March 21, 2023

ऐक ह्रदय स्पर्शि कहानी – राजेंन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

ऐक ह्रदय स्पर्शि कहानी !!
आज जब चारों तरफ कट्टरवाद हावी हो रहा है तब ऐक दूसरे धर्म पर अपनी मान्यताऐं थोपने की अन्धाधुंद प्रतिस्पर्धा चल रही है तथा मानवता, मर्यादा एंव जीवदया का ह्वास होरहा है पर फिर भी कुछ जगह ऐसे विरले लोग बाग है जो दया आस्था धर्म तथा मर्यादा पर कायम है यह कहानी मेरेः……..
“पिताश्री बलदेवसिंहजी”!!
पुलिस में थानेदार थे तथा सीकर जिले के  पाटन थाने में तैनात थे तब की सच्ची घटना घटित व उनकी मौजूदगी में सारा वाकया हुआ था !!
पाटन थाना के गांव जिलो में गूजरो की ढाणी में उनके एक खेत में खेजङी के पेङ को गूजरों ने अपनी जरूरत के लिए काटने के लिए जङों को खोदना शुरु किया तो ऐक ही जङ गहराई में सीधी चलती गई और लगभग बारह फीट तक गहरी खोद कर किसानों ने अपने काम में ले ली पर उस गढे को वापस नहीं भरा और वह खुला पङा रहा !
कुछ दिन बाद सर्दी के दिनों में वहां पर ऐक नीलगाय (रोझङी) ने बच्चे को जन्म दिया, वह बच्चा उस गढेमें गिर गया तथातथा रात भर वहीं पङा रहा सवेरे कई मनुष्यों ने उसे निकाल कर सेवा की पर नीलगाय डर के मारे उसके पास नहीं आई तब गूजरों ने उसे बकरी का दूध पिलाना शुरु कर दिया तथा दो महिने का कर दिया और वह मनुष्यो के बीच में घुल मिल गया !

उस ढाणी में पाटण बस स्टैण्ड के पास रहने वाले बुन्दुखाँ नाम के मुसलमान तेली का आना जाना था बुन्दुखाँ किराना कपङा की दुकान व आटा चक्की चलानेका काम करता था, उधारी की वसूली के लिए उन सभी के पास आता ही रहता था वह बङा नेक व रहमदिल इंन्सान व भगवान का बन्दा था और उसके कोई सन्तान नही थी तथा सभी से बङी अदब व तमीज से पेश आता था !!
उसने उन गूजरों से कहा कि यह बच्ची आप मुझे दे दो तो मैं अपनी संतान जैसा पालन करू और हमारे पति पत्नि के लिए दिल बहलाने की वजह बन जाये !!
  तब उन गूजरों ने बिना नानुकुर किए वह बच्ची बुन्दुखाँ को देदी !!
बुन्दुखाँ के घर में पति पत्नि एक लङका वेतन पर रखा हुआ हिन्दुओं का और वह नीलगाय की बच्ची इतना ही परिवार था तथा बङी मजे से जीवन की गाङी चल रही थी, सर्दी जाने के बाद बसंन्त व गर्मी आई तथा गांवों मे बिजली की कटौती शुरू हो गई दोतीन दिन तक बिजली नहीं आई बुन्दु की आटाचक्की में गांव वालों के पीसणे का ढेर लग गया ! बुन्दुखाँ को उधारी के लिए जाना था उसने अपने लङके को बङे प्यार से समझाया कि बेटा मै संध्यांसे बाद में आ पाउंगा और दिन में बिजली आवे तो हो सके जितना अनाज पिसाई कर देना ! यह कहकर बुन्दुखाँ चला गया उसकी घरवाली भी घर के अंदर काम कर रही थी लङके की आँख लग गई और आधा घंटे बाद बिजली आय गई वह ईमानदार लङका जो कि बुन्दुखाँ को बङा आदर देता था अचानक हङबङाकर उठा और भाग कर स्टार्टर चढा दिया और चक्की चालू हो गई और इधर वह नीलगाय की बच्ची मजेसे तखते के नीचे घुसकर जमीन पर बैठी थी और बङे आरामसे अपना सर चक्की के पट्टे पर रख नींद मे मशगूल थी, ज्योंही चक्की का पट्टा चला छोटी बछिया का सर पट्टे और पूऴी के बीच में आकर वहीं पर खतम हो गई !!

लङके को इस  हादसे का पता चला तो चक्की बंद करदी और रोने लगा बुन्दु की घरवाली भी रोने लगी और अतिशीघ्र जोंगा गाङी भेजकर बुन्दखाँ को भी बुलाया बुन्दुखाँ भी दहाङें खाकर रोने लगगया और थाने में आदमी भेजकर पुलिस में रिपोर्ट करवाइ पंचनामा भरवाया पौस्ट मार्टम कराया !!अपने समाज के लोगों को बुलवाकर सब से सलाह मशविरा कर बाकायदा कब्रिस्तान में दफनाने की गुजारिश की कई लोगों ने आपति की तो बुन्दुखाँ ने कहा कि यह मेरी पुत्री समान थी और मैं इसे बाईजत बाकायदा दफनाना ही चाहता हूं वह भी उसी जगह जहां मेरी भी कब्र होगी बुन्दुखाँ के इतने जोर देने पर समाज वाले भी मान गए !!
जनाजा में हिन्दु मुसलमान सभी गए !!
दफनाने के बाद बैठक व बाकी के रश्मोरिवाज भी किए गए ! पर बुन्दुखाँ उसकी याद को अपने मन से नहीं भुला पाए और लग भग तेरह चौदह महिने बाद इस असार संसार से सदा सर्वदा के लिए अगम पथ के राही बन कर चल दिए !!
    यह कहानी मेरे पिताश्री यदा कदा सुनाया करते थे!!

~राजेंन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर  (राज.)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
%d bloggers like this: