March 31, 2023

ठाकुर केसरीसिंह जयंती पर पूण्य स्मरण – महेंद्रसिंह चारण चारणत्व

ठाकुर केसरी सिंह जी बारहठ जयंती  पर पूण्य स्मरण

राजस्थान में अभी चुनाव के माहोल में आज क्रांतिकारी केसरी सिंह बारहठ की जयंती मनाई जा रही है।। मगर सायद ही कोई राजनेता स्मरण करेगा कि आज  के दिन  राजस्थान के क्रांतिकारी ठाकुर केसरी सिंह जी बारहठ का जन्म दिवस है जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपने परिवार के बलिदान से पुरे देश व संसार में उदाहरण प्रस्तुत किया। जिनके आदर्श जीवन काे उस समय में राजपूताना के समस्त राजा महाराजा, समस्त राष्ट्रीय स्तर के कार्यकर्ताओं से लेकर  अर्जुन लाल सेठी, माणिक्य लाल वर्मा   महात्मा गांधी तक वंदनीय मानते थे। यध्यपि उनका उत्तरार्ध जीवन अर्थाभाव व गरीबी में बीता लेकिन उनके मिजाज में दीनता के भाव कभी नहीं आए। उनका चरित्र निष्कलंक रहा। भयंकर से भयंकर कठिनाईयों और अभावों में भी किसी भी प्रकार का प्रलोभन उनको आकर्षित नहीं कर सका। नरेशों और जागीरदारों की विलासिता, आडम्बर, खुशामद, फिजुलखर्ची और भ्रष्ट जीवन तथा अंग्रेजों के प्रति दास भावना को देख कर वे दुखी रहे व सदैव ताड़ना देते रहे। यथा-

जीवण अहलो जाय
सहल शिकार सलाम में
मांटी मौज उड़ाय
परजा बिलखै पैट में।
उच्च चरित्र, सत्यवादिता और कर्त्तव्यपरायणता के कारण ही उनका समस्त परिवार, उनकी माणिक कंवर जैसी पत्नी, प्रताप जैसे पुत्र, और जोरावर जैसे भ्राता उनके मार्ग पर चले। उनके द्रढ और आदर्श चरित्र के कारण ही नरेशों , श्रीमन्तो, जागीरदारों और यहां तक कि अंग्रेजों में भी एसे कई अधिकारी थे जो उनके विचारों के विरोधी होते हुए भी उनके प्रति अगाध श्रद्धा रखते थे व उनसे मिलने की इच्छा रखते थे। वे  कितने ही प्रलोभनों के आगे डिगे नहीं। वस्तुत: वे राजपूत व क्षत्रिय जाति की उस अद्वितीय परम्परा के प्रतिनिधि थे जो स्वतंत्रता के लिए मर मिटने की शिक्षा देती है। जबसे उन्होंने होश संभाला वे विदेशी दासता से देश को मुक्त कराने की आकांक्षा रखने लगे।जिस राजपूत जाति की वीरता, शौर्य और साहस की गांथाओ से भारत का इतिहास भरा पड़ा है उसी को अंग्रेजों के सामने झुकते हुए अपमानित होते देख कर वे छटपटाते एवं तिलमिला उठते। जीवन के अंतिम समय तक वे राजपूताना में पुनर्जागरण एवं शक्ति का शंखनाद करना चाहते थे, उनकी रग रग में देशभक्ति की भावना भरी थी। धर्म प्रचार, समाज सुधार, शिक्षा प्रसार,और जातीय संगठन आदि के माध्यम से वे एक ही उद्देश्य की प्राप्ति का लक्ष्य रखते थे- राष्ट्राभिमान और देशभक्ति की भावना का प्रसार ।
सामाजिक कुरीतियों और बुराइयों के विरुद्ध जुझने वाले समाज सुधारक,देश की स्वतंत्रता के संघर्ष में अपना सर्वस्व होम करने वाले महान क्रांतिकारी तथा समाज में भेदभावविहिन समन्वयवादी जनतन्त्रीय विचारों के प्रसारक के रूप में सदैव चिरस्मरणीय रहेंगे।भले ही आज आडम्बर, अहंकार,संकिर्णता भेदभाव की प्रवृत्तियों के काले बादल आछन्न है मगर आशा की जा सकती है कि फिर इन काले बादलों के छंटते ही देश , समाज के लिए केसरी सिंह जी जैसे व्यक्तित्व और उनके आदर्श पुनः समाज और राष्ट्र के लिए प्रेरणा के प्रकाश स्तम्भ बन कर अपनी रोशनी फैलाएंगे।

महेंद्रसिंह चारण
संपादक – चारणत्व

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
%d bloggers like this: