March 21, 2023

जय कुलदेवी श्री चालकनेची माँ- आशूदान मेहड़ू जयपुर राज

जय कुलदेवी श्री चालकनेची माँ.
हमणा आपणा बधा देगाम वासी मेहड़ू भाईयो ने कुलदेवी ना स्थाने सामुहिक जीमण जीमतां जोया. हियुं हर्ष थी हिलोला मारवा लागयुं
अने मारो पारकर राठी याद आवयुं.
छोकराए पूछयुं…शुं? विचार करो छो. हां मैं कहयुं. हुं आजे महाष्टमी शस्त्र पुजन दिवसे
त्यां राठी आपणा ओरडा़ मा बैठो हतो अने चालकनेची ना वीड़ ईंटाधे जवानो संकल्प करतो हतो।
 
बधा हस्वा लागया. दांत काढी. श़ुं ख्याली पुलाव पकावो छो आपणे भारत मा छैये बधा सगा सबन्धी पूरो परिवार पण भारत मा अने हवे पाकिस्तान ने खोटो याद करो छो. नो करवो जोइये आपणो शत्रु छे ।
 
मैं कहयुं दीकरा साची वात पण जो आजे राठी भारत मा होत अने कुलदेवी नी नवरात्रि पुजा जो माँ ना वीड़ ईंटाधे करी होत तो जीववुं सकियारतो थात. अने माँ चालकनेची पण नो केत के मारा छोरु मने त्रछोड़ी ने जता रहया हुं अहियां एकली दैत्यों ना देश मा रही गई. एटले विचार मा पड़यो हतो।
 
तो छोकराए कहयुं माड़ी ने दोहा लखी मोकलो माड़ी वांची लेशे.
 
आ सांभली दोहा लख्या अने दे्वगाम भाईयो ना आखा समूह साथे टपाल करया छे.

दोहे
01. तूं चालक बालक पाल, कुलदेवी कमध्धज।
तूं शक्तियां सिरोमणि, वीस हथ्थी वृद्धज।।

02. तूं लम्बोदरी लज्ज राखणी, महरमय्यै मम् मात्।
मेहड़ू कुल वंश वृद्धि, रिद्धि देहि दिन रात।।

03. वध दैत्य करण वेला, जोगण चाली जद।
इक चारण मैया संग चलयो, हेत लियां अणहद।।

04. घुरयो असुर चालक परे, वार करण उण वेल।
बालक चारण बोल कहयो, मेह..अड़ूं सब पैल।।

05. तूं बोली वध मैं करूं, दैत्य राक्षस देह।
प्रसन्न भ्ई परमेश्वरी, वपुत्र पौरुष देख।।

06. वधवेला उदंड कियो, हुदंड दैत्य हरभात।
पहली चोट चालक पीनो, धर दीनो एक लात।।

07. थाप जात “मेहड़ू” मैया, किनो इणविध कौल।
मै कुलदेवी थारी मेहड़ू, बोली मुख सुं देवी बोल।।

08. थाप चालकने थांन आपरो, सँवत अष्टम सगत।
काम पूर्ण कृपाली अम्बे, भजयां होत प्रगट।।

09. मैंअडू़ं… सूं मेहड़ू भयो, इसो सत्य इतिहास।
भिन्न भिन्न कथन कैइक भल, होणो नहीं हताश।।

10. नवरूप दुर्गे नमन करुं, धरूं चरण शीष चामुंड।
कवि ” आशू” कीर्त करे, भवानी चालक भुजंड।।

माताजीना पावन चरणों मा आपणे बधुं तन, मन, धन अने दान पुन्य समर्पित करीये।

आखी चारण समाज माटे एकता अने प्रेम भाव नो संदेश आपीये चारणत्व जालवाई जाय….
एज साची प्रार्थना अने मातेश्वरी नो  आदेश छे..
जय चारण जय भारत।।

~आशूदान मेहड़ू जयपुर राज.

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