामना के साथ जय मां करणी मधुकर।
छिती नातो सही छतो, चारण अरू छत्रिन को,
पालत वौ आदू रीत, अजै अरमानी है।
सेखावत विराज के संग, अजै सुत भेज,
मधूकर माड़वा की, करी सनमानी है।
कलदार भेट संग, हिरावल कांबल की,
सिकरोड़ी कांधलेस, सपूत सुजानी है।
सांगो गोड़ जाच्यो जद, मिली भेट ईशरा को,
जाचै बिन भेजी अजै, वाह महा दानी है।