March 31, 2023

आशिया प्रभुदानजी भांडियावास-राजेंद्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

आशिया प्रभुदानजी भांडियावास !!  
                         
आशिया प्रभसा रो जसौल ठिकाणै म सदा सनातनी सीर, रावऴसा व बाजीसा एक बीजा रा दुख सुख रा साथी, बाजीसा न देखियां बिना रावऴसा ने चैननंई मिऴै अर बाजीसा रो बीजीजागां मन नीं लागे !!
एकर प्रभसा सियाऴा रा दिना आपरै घरै एक तगङो तियार हुयैङो खाजरु, संधीणा री सोच अर करियो अर आपरा कीं साथियांने भी निमतिया, साथी वांरी कूंत हूं घणा पूगग्या, बीं मां सूं आधे सूं घणो तो रात ने ई जिमकायगा व बचियौङा ने एक ऊंची जागां टांक दियौ अर बै लोग निंशंक सोयग्या, रातै एक मिनङी आयर बचियोङा भाग ने खायगी, प्रभसारै संधीणारी मनसा मन में ई रैयगी, भाई सैण पाङोसी तथा भायला बाजीसाने संधीणा रा ताना देवण लागाप्रभसा ईरा उपाय में जसोल रावऴसा कने एकगीत लिखर ऊंठ सवार रे साथै भेजियो !!

!! गीत !!
कीनो थौ ऐक गोऴिये कवियण,
चोखो ताजौ देख छलौ !
पी मद, जीम अनें बेपरवा,
भायौ मन आराम भलौ !!1!!
बाङै जाय सू गयौ बीदो,
भूरो नींद भलोङी !
आ गई रात आवतां आधी,
ऊंघ म्हनैं ही ओङी !!2!!
मांजर चख उण वार मजाऴी,
भख लेवण तक भाऴी !
म्होटी चोर मांस री मनङी,
बनङी घोघङ वाऴी !!3!!
बद पख पौह, दसम निस वेऴा,
घण पुऴ वजियां ऐक घङी !
थऴवट कूद झूंपङै थांबै,
चेजो करबा काज चङी !!4!!
विध इंतजांम टांकणै वाऴौ,
रोंचै पैलां देख रई !
चरबी खाय अनें कर चुङदा,
गुङदा दोनूं खाय गई !!5!!
न्हाखी फेर स्याखरी नीची,
बिच में लादी बांनी !
डोऴा काढ ऊलङी डाकण,
कंध मूऴां रै कानी !!6!!
जीभी तोङ कातिया झुरङे,
करङो अनरथ कीनो !
ढकणी न्हाक माटली ढूकी,
पांणी वऴती पीनो !!7!!
रावऴ जौऽल तणा सुण राजा,
ऐक शिकायत ऐङी !
वकवो कोस आठ पर वणियौ,
करणी वाहर कैङी !!8!!
मणियङ देस तणां तूं मालक,
थहै फौजबऴ थांरी !
बिण में बसै रात दिन बा तो,
मुलजिम दुसमण म्हांरी !!9!!
मालां छात जोरसी म्हांरौ,
कमधज न्याव करीजै !
उण रै करौ दया जो ऊपर,
दूजो बाकर दीजै !!10!!

कागज लेय ओठी जसोल पूग रावऴसा ने झलायो, पढर रावऴ खूब हंसिया अर ओठी रै साथै ऐक तगङो बाकर बारठ जी बाजीसा कनै भेजियो !!

~राजेंद्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर !!

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