March 25, 2023

सागरदानजी कविया (आलावास) रा कह्या दोहा – राजेंन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

!! सागरदानजी कविया (आलावास) रा कह्या दोहा !!    
!! आउवा ठाकुर खुशालसिंह रा !!        

ईस्वी सन 1857 से पहले ही अंग्रेजो के सामने अति सक्रिय भूमिका निभाने वाले मारवाङी वीरों में आउवाके ठाकुर वीरवर खुशालसिंह,सलूंम्बरके रावत केसरीसिंह, कोठारिया के रावत जोध सिंह, बठोठ एवं (शेखावाटी) के डूंगरसिंह व जवाहर सिंह आदि प्रमुख थे। मारवाङ का आउवा का ठिकाणा क्रांति का केंद्र था !!
वहां के ठाकुर श्रीखुशालसिंह की अंग्रेज विरोधी-नीति और युध्दविषयक काव्य को प्रभूत मात्रा में रचा गयाथा, सागर दानजी कविया ने भी इसी संदर्भ दोहे रचे थे, वह दोहे तो बहुत ही प्रसिध्द हैं और यहां पर उदाहरणार्थ प्रेषित है-
!! दोहा !!
फजरां नेजा फरकिया,
गजरां तोपां गाज !
नजरां गोरा निरखिया,
अजरां पारख आज !!
फिर दोऴा अऴगा फिरंग,
रण मोऴा पङ राम !
ओऴा नह लै आउवो,
गोऴा रीठण गांम !!

इसी क्रांतिकारी खुशालसिंह के विषय में गिरवरदान जी कविया (बासणी) का भी बनाया हुआ अतिशयसुन्दर काव्य जिसमें शक्ति-उपासक तथा मातृभूमिके प्रेमी इस ठाकुरकी उमंग का बखाण देखने योग्य व सराहनिय है-

भरोसै खुशाल सगती भिङण, संभियौ सगऴां साथ रै !  
आजाद हिन्द करवा उमंग,  निडर आउवा नाथ रै !!

इस प्रकार से अनेक चारण कवि जनों ने आजादी के दीवाने वीरवरों की वीरता पर अपनी लेखनी की लिखावट जारी करके रजवट की रीत निभाई है, धन्य है, चारण कवियों का स्वतंत्रता प्रेम और धन्य है उन आजादी के वीर यौध्दाऔं को जिन्होने इसमाँ भारती की आजादीको अपने प्राणों सेप्यारी समझी !!
~राजेंन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर !!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
%d bloggers like this: