March 25, 2023

दीपावली- आशूदान मेहड़ू

सर्वप्रथम इस शुभ धनतेरस की दीपोत्सव पावन वेला मे जब आप सभी अपने घरों प्रतिष्ठानों में दीपदान करने मे व्यस्त होंगे, अंधकार को जड़ से
समाप्त करने,धनवंतरी महाराज की  असीम कृपा पाने स्वास्थ्य एवं ” श्री “विश्नु वामांगिनि का चिर आशीर्वाद प्राप्त करने लालायित होंगे…इन शुभ सुंदर पलों मे मेरा सभी सम्मानित स्वजातीय बंधुओं
मेरे अति प्रिय मेहड़ू भाईयों एवं मित्रों को सहृदय सादर प्रणाम🙏
गुणीजनों ! आज के दिन त्रयोदशी पर धनवंतरि महाराज अमृत कलश लेकर प्रकट हुए,इस लिए इसी दिन से पर्व की शुरुआत हुई।
समुद्र मंथन की कथा के मुताबिक महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण स्वर्ग श्रीहीन हो गया,
सभी देव भगवान विश्नु के पास गये भगवान ने देवताओं को असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन का कहा चुंकि इससे अमृत निकलेगा ओर समृद्धि आएगी…
इस मंथन से ही लक्ष्मी,चंद्रमा, व अप्सराओं के बाद धनवंतरि कलश मे अमृत लेकर निकले थे समुद्र मंथन का फल इसी दिन से मिला..दिवाली का उत्सव यहीं से शुरू हुआ वैसे वाल्मीकि रामायण मे लक्ष्मी और विश्नु भगवान का विवाह भी अमावस्या को होना बताया गया है अतः यह पर्व दिवाली के रूप मे मनाया जाता है लक्ष्मी पूजा दीपदान आदि किया जाता है ऐसा कथन है ।
स्वास्थ्य सबसे अमोल ईश्वर बगशीश है…श्री का आनंद हम तब ले पाएंगे जब स्वस्थ होंगे। एक अमोघ मंत्र धनवंतरि महाराज का शात्रों मे दिया गया है।
👉 ” ऊँ रं रुद्र रोगनाशाये धन्वन्तर्यै फट ।”👌
इसका जाप करने से रोग नाश होता है स्वास्थ्य लाभ होता है ऐसा कहा गया है वैसे ऋग्वेद मे भी श्री सुक्त का लक्ष्मी पूजन आदि वर्णन आता है यह अल्बत्ता चार हजार वर्षों पुरानी बात है ।
तभी से पांचदिन का यह दीपावली पर्व मनाया जाता है । तभी से हम इसी भांति पर्व मनाते हैं ।………
मैया लक्ष्मी आपके भंडार स्दैव भरपूर रखे…यही मेरी शुभकामनाएं ।।🙏
अब मैंने अपनी भावनाएं कुच्छ युं  प्रकट की हैं…. आप सभी अवलोकन करावें और अपने अभिप्राय अवश्य ही भेजें ।।
चार अलग अलग रचनाएं पेश हैं ।
👇
“दीपावली ”
आओ मिलकर दीप जलाएं,  जहां अब भी अंधेरा है।
ऐसा किसने इधरउधर फूट का बीज  बिखेरा है ।।
प्रकाश पर्व , है हमें गर्व है,
क्या ! दिले दीप जल जायेगा ?।
क्या ! देव भारत का हर वासी,
सपूत सच्चा बन पायेगा ? ।।
छल, कप्ट,  अरु ईर्ष्या , निंदा नष्ट नाबूद करें ।
हर पल में, हर दिल में, मिलकर हम माबूद करें ।।
दीन दया के दीपक मे, बाट प्रेम बंन्धन की डालें ।
तेल तृप्ति टपकाएं निरंतर,
जलती रहे स्नेह मशालें ।।
आओ मिलकर दीप जलाएं,
घोर अंधेरा दूर भगाएं ,
सबके साथ स्नेह जगाएं ,
ऐसे प्रकाश पर्व मनाएं ।।
आ…ओ…मिल …कर…दीप….
ज….ला…..एं.. ।।👌
👉 दीपोत्सव दीपमाल्हा 👈
लो ! आया पर्व दिवाली,
देखो ! हर घर दीप जले ।
फड़ड़ फटाके, धड़ड़ धमाके ,
देखो ! हर दीवार हिले ।।
आतिशबाजी करते भैया ,
आँख फटी ,अर हाथ जले ।
श्री संम्पन्न जब जश्न करें ,
गरीब बेचारा देख पले ।।
मिर्च टमाटर, सब्जी महंगी ,
प्याज पीड़ा से जिया जले ।
तेल की धार  टेडी   मेडी ,
गरीब की दाल कैसे गले ?
भाण उदय ,भय आतंक बरपा ,
अनेक अनहोनी शाम ढले ।
खालिक मेरा  क्षुब्ध हुआ ,
दब गई अंगुली दांत तले ।।
तो ! आओ हमसब,मिलकर ऐसे,
हर घर दीप जलाएं ।
अपंग, अनाथ, दीन अति को ,
गर्व से गले लगाएं ।
बिन खुशियों ,कोई रहे न बालक ,
मिल बांट सब खाएं ।
भेदभाव सब भ्रांति मन से,
द्वेष को दूर भगाएं ।।
सरिता किलकिल स्नेह बहाएं ।
घोर अंधेरा   दूर   भगाएं ।
हर दिल ज्वाला ज्योति जगाएं।
ऐसे  प्रकाश  पर्व  मनाएं ।
आओ…मिलकर…दीप…जलाएं।
👉दीपावली अभिनंदन 👌
जहां अब भी अंधेरा हो,
दीपक वहीं जलाना है ।
भुला कर भेद सब भ्रांति ,
दिल से दिल मिलाना है ।
न्या भारत बनाना है…जहां अब भी अंधेरा हो.  ……
1. यह दिवाली है या दिवाला है !
जो गिट गये नेता,वो गरीबों का
निवाला है ।
घोटाले खूब कर करके,  हुए जो
माल माला हैं  ।
सकीमों का , गरीबों का ,
कहो अब कौन रखवाला हे ।।
जहां अब भी अंधेरा हो…..दीपक
वहीं जलाना है. ….।।
2. भाया लालू , माया पालू,
मुलायम भी कठोर कालू ,
अनेकों और हैं चालू ,
करे कोई धोखा ऐसा ,
सज़ा सबको दिलाना है ।।
जहां अब भी अंधेरा हो…दीपक वहीं जलाना है……
3. पड़ा देश पार धन काला ,
यहां नंगे पाँव फिरे बाला ।
पेट भरने को पड़ें लाला ,
शिकायत घर लगा ताला ।
ताकत से तुड़ाना है…  जहां अब
भी अंधेरा हो……।दीपक वहीं…
4. मन मंदिर मे भी लगे झाड़ू ,
मिटे छल कूड़ कप्ट आड़ू ।
दिखे कोई जो फूट पाड़ू ,
सिमट सबको स्वच्छ भारत ,
स्वस्थ भारत , हमें मिलकर बनाना है…..जहां अब भी अंधेरा हो….दीपक वहीं. ….जलाना है।
5. गर उठाए आँख कोई  हम पर,
शत्रु साजि़श साँप बन कर ।
करे जो वार युं हम पर ,
तमाचे खूब जड़ जड़ कर ,
सब्बक सबको सिखाना है ।
जहां अब भी अंधेरा हो. .दीपक
वहीं जलाना है…..
6.भारत के ये मर्द “मोदी “,
ग़जब का है नब्ज़ शोधी ।
भूख,भय अरु भ्रष्ट रोधी ,
अलस्य पे आति क्रोधी ,
दुआएं खूब देना दिल से ,
इसे आगे बढ़ाना है…जहां अब भी
अंधेरा हो….दीपक वहीं…. जलाना है……
7. अब जो दिवाली आएगी ,
वो सहर सबको सुहाएगी ।
कोयल गीत गायेगी ,
नम्रता मे नहाना है ।
हकीकत बस यही ” आशू ”
बाकी सब फसाना है ।।
जहां अब भी अंधेरा हो दीपक वहीं जलाना है….भुला कर भेद सब भ्रांति दिल से दिल मिलाना है
न्या भारत बनाना है….न्या भारत। ।।    👌🙏
👉ग़जले दिवाली 👈
1. रौनक है बाजा़रों मे,
रौशन है हर मीनार ।
सुना है अल्सुब्ह,आई जो
दिवाली है ।
उमड़ा है हुजूम लोगों का ,
खरीदो-फरोख्त के लिए ।
मुयस्सर नहीं मिस्कीन को ,
पड़ी जेब जो खाली है ।।
मिलावटी हैं दूध पेड़े,
नकली है घी,तेल भी ।
अज़रुए कानून जुर्म की ,
भरमार बहाली है ।।
प्याले ज़हर शराब से ,
क्ई जानें भी जा चुकी हैं ।
साज़िश सहते-अवाम से ,
होती हर रोज़ निराली है ।।
दामे-बुलंद  है  बेचता ,
देखो ! शातिर तजारती ।
कुच्छ परवाह नहीं कानून की ,
रिश्वत जो दे डाली है ।।
शक्कोशुब्बा सिपाहिए वतन पे,
गुमराह राहबर कयो ?
कयों ! बेलज्जत मुखालफत की,
चली सयासत कवाली है ।।
निकला लिबास नकली ,
पहन कर ये पेमजी ।
कभी जूते, स्याही,झंडे स्याह,
देखी दिल्ली मे दिवाली है ।।
उस्मत जो लुट रही ,
हर जा़यफां बेहद हश्र ।
देरिए-इन्साफ देख ,
दरिंदगी मतवाली है ।।
दुश्मन को ज़बह घर में,
जांबाजो वतन ने किया ।
फिर हुब्बलवतन पे नादाँ कयों?
बवंडर की बिकवाली है ।।
जायज़ नहीं खिलाफत ,     सयासत के हर स्वर मैं ।
कुर्सी को हथियाने दीगर,
तदबीरें और खाली हैं ।।
साबित यह कर दिया ,
मेरे हुकमराने हिन्द ने ।
जज़्बा बढा हर जवाँ का ,
दस्तूर कदीम पाली है ।।
नापाक पाक दुश्मन की ,
हर हरकत भी है नापाक ।
झूठी जिहाद झंडे तले ,
फिजूल अमन बहाली है ।।
मुबारक हो बाशिंदे हिन्द ,
तुम्हें आगा़ज़ जंग का ।
यह खुशियों का त्योहार है ,
या किस्मत की हलाली है ।।
अब तो दे दो मेरे दोस्तो ,
” आहत ” के इज़हार की ।
बाकी जो बहुत खूब ,
इन शैरों की दलाली है ।।
आई जो दिवाली है.. .पड़ी जेब
जो…खाली ….है…आई जो दिवाली है। .       ््््🙏
आशूदान मेहड़ू ” आहत ” जयपुर। ।
Very Happy Diwali to you and your family .🙏🌹🙏🙏

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