नित लेवो करणी नाम
सदा समरो सुबे शाम
लागे नीं कोई छदाम
करो याद आई है।।
केड़ो ई अबख काम
जोर जबर जुध जाम
ताप शीत हो तमाम
तारण आळी माई है।।
रन रोई सूंनी रोड़
कंटक पथ हो करोड़
जपो दोऊ कर जोड़
सदा मात स्याई है।।
सफेद काळी खाखी वर्दी
देवी शायक रहे दर्दी
गम पीड़ा टाळण गर्दी
सदा सुख दाई है।।
(कवि राजन झणकली)