March 21, 2023

“चरज” आयलमां आवने वेली रे – कवि भरतदान

आयलमां आवने वेली रे, बाळकनी तुज छो बेली रे
आयल मां आवने वेली रे…२

युद्धमां सैनिक खेले होळी, लागे नइं एने गोळी
दुश्मनना माथडा माडी नांखने त्रोडी रे…
आयल मां आवने वेली रे…

त्रसवादी त्रास दिये तोप फोडी,मारे मानवने अंग मरोडी
बनीजा चंडी चामुंडा नांख चीमोडी रे…
आयलमां आवने वेली रे…

लाडकडीना लगन थावे,नथी भाइ जवतल कोण होमावे
बनीने भाइ भवानी आवने भोळी रे…
आयलमां आवने वेली रे…

खारवो खेळे दरियो दोळी, ठालवे पवन झपाटे जोळी
कृपाळी करजे माडी कांठडे होडी रे…
आयलमां आवने वेली रे…

खलक आखामां ख्यात छे खोळी, धाबडीयाळी आवने धोळी
“भरत” कहे आवने वेली थाइसना मोडी रे…
आयलमां आवने वेली रे…

रचना – चारण कवि भरतदान
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टाइपिंग – राम बी.गढवी नविनाळ – कच्छ
फोन नं.-7383523606

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