March 20, 2023

इहग आयो इळ उपरा, साहित्य धन सोभाग। सुरसत मुख रहती सदा, कवि शिरोमण काग।। – कवि राजन झणकली (राजेन्द्रदानजी)

इहग आयो इळ उपरा
साहित्य धन सोभाग
सुरसत मुख रहती सदा
कवि शिरोमण काग।।
सितारों सकळ समाज रो
पातां तणो ओ पाग
गढवी इण गुजरात रो
कवि शिरोमण काग।
सच सभ्यता तन सादगी
रिझाय सुरसत राग
पूरो भगत प्रमेश रो
कवि शिरोमण काग।।
गढवी गीतों गजब रो
उपजातो अनुराग।
वरदायक वाणी विमल
कवि शिरोमण काग।।
छंद चरज गावण कवत
रसना पर घण राग
कवि राजन वंदन करे
कवि शिरोमण काग।।
(कवि राजन झणकली)

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