!! श्रीकरणी मंदिर चारण-छात्रावास सीकर में मूर्ति स्थापना महोत्सव !!
=======================
आजसे ठीक पाँच वर्ष पुर्व सीकर चारण छात्रा-वास प्रांगण मे श्री करनी मां सा की मुर्ति प्राण प्रतिष्ठा के महोत्सव पर शक्ति स्वरूपा श्री लूंग मा का सीकर पदार्पण व उन्हीं के पावन कर कमलों द्वारा मुर्ति का स्थापन हुआ !!
उस समय सीकर शहर मे श्री माँ सा की भव्य शोभा यात्रा निकाली गई थी जो कि सीकर शहर के सर्व-समाज मे, आज भी मिसाल के रूप मे याद की जाती है, साथ ही सीकर शहरसे अधिक बङे चारणों की संम्पनता व सघनता वाले चारों बङे शहरों जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, अजमेर मे भी वैसा आयोजन संभव नहीं हो पाया है !!
उस सफलत्तम आयोजनका गुरूतरभार भाई सम्पतसा ने अपने मजबूत कंधो पर निर्वाह किया था उस समय किशनावतजी के लिये वैण सगाई युक्त चार सौरठे ऐक दोहा व ऐक मनहर कवित्त श्री सम्पत सा की सेवा में मैने उनको अर्पण किये थे वह आज प्रसंग-वसात यहां पुनः प्रेषित कर रहा हूं !!
सम्पत तूं सिरदार,
चारणकुऴ रो चौधरी !
बङभागी ओ भार,
भलो निभायो भायला !!
किशनावत ओ काम,
आछौ करियो आजतूं !
नव-खंड हुयग्यो नाम,
सीकर-वाऴा समाजको !!
सम्पत तूं सरदार,
चारण कुऴ रो चौधरी !
तनै राखै जगदातार,
सदा सुरंगो साथीङा !!
सम्पत तूं सरदार,
भायां रो भीङू भलो !
करणी अर करत्तार,
बेल बढावै बोऴकी !!
!! श्रीसम्पतसिंहजी को बधाई !!
गुरूवर आपरा ग्यान सूं !
प्रशस्त प्रखर पद पाय !
सृजण सुजाण समाजश्री !
श्री शक्ति-इन्द्रेश सहाय !!
प्रखर पढाई जद पुन्याई सूं पाई पद,
हर्षित हरषाई जाति अंजस ऊपाईको !
मनमें न लायो मद सहीना अन्याई कद,
सबकै-सहाई रह्यो भाई-जस्यो भाईको !
सदा-सुखदाई अरू संघठनको सभासद,
अटकेङा सारै काज कीरत कराईको,
सम्पत-सुजाण वाकै बीसहथी वरवरद,
राष्ट्रीय-शिक्षक संघको भार सम्हाईको !!
परम स्नैही गुरूवर सम्पतसा को असीम और अशेष, बधाई, और धन्यवाद, माँ का वरद-हस्त आप पर सदा बना रहे !!
~राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर !!