किनियाणी करनल्ल
देवी भल देशाण री, अरपै सीख अवल्ल।
जग री चावी जोगणी, किनियाणी करनल्ल।।१।।
नामी तूं नारायणी, हर जन काढै हल्ल।
साद सांभळै सेवगां, किनियाणी करनल्ल।।२।।
अवल करुं आराधना, भावी राखण भल्ल।
तूं भव भव री तारणी, किनियाणी करनल्ल।।३।।
उर में बेसो ईसरी, डाटण नै अरि दल्ल।
सब री राखै सारणी, किनियाणी करनल्ल।।४।।
देवी नामी देस री, ईहगां कुळ अवल्ल।
मोटे घर री मावड़ी, किनियाणी करनल्ल।।५।।
दरसण जोगी डोकरी, भाग भळकणा भल्ल।
अग पछ थारो आसरो, किनियाणी करनल्ल।।६।।
धज काबा देशाण रा, आ दुनी में अवल्ल।
जोवण आवै जातरू, किनियाणी करनल्ल।।७।।
सेखै हंदी सायता, आई करण अवल्ल।
चावी देवी चारणां, किनियाणी करनल्ल।।८।।
इहगां व्हाली ईसरी, जांगल वसुधा झल्ल।
अबखी वेळा आवसी, किनियाणी करनल्ल।।९।।
-संग्राम सिंह सोढा सचियापुरा