सोहागी खेतरपाळ रो गीत
कर विनय अरदास कहवूं, सगत लीजो सार।
गुण खेतल तणा गावूं, उकत द्यो अणवार।
तो औधार जी औधार, अम्बा आपरो औधार।।1।।
शिव रो गण आप साचो, भज्यां होवे भीर।
हेलो सुण हाजिर होवत, वडो खेतल वीर।।
तो वडवीर जी वडवीर, वसुधा सिरेह वडवीर।।2।।
साथ सगती तणें सोहे, खेड़वा रथ खास।।
मात री अरदास मांने, प्रतख रहवे पास।
तो उजियास जी उजियास अळ पर नित करे उजियास।।3।।
दळण रिपुआं काज दोटा, देत भैरव देव।
देख राजी होय दूंणो, सेवकां री सेव।
तो भल भेव जी भल भेव, भैरव ऊजळे भल भेव ।।4।।
सोहागी धर सदा सोहे, परम खेतरपाळ।
दरसण करवा आय द्वारे, नमे के नरपाळ।।
तो बिरदाळ जी बिरदाळ, बंको भैरवो बिरदाळ।।5।।
रदे मां विसवास राखे, जिका सिमरे जांण।
करे दया दाळिद्र कापण, रहे हाजिर रांण।
तो परमाण जी परमाण, पिरथमी सिरे परमाण।।6।।
दरस कर जो अरज दाखे, भल्ल राखे भाव।
परगट खेतल द्ये परचा, नरां तारण नांव।
तो वरताव जी वरताव,वसुधा में इसो वरताव।।7।।
परचा धर पिछमांण पूरे, अधक खेतल आप।
श्वानपत री होय शोभा , इण समें अणमाप।
तो परताप जी परताप,परगळ राखणो परताप।।8।।
गुण मीठो मीर गावे, रीझ खेतल रांण।
दया करिके प्रगळ देवो, सुख सबे सुभियांण।
तो महरांण जी महरांण, महादधि ऐसो महरांण।।9।।
~~मीठा मीर डभाल