राजस्थान में अभी चुनाव के माहोल में आज क्रांतिकारी केसरी सिंह बारहठ की जयंती मनाई जा रही है।। मगर सायद ही कोई राजनेता स्मरण करेगा कि आज के दिन राजस्थान के क्रांतिकारी ठाकुर केसरी सिंह जी बारहठ का जन्म दिवस है जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपने परिवार के बलिदान से पुरे देश व संसार में उदाहरण प्रस्तुत किया। जिनके आदर्श जीवन काे उस समय में राजपूताना के समस्त राजा महाराजा, समस्त राष्ट्रीय स्तर के कार्यकर्ताओं से लेकर अर्जुन लाल सेठी, माणिक्य लाल वर्मा महात्मा गांधी तक वंदनीय मानते थे। यध्यपि उनका उत्तरार्ध जीवन अर्थाभाव व गरीबी में बीता लेकिन उनके मिजाज में दीनता के भाव कभी नहीं आए। उनका चरित्र निष्कलंक रहा। भयंकर से भयंकर कठिनाईयों और अभावों में भी किसी भी प्रकार का प्रलोभन उनको आकर्षित नहीं कर सका। नरेशों और जागीरदारों की विलासिता, आडम्बर, खुशामद, फिजुलखर्ची और भ्रष्ट जीवन तथा अंग्रेजों के प्रति दास भावना को देख कर वे दुखी रहे व सदैव ताड़ना देते रहे। यथा-
सहल शिकार सलाम में
मांटी मौज उड़ाय
परजा बिलखै पैट में।
सामाजिक कुरीतियों और बुराइयों के विरुद्ध जुझने वाले समाज सुधारक,देश की स्वतंत्रता के संघर्ष में अपना सर्वस्व होम करने वाले महान क्रांतिकारी तथा समाज में भेदभावविहिन समन्वयवादी जनतन्त्रीय विचारों के प्रसारक के रूप में सदैव चिरस्मरणीय रहेंगे।भले ही आज आडम्बर, अहंकार,संकिर्णता भेदभाव की प्रवृत्तियों के काले बादल आछन्न है मगर आशा की जा सकती है कि फिर इन काले बादलों के छंटते ही देश , समाज के लिए केसरी सिंह जी जैसे व्यक्तित्व और उनके आदर्श पुनः समाज और राष्ट्र के लिए प्रेरणा के प्रकाश स्तम्भ बन कर अपनी रोशनी फैलाएंगे।
महेंद्रसिंह चारण
संपादक – चारणत्व