दुव सेन उदग्गन – वंश भास्कर
छंद – दुर्मिला
दुव सेन उदग्गन खग्ग सुमग्गन
अग्ग तुरग्गन बग्ग लई।
मचि रंग उतंगन दंग मतंगन
सज्जि रनंगन जंग जई।।
लगि कंप लजाकन भीरु भजाकन
बाक कजाकन हाक बढी।
जिम मेह ससंबर यों लगि अंबर
चंड़ अड़ंबर खेह चढी।।१।।
फहरक्कि दिसान दिसान बड़े
बहरक्कि निसान ऊड़ै बिथरै।
रसना अहिनायक की निकसैं कि
पराझल होरिया की प्रसरै।।
गजघंट ठनंकिय भेरि भनंकिय
रंग रनंकिय कोच करी।
पखरान झनंकिय बान सनंकिय
चाप तनंकिय ताप परी।।२।।
धमचक्क रचक्कन लग्गि लचक्कन
कोल मचक्कन तोल कढयो।
पखरालन भार खुभी खुरतालन
ब्याल कपालन साल बढयो।।
ड़गमग्गि विलोच्चय श्रृंग ड़ुले
झगमग्गि कृपानन अग्गि झरी।
बजि खल्ल तबल्लन हल्ल उझल्लन
भुम्मि हमल्लन धुम्मि भरी।।३।।
महाकवि सूर्यमल्ल मीसण