March 31, 2023

भगतसिंह, सुखदेव अने राजगुरु ने अंग्रेजोए फांसी आपीने एमना देह ने पुरा अग्नि संस्कार नहोता आप्या त्यां भगतसिंह नी बहेन गया अने एमनो भाइ माटेना भावनुं  वर्णन करतुं झवेरचंद मेघाणी द्वारा लखेल गीत

भगतसिंह, सुखदेव अने राजगुरु ने अंग्रेजोए फांसी आपीने एमना देह ने पुरा अग्नि संस्कार नहोता आप्या त्यां भगतसिंह नी बहेन गया अने एमनो भाइ माटेना भावनुं  वर्णन करतुं झवेरचंद मेघाणी द्वारा लखेल गीत
वीरा मारा ! पंच रे सिंधुने समशान

रोपाणा त्रण रुखडां हो…जी
विरा ! एनी डाळीयुं अडी आसमान
मुगतिनां झरे फूलडां हो…जी

विरा ! तारां फूल सरिखडां शरीर
ईंधण तोय ओछा पड्यां हो…जी
विरा मारा ! सतलज नदीने तीर,
पिंजर पूरां नो बळ्यां हो…जी

विरा ! तारा चितामां धखधखती वराळ
नव नव खंडे लागियुं हो…जी
विरा तारी नहिं रे जंपे प्राणजाळ
ठारेली भले टाढियुं हो…जी

विरा ! तारा पंथडा विजन ने अघोर
ओराणो तुं तो आगमां हो…जी
विरा ! तारां वसमां जिगरनां जोर
लाडकडा ! खमा खमा हो…जी

विरा ! तारे मुखडले माताजी केरां दुध
धावेला हजी फोरतां हो…जी
विरा ! एवि बाळुडी उमरमां भभूत
जाण्युं तें, जोगी, चोळता हो…जी

विरा ! तारा गगने ऊछळता उल्लास
दुनियाथी दुरे दोडवा हो…जी
विरा ! तारे अचळ हता विश्वास
जनमीने फरी आववा हो…जी

विरा ! तारे न्होता रे दोखीने न्होता दाव
तरस्योये न्होतो रक्तनो हो…जी
विरा ! तारी छातीए छल्यो भव्य भाव
मातृभूमि केरा भक्तनो हो…जी

विरा ! ए तो फांसी रे नहिं फूलमाळ
प्हेरीने पळ्यो पोंखणे हो…जी
विरा ! तारुं वदन हसे उजमाळ
स्वाधिनताने तोरणे हो…जी

रचना = राष्ट्रीय शायर झवेरचंद मेघाणी
टाइपिंग / राम बी गढवी
नविनाळ – कच्छ
फोन – 7383523606

आ रचना झवेरचंद मेघाणी नी चूंटेली कविता नामनी बुकमांथी टाइप करेल छे भुलचुक सुधारीने वांचवी

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