श्री करणी प्रभात
।।दोहा ।।
ऐक समें पीथल अवल ,
राजल भल रिझवार ।
किया जलल अकबर कवल ,
बिगड़ल नवल विचार ।(1)
वाह जलाली विधरमी ,
दाह झिली दुनियान ।
आह अली खल अधरमी ,
शाह दिली सुलतान ।(2)
हन अनिती हद हिन्दुवन ,
मन कुनिती मुगलान ।
जबरन वनिती महल जन ,
तन तुनिती तुरकान ।(3)
कुबद करार अकबरियै ,
मिना बजार मडाड़ ।
कुलिन घरां नर कांमणै ,
वीलला वर विगाड़ ।(4)
भिरू हूता जो भुपती ,
मुगल बिरु मती मंद ।
तिरू पिथलप्रतापसी ,
फस्या न मीरु फंद ।(5)
जबरी जलल जलालियो ,
अरी पीथल अवल्ल ।
करी खलल हद कुबदियै ,
लबरी बुला नवल्ल ।(6)
चम्पा कँवर महल चड़ै ,
पड़ै विपत अण पार ।
चड़ै बबर जद चारणी ,
पीथड़ सुणै पुकार ।(7)
भण राजल धण भूपती ,
सुण चिड़ियाल सवाल ।
उण समें व्राजल उठी ,
बण प्राजल विकराल ।(8)
हिन्दुवन सधर हेमायती ,
सगती बबर सजाह ।
आय भंमर अंतावली ,
पाय खबर पतसाह ।(9)
रखी अनेकां रमणियां ,
अकबर लखी अनीत ।
दखी विपदा दीन वण ,
भूप सखी भय भीत ।(10)
छंद जात रोमकंद ।
भयभीत भयो भुपती विपती भण ,आरत वा वरती उकती ।
दसकंध किभांत अक्रांत दिल्ली पत ,जार विदांगत जो जुगती ।
वरतीत अनीत वा रीत अकबर , सीत अतीत ज्यू थीत सखा ।
रिछपाल भुपाल अँताल आ राजल ,राज पिथाल माँ लाज रखा ।जियै आय अंताल भुपाल अखा ।(11)
दिसतो दुषटान दुशासन दानव ,रावनन सें कम नाह रती ।
कुमती ज्यु धूतान सुयोधन कैरव ,वा विगतान वेती वरती ।अब आन बचान माँ राजल आर तो नार पंचाल निहार पखा ।रिछपाल भुपाल ……(12)
नवरोज निहारन नृपती नारन ,संकट भारन मात सुणै ।
जललो बड जारन वो विभिचारन ,बाम बैकारन बात बणै ।पिथला उपकारन ,आप उबारन आद उचारन आत अखा ।रिछपाल भुपाल ….(13)
समरी कर साइय ,दीन दुहाइय ,ऊदल जाइय आव अबै ।
किनियान कहाइय ,रूप धराइय ,जनम पाइय जाव जबै ।
गुजरात गुणाइय ,राजल बाइय ,लाज बचाइय भाव लखा ।रिछपाल भुपाल ……(14)
चिड़याल सुचाल लंकाल चढी ,
महिपाल पिथाल पुकार मची ।
दिगपाल तमां दुख टाल हमां ,
शुभ भाल अमां सुर पाल सची ।
अबखाल उवाल उजाल अम्बा ,
चित चारणी आ विकराल चखा ।
रिछपाल भुपाल ……(15)
बम सोर बगा जगतम्ब जगा ,
घम घोर लगा महलां घमका ।
अवलम्ब सगा धम धोर धगा ,
दम दोर दगा दहलां दमका ।
भुजलम्ब अगा तृण तोर क्रगा ,
वद होर भगा बदसा विलखा ।
रिछपाल भुपाल …..(16)
गणणाट उठा सणणाट गढा ,भणणाट भुभाट भुचाट भुता ।खणणाट खगाट मची खल में ,धणणाट उघाट धुधाट धुता ।
अड़ड़ाट उठात जा खाट अकबर ,
त्राट अंकास का माग तखा ।
रिछपाल भुपाल ….(17)
चक चक्क चमंक दमंक चही ,
भक भक्क अही रजला भभकी ।
नवलख्ख कही फुतकार रही ,
सक पक्क भही गत वां सबकी ।
हक बक्क हिया धक धक्क हही ,
अकबर मही जीव दान अखा ।
रिछपाल भुपाल …..(18)
नवरोज अनीतम ,पाप पलीतम ,
होत फजीतम तोत तमै ।
बदशा बदनीतम ,त्याग कुरीतम ,
सोज सुनीतम होत समैं ।
परथा पर प्रीतम ,राजल रीतम ,
नार नचीतम ओत रखा ।
रिछपाल भुपाल ……(19)
नवरोज छुडाय नमाय नराधम ,
आय ते माय सहाय करी ।
जस गाय जुना गतियास जचायकै भाव जिकाय लिखाय भरी ।
महमाय सदा सुख थाय मधूकर ,
दाय माँ राजल ताय दखा ।
रिछपाल भुपाल अंताल आ राजल ,राज पिथाल माँ लाज रखा ।जियै ,,आय अंताल तो नाम अखा ।
।।छप्पय ।।
नमो माँ राजल नाम ,
गाम चोराड़ गुणावां ।
नमो वा काजल वाम ,
आम अबखाड़ मिटावां ।
नमो सा प्राजल साम ,
धाम बड़ा जिकै धावां ।
नमो माँ राजल नाम ,
जाम अठ पोर जपावां ।
नमो नवरोज नकाम ओ ,
काम राजल जबतो करण ।
नमो मधुकर तुज नाम नै ,
ताम पीथल तारण तरण ।(21)
इति राजल इकविसी रोमकंद कवि मधुकर माड़वा ।
(मेरा प्रियतम् छन्द)