ऐक समयमें हुया दोनूं वीर शिरोमणि एक बीजा रा शत्रु व्हैतां थकांई दोयां में ऐकसी समानता ही दोनूं आपरे समय रा टणकैल अर बङा वीर हा, शिवाजी आपरो राज ने बढावता हुवा गुजरात रे आधेटे पूगिया जणै औरंगजैब महाराजा जसवंन्तसिंह ने भेजिया शिवाजी रो सामनो करवा ने, महाराजा शिवाजी छत्रपति री गति रोक नरबदा नदी री हद बणवायदी, बीं नदि सूं उरियां शिवाजी आ सकै नहीं नै परियां जसवंन्तसिंह जी जा सकै नहीं दोनो वीर शिरोमणी आप आप रा बऴ प्रताप हूं दीवार बणर जमगा इण विषय रो सांगौ पांग चित्राम डिंगऴ रा गीत में हुयो है !
!! गीत !!
सरद बांधलीधी नरबदा लगै सिसौदिये,
डाहे जोगणपुर परि डाण !
पातशाही लेत सिवौ हेकण पलक में,
पातशाही रही जस्सा रै पांण !!
धरमत अर सामूगढ दोना मैदानां में दोय बार हुया युध्द में जीत तो औरंग बादशाह री ही होयी पण जोधाणनाथ जसवंतसिंह जी औरंग ने नांको चणा चबाय दीया और शाही फौजां रो माल असबाब तोपां पण खोस लीवी अर आपरे वतन मुलक जोध पुर आयगा, औरंग आपरा तीनां भायां सूं निपट राजगादी बैठो जद जसवंतसिंहजी सूं पाछी मेऴ मिलाप कर आदरमान देय मनसबदारी प्रदान कर राज रा हिमायती थांबां बणाया !!
इतरो सब होवतां भी बो कट्टर बादसा जसवंतसिंह जी सूं हबक खावतो, जसवंतसिंहजी ने पाछा राखणां मुगल बादसा री मजबूरी ही क्योंकि उठीनै दखण में शिवाजी शिसौदियो धरती ने दाबतो अर मुगलां रा थाणां पाछा उथलतो बढियो आवै हो, शिवाजी री टक्कर झालणियों शाही मनसबदारां मे जोमरद महाराजा जसवंतसिंहजी ही हा, अर बणां इण काम ने सेवट पार घाल नर्मदा नदी री हद बांधी अर शिवाजी ने रोकिया !!
~राजेंद्र कविया संतोषपुरा सीकर