April 2, 2023

हरिरस

हरिरस
ईसरदासजी
राजस्थान में भक्ति परक काव्य गर्न्थो में ईसरदास प्रणीत ,,हरिरस,, परब्रह्म परमात्मा की भक्ति तथा उपासना का सरल, सरस् एवं सर्वोत्कृष्ट ग्रन्थ है। इसकी महत्ता इसी तथ्य से प्रमाणित हो जाती है कि राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश में सैकड़ों लोगों को यह ग्रन्थ कंठस्थ है, तथा लाखों लोग इसका दैनिक पाठ करते हैं।ऐसी अध्यात्मपरक, सगुण निर्गुण का सामंजस्य स्थापित करने वाली अन्य कोई कृति नहीं है।लोक से जुड़ी हुई, लोक वातावरण में घुली मिली, लोक जीवन के उदाहरणों एवं जनपदीय जीवन के दृष्टान्तों से युक्त यह ग्रन्थ अपने कलेवर में 360 दोहों को संजोए हुए है, उनमें से कुछ जिनका मैं नियमित स्मरण करती हूं-
पेलो नाम परमेस रो, जिण जग मंडियो जोय।
नर मूरख समझे नहीं, हरि करे सो होय।।
पीठ धरणीधर पाटली,हर हो लेखण हार।
तउ तोरा चरितां तणो, परम् न लब्भै पार।।
अवधि नीर तनअंजळी, टपकत सांस उसांस।
हरि भजियाँ  बिन जात है, अवसर  ईसरदास।।
भाग बड़ा तौ राम भज, बगत   बड़ी कछु देह।
अकल बड़ी उपकार कर, देह धरयां फळ एह।।
आळसवाँ अजाणवाँ,दिल खूटल सूं दूर।
साहेब साचा  साधकां,  है हाजराँ हजूर।।
आलम मोरा अवगुणा साहब तुज्झ गुणांह।
बून्द बिरक्खा रेणु कण, थाग न लाधै त्यांह।।
नारायण   नारायणा,  फेरा  काटण  फंद।
हूँ चारण हरि गुण चवाँ, सोनों अने सुगन्ध।।
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महात्मा ईसरदासजी द्वारा लिखे छोटे बड़े काव्य 43 है, इनमें से जामनगर के पास संचाणा ग्राम के निवासी श्री जब्बरदानजी रोहड़िया के पास ईसरदास प्रणीत 41 काव्य ग्रन्थ उपलब्ध है-
1 हरिरस
2 छोटा हरिरस
3 देवियांण
4  ध्यान मंजरी
5 योग मंजरी
6  गुण वैराट
7 गुण भगवंत हंस
8  गुण निंदा स्तुति
9 गंगावतरण
10  गुण वादन
11  किसन केलि
12 बाल लीला 
13 दान लीला
14 विरह वांछना
15 भावमुद्रा
16  गुण आवण
17  सूर्य स्तवन
18 कर्ण बतीसी
19 सूर्यवंश
20  दिलीप नु तप
21  निर्गुण ब्रह्म की आरती
22 अष्टपदी
23 अनंत काळ
24 भाव दर्शन
25 लंका विजय गीत।
26 श्री दत्तात्रेय वंदना
27 सोमनाथ स्तुति
28 गोरखगूँज
29 हरिसिद्धि स्तुति
30  श्री द्वारिका दर्शन
31 हरिसभा
32 ब्रह्मवेलि
33 गरुड़ पुराण
34 शिव समाधि
35 रास कृतोहण
36 शारदा वंदना
37 आशापुरा के छन्द
38 गीत सामळा जी रो
39 गीत गंगा जी रा।
40  हाला झाला रा कुंडलिया

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