चड़ी पंचारण चारणी ,
खड़ी विडारण खल्ल ।
अड़ी चारण उबारणी ,
किनियांणी करनल्ल ।
बड़ी सगत माँ विसहथी ,
अघड़ी जगत अचल्ल ।
जड़ी शबद भमर जपो ,
कड़ी भगत करनल्ल ।
छाया साढ सती छनी ,
दाया अती कर देव ।
आया हड़मती अमां ,
साया मधुकर सेव ।
धाया जो कपीवर धणी ,
पाया सधर पसाव ।
गाया गुणीवर गीतड़ा ,
भाया मधुकर भाव ।
वार मंगल धर वरतिया ,
थिर मंगल घर थाय ।
मधुकर सदर कर मंगल ,
जप नर जंगल राय ।🙏🏻🙏🏻🚩